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Teachers Day Special: शिक्षा की अलख जगाने वाले ये कुछ 'खास' हैं! शिक्षक दिवस पर जानिए, इनकी कहानी

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 4, 2023, 4:55 PM IST

Updated : Sep 4, 2023, 5:39 PM IST

Teachers Day Special Sushma Sharan setting an example by teaching disabled children In Ranchi
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आम बच्चों को पढ़ाना किसी भी शिक्षक के लिए उतना मुश्किल नहीं होता जितना स्पेशल या दिव्यांग बच्चों को पढ़ाना. ये अपने आप में किसी चुनौती से कम नहीं है. लेकिन इस चुनौती को स्वीकार किया राजधानी के कुछ टीचर्स ने. ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट में शिक्षक दिवस विशेष पर मिलिए, कुछ ऐसे खास शिक्षकों से.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

रांची: किसी भी बच्चे का सबसे पहला शिक्षक उनके माता-पिता ही होते हैं. इसके बाद ही बच्चे स्कूल जाकर अपने गुरु से ज्ञान अर्जित करते हैं. लेकिन कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जिनकी उम्र भले ही बढ़ गई हो लेकिन आज भी वह छोटे बच्चे की तरह ही व्यवहार करते हैं, क्योंकि वो स्पेशल होते हैं. ऐसे दिव्यांग बच्चों के लिए उनके माता-पिता ही जीवन भर के लिए उनके शिक्षक और गुरु बन जाते हैं.

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राजधानी रांची के अरगोड़ा चौक स्थित कोशिश स्कूल में वैसे शिक्षक पढ़ाते हैं जो दिव्यांग बच्चों के माता-पिता हैं. जिस कारण उन्हें इन बच्चों के साथ भावनात्मक जुड़ाव के साथ साथ उन्हें समझने में काफी आसानी होती है. दिव्यांगता के कारण अपनी एक बच्ची को खो चुकीं सुषमा शरण बताती हैं कि उनकी बेटी भी दिव्यांग थी और दिव्यांगता की वजह से वह अब दुनिया में नहीं रहीं. लेकिन दिव्यांग बच्चों के दर्द को वो समझती हैं, इसलिए उन्होंने स्पेशल बच्चों को बेहतर भविष्य देने का निर्णय लिया. उनके साथ कई दिव्यांग बच्चों के माता पिता ने मिलकर इस स्कूल की शुरुआत की. स्कूल की शुरुआत करने के बाद दिव्यांग बच्चों के शिक्षक भी उनके माता-पिता ही बन गए.

शिक्षक सुषमा शरण बताती हैं कि जब उन्होंने स्कूल खोला तो स्पेशल चाइल्ड के लिए शिक्षक नहीं मिल रहे थे. इसीलिए उन्होंने निर्णय लिया कि वो खुद ही दिव्यांग बच्चों को शिक्षा देंगी. जिससे आने वाले दिनों में दिव्यांग बच्चे भी अपने जीवन यापन के लिए कुछ बेहतर कर सकें, कुछ हुनर सीख सकें. इसी सोच के साथ मानसिक एवं शारीरिक रूप से कमजोर बच्चों को सुषमा शरण, उनकी सहयोगी नीता रॉय और नीतू सिंह ने बच्चों को स्पेशल ट्रेनिंग देना शुरू किया. जिसके तहत बच्चों को कागज के प्लेट, कागज के फूल या फिर कई फैशनेबल आइटम बनाने सिखाए जाते हैं.

इसके बाद धीरे-धीरे स्कूल में अब बच्चों की संख्या बढ़ने लगी. इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे स्पेशल हैं, वहीं इनको पढ़ाने वाले शिक्षक भी खास ट्रेनिंग लेकर इनको पढ़ा रहे हैं. यह सभी शिक्षक दिव्यांग छात्रों को पढ़ाते हैं और उन्हें यह शिक्षा देते हैं कि दिन प्रतिदिन की जिंदगी में क्या अच्छी चीजे हैं और क्या बुरी चीजें हैं. नीता राय बताती है कि बच्चों को पढ़ने के लिए कई तरह की डिग्रियां लेनी पड़ती है. लेकिन इस स्कूल में पढ़ाने वाले हर शिक्षक बिना डिग्री के हैं. क्योंकि उन्हें दिव्यांग बच्चों के साथ रहने का अनुभव ही नहीं बल्कि आदत हो गई है. इस स्कूल में पढ़ने वाले सभी शिक्षकों के अपने बच्चे भी दिव्यांग हैं.

इस स्कूल में पढ़ा रहे शिक्षक अनंजय कुमार बताते हैं कि वह एक स्पेशल टीचर हैं और उन्हें बहुत खुशी होती है कि वह एक स्पेशल चाइल्ड को पढ़ाकर उन्हें काबिल बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि आम शिक्षकों की तुलना में उन्हें स्पेशल बच्चों को पढ़ाने में थोड़ी परेशानी जरूर होती है. लेकिन वह अपने हुनर और जज्बात से स्पेशल चाइल्ड को पढ़ाते हैं और उन्हें शिक्षित कर उनका बेहतर भविष्य बनाते हैं.

दिव्यांग बच्चे को पढ़ाने वालीं गायत्री कुमारी बताती हैं कि हम स्पेशल शिक्षकों के लिए सबसे जरूरी हमारा संयम होता है, क्योंकि दिव्यांग बच्चे किसी भी चीजों को एक बार में नहीं समझ पाते हैं. इसीलिए उन्हें एक बात को समझने के लिए कई तरीके से पढ़ाना पड़ता है तब जाकर उनको वो बातें समझ में आती हैं. इसीलिए स्पेशल चाइल्ड को पढ़ाने वाले शिक्षकों को ट्रेनिंग लेने के बावजूद संयम और अपने गुस्से पर नियंत्रण रखना पड़ता है.

राजधानी रांची में चल रहे इस स्कूल में बच्चे तो खास हैं ही लेकिन यह टीचर भी बेहद खास हैं. ये टीचर्स वैसे बच्चे को पढ़ा रहे हैं जो समाज में अपनी शारीरिक या मानसिक अक्षमता की वजह से पीछे रह जाते हैं. स्कूल में पढ़ने वाले शिक्षकों ने कहा कि अगर सरकारी स्तर पर उन्हें बेहतर व्यवस्था दी जाए, किसी संस्थान द्वारा संसाधन मुहैया कराई जाए तो आने वाले दिनों में यह शिक्षक और भी बेहतर तरीके से स्पेशल चाइल्ड को शिक्षित कर पाएंगे. स्पेशल बच्चों को कई तरह की ऐसी कला सीखा पाएंगे जो आने वाले दिनों में उन्हें लाभ पहुंचाएगा. शिक्षक दिवस के मौके पर इन सभी शिक्षकों ने कहा कि उनके लिए उनका दिव्यांग छात्र ही सबसे बड़ा धरोहर है. इस धरोहर को बचाने के लिए वह समाज में शिक्षा की ज्योत जला रहे हैं.

Last Updated :Sep 4, 2023, 5:39 PM IST
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