ETV Bharat / bharat

हिमाचल कांग्रेस की राम नाम दुविधा, लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा फ्रंटफुट पर तो कांग्रेस असमंजस में

author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 17, 2024, 9:49 PM IST

Politics On Ayodhya Ram Temple: 22 जनवरी को अयोध्या राम मंदिर में रामलला का प्राण प्रतिष्ठा होने जा रहा है, जिसका पूरा देश बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहा है. वहीं, राम मंदिर को लेकर सियासत चरम पर है. जहां बीजेपी 2024 में राम मंदिर का मुद्दा भुनाएगी. वहीं, कांग्रेस का राम मंदिर से मिले निमंत्रण को अस्वीकार करना कही चुनावों में उस पर भारी न पड़ जाए. पढ़िए पूरी खबर...

Politics On Ayodhya Ram Temple
हिमाचल कांग्रेस की राम नाम दुविधा

शिमला: इन दिनों देशभर में श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह की धूम है. सियासत के गलियारों में भी चर्चा का केंद्र राम लला और राम मंदिर ही है. कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दल प्राण प्रतिष्ठा समारोह को राजनीति से जोड़ रहे हैं और इसे भाजपा का चुनावी इवेंट बता रहे हैं. इधर, लोकसभा चुनाव सिर पर हैं और हिमाचल कांग्रेस की राम नाम दुविधा का कोई अंत नहीं नजर आ रहा. कांग्रेस राम नाम की महिमा भी गा रही है और उसे अल्पसंख्यक वोट बैंक के छिटकने का खतरा भी है.

लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने का दावा: आलम ये है कि हिमाचल के डिप्टी सीएम ने राम सौगंध खाते हुए दावा किया है कि इस बार भाजपा को हिमाचल की चारों लोकसभा सीटों पर हराएंगे. फिलहाल, राम मंदिर निर्माण और श्री राम लला प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर भाजपा फ्रंटफुट पर है और कांग्रेस दुविधा की स्थिति में है. लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे का हिमाचल के वोटर्स पर क्या प्रभाव होगा और सियासी दल इसे कैसे भुनाएंगे, इसे लेकर इन दिनों चौक-चौराहों पर चर्चा का बाजार गर्म है. आइए, देखते हैं कि हिमाचल की चार सीटों पर ये मुद्दा किस तरह से प्रभावी होगा.

कांग्रेस हाईकमान का इनकार और विक्रमादित्य की हुंकार: विश्व हिन्दू परिषद व संघ परिवार के जनसंपर्क विंग ने मंदिर ट्रस्ट की तरफ से कांग्रेस के सर्वोच्च नेताओं सोनिया गांधी व मल्लिकार्जुन खड़गे को निमंत्रण दिया था, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया. कांग्रेस हाईकमान के इनकार से पहले हिमाचल में विक्रमादित्य सिंह ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाना स्वीकार किया था. उन्होंने कई बार अपने सोशल मीडिया पन्ने पर भी हुंकार भरी थी कि वो समारोह में जरूर जाएंगे. बाद में विक्रमादित्य सिंह अपने स्पष्ट बयानों की बजाय गोलमोल बयानों पर आ गए. पहले उन्होंने कहा था कि वे निमंत्रण के लिए आरएसएस व विहिप के आभारी हैं, बाद में वे बोले कि उक्त संगठनों के साथ कांग्रेस का वैचारिक मतभेद है.

हिमाचल के मंत्रियों में सिर्फ विक्रमादित्य सिंह को निमंत्रण: विक्रमादित्य सिंह पहले हर हाल में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने का दावा कर रहे थे, बाद में वे कहने लगे कि ऐसे आयोजनों में पवित्र मन से जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब मौका मिलेगा, वे अयोध्या जाएंगे. सोशल मीडिया यूजर्स इसे हाईकमान के दबाव में विक्रमादित्य सिंह का यू टर्न बता रहे हैं. बता दें कि विक्रमादित्य सिंह हिमाचल से अकेले राजनेता है, जिन्हें प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण मिला है. ये निमंत्रण उनकी माता और पीसीसी चीफ प्रतिभा सिंह व उनके नाम आया है. वैसे भाजपा के पूर्व सांसद महेश्वर सिंह को भी निमंत्रण है, लेकिन वो राजनेता के नाते नहीं बल्कि भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार के रूप में है.

