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प्रोफेसर धूमल का तथ्यों वाला पाठ, हिमाचल के हितों पर कांग्रेस सरकार को आंकड़ों के जरिए दिखाया आइना

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 18, 2024, 7:06 AM IST

Prem Kumar Dhumal on Congress Govt: हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने कांग्रेस द्वारा भाजपा को हिमाचल विरोध कहने पर पलटवार किया है. धूमल ने कांग्रेस को आंकड़ों और तथ्यों का पाठ पढ़ाया और प्रदेश के हितों के लिए किए भाजपा के काम गिनवाए. उन्होंने विद्युत परियोजनाओं में रॉयल्टी और हिमाचल के हिस्से का मुद्दा उठाया.

Prem Kumar Dhumal on Congress Govt
Prem Kumar Dhumal on Congress Govt

शिमला: अमूमन नियमित बयान देने से परहेज करने वाले पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल ने कांग्रेस सरकार को आंकड़ों के जरिए आइना दिखाया है. प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल ने कांग्रेस सरकार को तथ्यों वाला पाठ पढ़ाते हुए हिमाचल के हितों पर आंकड़ों का ब्यौरा दिया है. पूर्व सीएम ने कहा कि उन्हें कांग्रेस सरकार के उस बयान पर आश्चर्य हुआ है, जिसमें भाजपा को हिमाचल विरोधी बताया गया है. प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि बयान देने से पहले कांग्रेस सरकार ने ऐतिहासिक तथ्यों का ध्यान नहीं रखा है. ऐसे में ये भाजपा की जिम्मेदारी है कि जनता को तथ्यात्मक बातें बताई जाएं.

शिमला से जारी बयान के माध्यम से पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि पहली नवंबर 1966 को पंजाब का पुनर्गठन हुआ. तब हरियाणा नया राज्य बना और पहाड़ी क्षेत्र हिमाचल में शामिल हुआ. उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार सत्तासीन थी. संसद में पारित किए गए कानून पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 के तहत जितनी आबादी पुनर्गठन के आधार पर जिस प्रदेश में गई उतनी ही परिसंपत्तियां और देनदारियां उस राज्य को मिली.

प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि उस दौरान देश और तीनों प्रदेशों में कांग्रेस की सत्ता थी, लेकिन दुख की बात है कि जब भाखड़ा बांध व अन्य परियोजनाओं का बंटवारा हो रहा था तब हिमाचल सरकार के मुख्यमंत्री या मंत्री किसी बैठक में शामिल ही नहीं हुए. इस कारण हिमाचल का दावा कमजोर रहा. तथ्य सामने लाते हुए पूर्व सीएम ने कहा कि भाजपा ने ही विद्युत परियोजनाओं में रॉयल्टी और हिमाचल के हिस्से का मुद्दा उठाया था. भाजपा ने इन मांगों को लेकर हिमाचल से लेकर दिल्ली तक अधिकार यात्रा निकाली थी. उस यात्रा में पंचायत समिति से लेकर संसद तक के प्रतिनिधि शामिल हुए थे. पूर्व सीएम शांता कुमार तब विधायक दल के नेता थे और उनकी अगुवाई में अधिकार यात्रा निकली थी. पूर्व सीएम ने कहा कि उस समय वे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे.

धूमल ने कहा कि दिल्ली में भाजपा ने प्रदेश हित की मांगों को लेकर धरना दिया था. तब अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, कृष्ण लाल शर्मा आदि नेता धरने में शामिल हुए थे. धूमल ने कहा कि परियोजनाओं में 12 फीसदी निशुल्क बिजली वाला मुद्दा सीएम रहते हुए शांता कुमार ने ही उठाया था. तत्कालीन केंद्रीय ऊर्जा मंत्री कल्पनाथ राय ने इसका समर्थन भी किया था. धूमल ने दावा किया कि हिमाचल को रॉयल्टी दिलाने का श्रेय भी भाजपा नेतृत्व को जाता है.

पूर्व सीएम ने कहा कि वर्ष 1995 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में हिमाचल के हिस्से के लिए सरकार की तरफ से केस दाखिल करने का फैसला लिया था. वर्षों तक ये मामला अदालत में लटका रहा. वर्ष 2008 में सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार के मुखिया के रूप में उन्होंने मामले की पैरवी के लिए सुप्रीम कोर्ट में वकीलों की नियुक्ति की. भाजपा सरकार के प्रयासों से सितंबर 2012 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला हिमाचल के हक में आया. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार 12 प्रतिशत निशुल्क बिजली के अलावा पंजाब पुनर्गठन एक्ट के तहत हिमाचल को 7.19 प्रतिशत हिस्सा पहली नवंबर 1966 से मिला.

धूमल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राज्य सरकार ने एक समिति का गठन किया. समिति ने गणना की और नवंबर 1966 से सितंबर 2012 तक का 4300 करोड़ रुपए के बकाया की राशि बनी. यह बकाया राशि बीबीएमबी परियोजनाओं के हिस्सेदार राज्यों पंजाब, हरियाणा, राजस्थान को देय निकली. फिर दिसंबर 2012 में कांग्रेस सत्ता में आई, लेकिन 2017 तक 4300 करोड़ का बकाया लेने के लिए उसने क्या कदम उठाए, ये जनता को बताया जाए. पूर्व सीएम ने कहा कि इसी से तथ्य सामने आएंगे कि हिमाचल विरोधी मानसिकता किसकी है. प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि 4300 करोड़ रुपए बकाया की गणना भी उनकी सरकार के समय में गठित समिति ने कैलकुलेट किया था. पूर्व सीएम ने कहा कि कांग्रेस सरकार को आरोप लगाने से पहले ऐतिहासिक तथ्यों का अध्ययन करना चाहिए.

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