सज धजकर तैयार हुआ रांची का बड़ा तालाब छठ घाट, अर्घ्य के दौरान एनडीआरएफ की टीम रहेगी मौजूद

सज धजकर तैयार हुआ रांची का बड़ा तालाब छठ घाट, अर्घ्य के दौरान एनडीआरएफ की टीम रहेगी मौजूद
Ranchi Bada Talab Chhath Ghat is fully decorated महापर्व छठ में आज अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इसके लिए रांची के बड़ा तालाब में काफी तैयारी की गई है. एहतियात के तौर पर यहां एनडीआरएफ की टीम भी तैयार रहेगी.
रांची: सूर्य उपासना के महापर्व छठ की तैयारी पूरी हो गई है. राजधानी रांची में बड़ा तालाब सहित विभिन्न छठ घाटों पर स्थानीय पूजा समिति और प्रशासन के द्वारा व्यापक तैयारियां की गईं हैं. जिससे किसी तरह की परेशानी छठ व्रतियों और श्रद्धालुओं को ना हो. बड़ा तालाब को भव्य रूप से छठ को लेकर तैयार किया गया है. यहां हजारों श्रद्धालु हर वर्ष छठ के मौके पर भगवान भास्कर को अर्घ्य देते हैं.
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रांची के बड़ा तालाब में इस साल कोलकाता से आए कारीगर के द्वारा पुष्प सज्जा की गई है. वहीं नगर निगम के द्वारा छठ व्रत के लिए कई प्रबंध किए गए हैं. बड़ा तालाब छठ घाट के नजदीक महिला छठव्रती के लिए कपड़ा बदलने का स्थान बनाया गया है. वहीं छठ घाट की साफ सफाई की गई है. गौरतलब है कि बड़ा तालाब सहित रांची में नगर निगम के द्वारा 71 छठ घाट सूचीबद्ध है जहां इस साल लाखों श्रद्धालु 19 और 20 नवंबर को एक साथ भगवान सूर्य की आराधना करते नजर आएंगे.
छठ अर्घ्य के दौरान एनडीआरएफ की टीम रहेगी मौजूद: बड़ा तालाब की गहराई और पूर्व के अनुभवों को देखते हुए रांची जिला प्रशासन के द्वारा कई एहतियाती कदम उठाए गए हैं. अर्घ्य के दौरान पानी के अंदर जाने के लिए स्थान निर्धारित किया गया है. इसके अलावा चेतावनी पट्ट भी लगाई गई है, जिससे किसी तरह का खतरा न हो. वहीं, अर्घ्य के दौरान एनडीआरएफ की टीम भी गोताखोरों के साथ बड़ा तालाब में मौजूद रहेगी. जिससे आपात स्थिति में राहत बचाव किया जा सके.
बड़ा तालाब छठ पूजा समिति के अध्यक्ष राजीव रंजन मिश्रा कहते हैं कि चूंकि तालाब बहुत गहरा है और छठ के दौरान लोगों की भीड़ होती है तो ऐसे में खतरा होने की आशंका रहती है. एनडीआरएफ की टीम ने विजिट किया है. छठ की तैयारी पूरी हो चुकी है और अब इंतजार है उस साक्षात देव की आराधना की. जिसके लिए कई दिनों से तैयारी की जा रही थी. इस तरह से चार दिवसीय इस लोक आस्था का महापर्व का समापन पारण के साथ सोमवार 20 नवंबर को हो जाएगा.
