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साल में दो बार ही 9 दिन के लिए खुलता है माता का ये मंदिर, 180 साल पुरानी है प्रतिमा

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Published : Apr 8, 2019, 3:19 PM IST

दमोह में 180 साल पुराना दुर्गा माता का मंदिर स्थापित है. इस मंदिर में रखी प्रतिमा की स्थापना 180 साल पहले की गई थी. वहीं मंदिर की खास बात यह है कि यह मंदिर साल में दो बार नवरात्रि के समय ही खुलता है.

देवीमाता मंदिर

दमोह। जिला मुख्यालय स्थित करीब 180 साल पुराना देवालय भारत दुर्गा देवालय के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में स्थापित प्रतिमा भी 180 साल पुरानी है. ये प्रतिमा मिट्टी से बनी हुई है, जो हटा से निर्मित कराई गई थी. बताया जाता है कि बैलगाड़ी पर चलकर 3 दिन की यात्रा करते हुए यह प्रतिमा दमोह पहुंची थी.


इस मंदिर की खास बात यह है कि ये मंदिर साल में केवल 2 बार ही खुलता है. साल 1851 में देवी प्रसाद भारत ने दुर्गाजी की प्रतिमा की स्थापना अपने घर के पास कराई थी. यह प्रतिमा हटा से निर्मित कराई गई थी. यह प्रतिमा आज भी अपने मूल स्वरूप में मिट्टी से ही निर्मित है.

दमोह में 180 साल पुराना माता का मंदिर


बता दें कि कई सालों तक यह प्रतिमा क्वार के नवरात्रि के समय निकाले जाने वाले चल समारोह में शामिल होती रही. इसके बाद सन 1943 में गोवध आंदोलन के दौरान अंग्रेजों ने चल समारोह को पुराने थाने पर रोक लिया था और प्रतिमा करीब 21 दिन तक रुकी रही थी. वहीं ब्रिटिश शासन द्वारा यह प्रतिमा जब छोड़ी गई, तब से लेकर अब तक ये केवल इसी मंदिर में विराजमान है. यह मंदिर साल में केवल नवरात्रि के 9 दिन ही 2 बार खुलता है. इस मंदिर की स्थापना की चौथी पीढ़ी के भारत गुरु बताते हैं कि यह प्रतिमा आज भी लोगों की मनोकामनाएं पूरी करती है. साथ ही लाखों लोगों की आस्था का केंद्र भी है.

Intro:180 साल पुराना है इस मंदिर का इतिहास, मिट्टी की बनी 180 साल पुरानी है मां दुर्गा की प्रतिमा

साल में दो बार ही 9 दिन के लिए खुलता है यह माता का मंदिर आते हैं श्रद्धालु

भारत माता दुर्गा देवालय के नाम से प्रसिद्ध है फुटेरा तालाब के किनारे बना यह देवी मंदिर

Anchor. दमोह जिला मुख्यालय पर स्थित करीब 180 साल पुराना यह देवालय भारत दुर्गा देवालय के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में स्थापित प्रतिमा भी 180 साल पुरानी ही है. यह प्रतिमा मिट्टी से बनी हुई है, और 180 साल पहले हटा से निर्मित कराई गई थी. बैलगाड़ी पर चलकर 3 दिन की यात्रा करते हुए यह प्रतिमा दमोह पहुंची थी. इस मंदिर की खास बात यह है कि यह मंदिर साल में केवल 2 बार ही खुलता है. मतलब नवरात्र के 9 दिन तक भक्तों की आस्था के प्रतीक इस मंदिर में लोग आकर माता रानी का दर्शन करते हैं.


Body:Vo. सन 1851 में देवी प्रसाद भारत द्वारा दुर्गा जी की प्रतिमा की स्थापना अपने घर के बाजू के एक स्थान पर की गई थी. यह प्रतिमा हटा से निर्मित कराए गई थी. यह प्रतिमा आज भी अपने मूल स्वरुप में मिट्टी से निर्मित ही है. कई सालों तक यह प्रतिमा क्वार के नवरात्रि के समय निकाले जाने वाले चल समारोह में शामिल होती रही. लेकिन इसके बाद सन 1943 में गोवध आंदोलन के दौरान अंग्रेजों ने चल समारोह को पुराना थाना पर रोक लिया था, और यह प्रतिमा करीब 21 दिन तक रुकी रही थी. उसके बाद यह प्रतिमा जब ब्रिटिश शासन द्वारा छोड़ी गई तो तब से लेकर अब तक यह प्रतिमा केवल इसी मंदिर में ही विराजमान है. यह मंदिर साल में केवल नवरात्र के समय ही 9 दिन के लिए दो बार खुलता है. इस मंदिर की स्थापना की चौथी पीढ़ी के भारत गुरु जी बताते हैं कि यह प्रतिमा आज भी लोगों की मनोकामनाएं पूरी करती है. साथ ही लाखों लोगों की आस्था के केंद्र भी है.

बाइट भारत गुरुजी मंदिर के पुजारी

बाइट दयाराम रायकवार मंदिर का भक्तों


Conclusion:Vo. दमोह जिला मुख्यालय स्थित भारत माता दुर्गा देवालय जहां लोगों की आस्था का केंद्र है. वहीं यहां की प्राचीनता भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. यह मिट्टी की बनी प्रतिमा 180 साल पुरानी है. साथ ही प्रतिमा ने कई शासनकाल में अपनी प्राचीनता को बरकरार भी रखा है. इस प्रतिमा को संरक्षित करने वाला भारत परिवार भी प्रतिभा की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से मुस्तैद रहता है. यही कारण है कि करीब दो शताब्दी बीत जाने के बाद भी यह प्रतिमा आज ही अपने मूल स्वरुप में ही नजर आती है. मंदिर के आसपास के क्षेत्र को नए जमाने के हिसाब से परिवर्तित किया गया है. लेकिन प्रतिमा जिस स्थान पर पहले थी वह प्रतिमा आज भी उसी स्थान पर विराजमान है. साथ ही प्रतिमा के स्वरुप में भी कोई परिवर्तन नहीं हुआ है, और यही कारण है कि इतनी प्राचीन प्रतिमा आज की दमोह सहित आसपास के क्षेत्रों के लोगों की आस्था का केंद्र है.

आशीष कुमार जैन
ईटीवी भारत दमोह
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