वीरभद्र सिंह थे मंदिर निर्माण के प्रबल पक्षधर: कांग्रेस के दिग्गज राजनेता वीरभद्र सिंह जननेता थे. वे राम मंदिर निर्माण के प्रबल पक्षधर थे. वीरभद्र सिंह ने कई मर्तबा राम मंदिर के पक्ष में धाकड़ बयान दिए थे. हाल ही में विक्रमादित्य सिंह ने ये खुलासा किया कि वीरभद्र सिंह ने अपने जीवन के अंतिम क्षणों में राम मंदिर निर्माण के लिए निजी कोष से एक अच्छी खासी रकम भी दी थी. वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा का कहना है कि वीरभद्र सिंह अपने आप में एक संस्था थे और वे कभी हाईकमान के दबाव में नहीं आए. ये वीरभद्र सिंह ही थे, जो दिल्ली में रहकर भी हाईकमान की ऐन नाक के नीचे राम मंदिर निर्माण की बात कहते थे. यदि वीरभद्र सिंह मौजूद होते तो वे प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर जरूर स्पष्ट और मजबूत निर्णय लेते और उससे पीछे नहीं हटते. अब कांग्रेस में प्रदेश स्तर पर ऐसा मास लीडर नहीं है.

हिमाचल सरकार के डिप्टी सीएम की राम सौगंध: कभी वीरभद्र सिंह के करीबी रहे और वर्तमान में हिमाचल सरकार के डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने लोकसभा चुनाव से पहले राम की सौगंध खाई है. डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने शिमला में राम नाम की सौगंध खाकर दावा किया कि हिमाचल में बीजेपी को चारों सीटों पर हराएंगे. मुकेश अग्निहोत्री के इस बयान के बाद हिमाचल में लोकसभा चुनाव में राम नाम की गूंज की चर्चा है. आम जनता ये समझ रही है कि भाजपा तो इस मुद्दे को फ्रंटफुट पर आकर भुनाएगी, लेकिन कांग्रेस भी किसी न किसी रूप में राम नाम का सहारा लेकर चुनावी नैया पार लगाने की जुगत भिड़ाएगी.

सीएम सुखविंदर सिंह दे रहे संतुलित बयान: उधर, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू इस मामले पर संतुलित बयान दे रहे हैं. वे कहते हैं कि अयोध्या जाकर प्रभु श्रीराम के दर्शन करने के लिए उन्हें किसी के निमंत्रण की जरूरत नहीं है. सीएम के अनुसार प्रभु श्री राम सबके हैं और जब बुलावा आएगा, वो दर्शन करने के लिए जाएंगे. हालांकि, डिप्टी सीएम के राम कसम वाले बयान के बाद ये चर्चा चल पड़ी कि कांग्रेस को भी चुनाव जीतने के लिए राम नाम का सहारा लेने की नौबत आ गई है. उधर, प्रतिभा सिंह तो राम मंदिर निर्माण को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी का आभार तक जता चुकी हैं. यहां गौर करने वाली बात है कि इस समय सीएम सुखविंदर सिंह बेशक भगवान राम के मंदिर को लेकर संतुलित बयान दे रहे हैं, लेकिन भाजपा उनका वो बयान उछालती रही है, जिसमें सीएम ने 97 फीसदी हिन्दू आबादी वाले राज्य में भाजपा को हराने की बात कही थी.

हिमाचल में ही पास हुआ था राम मंदिर निर्माण का प्रस्ताव: हिमाचल से राम मंदिर निर्माण का गहरा नाता है. हिमाचल के कांगड़ा जिला के पालमपुर में राम मंदिर प्रस्ताव पारित हुआ था. अटल बिहारी वाजपेयी, विजयाराजे सिंधिया, एलके आडवाणी सहित भाजपा के दिग्गज पालमपुर में जुटे थे. ये वर्ष 1989 में जून महीने की बात है. ऐसे में हिमाचल और राम मंदिर का भावुक रिश्ता है. भाजपा इस मामले में हमेशा की तरह फ्रंटफुट पर खेलेगी. कांग्रेस असमंजस में ही है कि वो कैसे खुद को राम विरोधी होने के टैग से बचाए. भाजपा ये सवाल उठा रही है कि सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के खिलाफ पार्टी ने 22 वकील खड़े किए थे. राम को काल्पनिक कहा था. ऐसे में कांग्रेस किस मुंह से राम नाम लेगी? अब हिमाचल सरकार के डिप्टी सीएम ने लोकसभा चुनाव में जीत के दावे को लेकर राम सौगंध खा ली है, लेकिन ये देखना होगा कि आने वाले समय में कांग्रेस राम नाम के प्रति अपनी स्थिति स्पष्ट करती है या फिर गोलमोल रुख अपनाती है.

ये भी पढ़ें: बीजेपी सरकार ने जनमंच पर 36 करोड़ खर्च किए, 'सरकार गांव के द्वार' में कोई खर्चा नहीं- CM सुक्खू

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.