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नक्सलियों के गढ़ की बदल गई तस्वीर...सजने लगे बाजार, बनने लगे पक्के मकान

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Published : Nov 15, 2021, 8:26 PM IST

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नक्सलियों का खात्मा

पलामू जिला एक समय नक्सलियों का गढ़ माना जाता था. लेकिन अब इस जिले की तस्वीर बदल गई. सुरक्षाबलों ने लगातार कार्रवाई कर नक्सलियों की कमर तोड़ दी है. पलामू में नक्सल समाप्ति की ओर है. जहां पहले नक्सलियों को खौफ से हाट-बाजार नहीं लगते थे. लोग बाइक नहीं खरीदते थे. वहां आज हाट-बाजार भी लग रहा है और लोग बाइक भी खरीद रहे हैं और बेखौफ होकर अपनी जिंदगी जी रहे हैं.

पलामू: यह जिला अविभाजित बिहार-झारखंड में नक्सल आंदोलन का बड़ा गढ़ रहा है. एक दौर था जब इलाके में लोग गोलियों की तड़तड़ाहट सुनते थे. नक्सलियों के खौफ के कारण यहां बाजार नहीं सजते थे, पक्के मकान नहीं बनते थे और लोग बाइक नहीं खरीदते थे. लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं. पुलिस और सुरक्षा बलों की मौजूदगी में लोग मुख्यधारा में जुड़ गए हैं. अब इलाके में जवानों के बूट की आवाज गूंजती है. जवानों के बूट की आवाज ने बुलेट के आवाज को दबा दिया है. ऐसा एक दिन में नहीं हुआ है, बल्कि इसके लिए कई साल लग गए और कई जवान शहीद हुए.

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झारखंड गठन के बाद पलामू के इलाके में नक्सल संगठन बेहद कमजोर होते चले गए. 2012-13 तक नक्सल संगठन पलामू के इलाके में बेहद ही मजबूत थे. लेकिन पुलिस और सुरक्षाबलों के अभियान के कारण नक्सल संगठन आज अंतिम सांसे गिन रहा है. नक्सल संगठनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पलामू पुलिस ने डेढ़ दर्जन के करीब पुलिस पिकेट की स्थापना की है. पिकेट ने पलामू के तस्वीर को पूरी तरह से बदल दिया. स्थानीय मुन्ना खान बताते हैं कि यह बेहद सुखद है कि पलामू में सुरक्षित माहौल तैयार हुआ है. लोग खौफ से बाहर निकले हैं. सरकार लोगों को मुख्यधारा से जोड़ रही है.

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लोग खौफ से नहीं खरीदते थे बाइक

पलामू का चक, डगरा, महूदंड, पथरा, कुहकुह ऐसे इलाके हैं जो नक्सलियों का गढ़ माने जाते थे. इन इलाकों में लोग नक्सलियों के खौफ से बाइक नहीं खरीदते थे और न ही इलाके में हाट और बाजार लगते थे. 2009-10 में मनातू के चक को नक्सलियों ने एक साल के लिए बंद करवा दिया था. 2012-13 तक चक के इलाके में मात्र 10 से 15 लोगों के पास बाइक थी. लेकिन आज चक के इलाके में 400 से अधिक बाइक हैं. पहले लोगों को डर लगता था कि नक्सल संगठन उनके बाइक का इस्तेमाल करना शुरू कर देंगे. नक्सल इलाके के रहने वाले युवा देवानंद ने बताया कि अब उनके घर में बाइक खरीदे जाने लगे हैं और इलाके में हाट-बाजार भी शुरू हो गया है. लोग मुख्य धारा से जुड़ रहे हैं.

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नक्सल मुक्त की तरफ बढ़ रहा है पलामू

2011 की जनसंख्या के अनुसार पलामू की आबादी 19.36 लाख है. नक्सल हिंसा के कारण 15 लाख की आबादी कभी प्रभावित थी. लेकिन आज पलामू नक्सल मुक्त की तरफ बढ़ रहा है. पलामू के एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने बताया कि पहले के पलामू और अब के पलामू में काफी बदलाव हुआ है. लोग आर्थिक रूप से उन्नति कर रहे हैं. सुरक्षित माहौल तैयार हुआ है. एसपी ने बताया कि पलामू नक्सल मुक्त होने की तरफ बढ़ा है. सरकार और पुलिस नक्सली संगठनों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है.

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