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शिलाई की बेटी ने मंत्री के सामने खोली पोल, लोगों के लिए होगी सुख की सरकार, लेकिन शिक्षा के मोर्चे पर असफल

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 17, 2024, 10:30 PM IST

sarkar gaon ke dwar program
शिलाई की बेटी ने मंत्री के सामने खोली पोल

Sarkar Gaon Ke Dwar Program: हिमाचल के जिला सिरमौर जिले में 'सरकार गांव के द्वार कार्यक्रम' में एक छात्रा ने मंत्री हर्षवर्धन चौहान की किरकिरी कर दी. छात्रा ने शिक्षा के क्षेत्र को लेकर सवाल खड़े किए. यूं कहें कि छात्रा ने महफिल लूट ली. इस दौरान लोगों ने भी खूब तालियां बजाई. क्या है सारा मामला पढ़ें पूरी खबर...

'सरकार गांव के द्वार कार्यक्रम' में छात्रा VS मंत्री.

सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के विधानसभा क्षेत्र शिलाई के बकरास में बुधवार को हुए 'सरकार गांव के द्वार कार्यक्रम' में उद्योग एवं संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान के सामने ही जमा दो की कक्षा उत्तीर्ण कर चुकी एक अनाथ बच्ची ने शिलाई जैसे दुर्गम क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी. बता दें कि उद्योग मंत्री इसी हल्के से विधायक भी हैं. छात्रा ने सीधे शब्दों में मंत्री जी के सामने यहां तक कह डाला कि जैसे कि सरकार का टाइटल है सुख की सरकार. लोगों के लिए हो सकती है सुख की सरकार, लेकिन उसे लगता है कि शिक्षा के क्षेत्र में कहीं न कहीं सरकार असफल हो रही है, जिसमें बड़े बदलाव की जरूरत है. इस छात्रा के करीब अढ़ाई मिनट के वक्तव्य के दौरान लोगों ने भी खूब तालियां बजाईं.

दरअसल हुआ यूं कि कार्यक्रम में लोगों को भी बोलने का मौका दिया गया. इस दौरान स्थानीय बच्ची को माइक मिला, तो बच्ची ने लोगों की भीड़ के बीच बोलना शुरू किया. शुरुआत में बच्ची ने कहा कि सरकार ने उन जैसे बच्चों को 'चाइल्ड ऑफ द स्टेट' का दर्जा दिया है. पढ़ाई जारी रखने के लिए उनके खाते में भी 4,000 रुपए के हिसाब से 16,000 रुपए की राशि जमा हुई है. ये सरकार की अच्छी पहल है, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में हालात ठीक नहीं है.

1964 से आज तक नहीं पढ़ाया जा रहा विज्ञान विषय: छात्रा ने कहा कि बकरास स्कूल से उन्होंने बारहवीं उत्तीर्ण की है. शिक्षकों के अभाव में इस स्कूल का बुरा हाल है. 1964 में बकरास स्कूल की नींव रखी गई थी, लेकिन आज तक यहां पूरा स्टाफ नहीं है. हैरानी इस बात की है कि आज तक यहां विज्ञान के विषय नहीं पढ़ाए जा रहे. यहां सिर्फ बच्चों को राजनीतिक शास्त्र और इतिहास की पढ़ाई करने का विकल्प दिया गया है. इस समस्या के समाधान की मांग छात्रा ने उद्योग मंत्री के समक्ष उठाई.

अपने निजी हितों के लिए नहीं बल्कि बच्चों के लिए भी उठाए आवाज: छात्रा ने मंत्री जी के सामने बकरास क्षेत्र के लोगों से भी आग्रह किया कि वह केवल अपनी निजी हितों के लिए ही नहीं, बल्कि अपने बच्चों के भविष्य के लिए भी सरकार के समक्ष आवाज उठाएं. सरकार ने स्कूल को खोल दिए. उदाहरण देते हुए छात्रा ने कहा कि ग्राम भट्यूड़ी में भी मिडल स्कूल को खोल दिया, लेकिन वहां भी मात्र दो अध्यापक है, उसमें से भी एक अध्यापक एसएमसी के माध्यम से रखा गया है. शिक्षकों के अभाव के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है.

अभिभावकों के पास नहीं कोई दूसरा विकल्प: छात्रा ने कहा कि दुर्गम क्षेत्र शिलाई में अभिभावकों के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है, क्योंकि यहां के लोग आर्थिक रूप से उतने सम्पन्न नहीं है कि अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भेजे सके. मजबूरन उन्हें अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही भेजना पड़ता है, लेकिन इसके विपरीत सरकारी स्कूलों के हाल बहुत बुरे है. जिस तरह से हम अपने आसपास के वातावरण में देख रहे हैं, उससे लगता है कि सरकार शिक्षा के क्षेत्र में कहीं न कहीं असफल हो रही है. अब भी बहुत सारे क्षेत्रों खास शिक्षा के क्षेत्र में बहुत कुछ करने की आवश्यकता है. सभी स्कूलों में शिक्षकों के पदों को भरना होगा. हरेक विषय के शिक्षक स्कूल में होने चाहिए. तभी बच्चों का भविष्य सुधर सकता है.

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