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जानें हिमाचल प्रदेश की चारों लोकसभा सीटों का हाल, किस सीट से कौन किस पर है भारी ? - Himachal Lok Sabha Election 2024

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 18, 2024, 2:17 PM IST

Himachal Lok Sabha Hot Seats Voting and Counting Date: हिमाचल प्रदेश में अंतिम चरण में 1 जून को मतदान होना है. फिलहाल सभी प्रत्याशी चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं. हिमाचल में हमेशा की तरह इस बार भी कांग्रेस और बीजेपी में ही सीधी टक्कर है लेकिन इस बार मुकाबला बहुत ही दिलचस्प होने वाला है. जानें किस सीट से कौन किस पर भारी है ?

हिमाचल में लोकसभा चुनाव
हिमाचल में लोकसभा चुनाव (Etv Bharat)

शिमला: हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव इस बार दिलचस्प होने वाला है. कांग्रेस और बीजेपी की ओर से उतारे गए उम्मीदवार भी इसकी एक वजह हैं. इस बार कांग्रेस और बीजेपी के कुछ खास चेहरे सियासी रण में है. साथ ही बीते लोकसभा चुनाव के नतीजे और मौजूदा सियासी हालात भी इस बार के आम चुनाव में दिलचस्पी बढ़ा रहे हैं. हिमाचल प्रदेश में कुल चार लोकसभा सीटें हैं. शिमला, हमीरपुर, मंडी और कांगड़ा चारों ही सीटें 2014 और फिर 2019 में भी बीजेपी के पास थीं. इस बार भी बीजेपी क्लीन स्वीप का दावा कर रही है. लेकिन सवाल है कि क्या बीजेपी 4-0 की हैट्रिक लगा पाएगी ? या कांग्रेस इस बार बीजेपी का विजय रथ रोक देगी ? हिमाचल में 1 जून को लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में मतदान होना है. वोटिंग से पहले जानते हैं हिमाचल की चारों सीटों का समीकरण और किस सीट पर किसका पलड़ा भारी है. हर सीट पर दोनों दलों की ताकत और कमजोरी क्या है ?

मंडी लोकसभा सीट

हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट इस वक्त देशभर में चर्चा का विषय बनी हुई है और इसकी वजह है बीजेपी प्रत्याशी कंगना रनौत. फिल्मी पर्दे की 'क्वीन' को बीजेपी ने टिकट दिया तो छोटे से पहाड़ी राज्य को आम चुनाव की हेडलाइन बना दिया. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने कंगना को टक्कर देने के लिए हिमाचल सरकार के कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह को मैदान में उतारा है. जिसकी वजह से मंडी की जंग सबसे दिलचस्प सियासी जंग साबित हो सकती है. सियासी जानकार मानते हैं कि कांग्रेस ने विक्रमादित्य सिंह को टिकट देकर मंडी की जंग को दिलचस्प बना दिया है और अब इस सीट पर कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है.

मंडी लोकसभा सीट की जंग
मंडी लोकसभा सीट की जंग (ETV Bharat)

कंगना रनौत जानी-मानी फिल्म स्टार हैं और सियासत के मैदान में डेब्यू कर रही हैं. उन्हें इन चुनावों में मोदी मैजिक और बीजेपी के कैडर का सहारा है. ये बात खुद कंगना भी मानती हैं. इन दिनों वो चुनाव प्रचार में एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं और उन्हें हिमाचल के बीजेपी नेताओं का भी साथ मिल रहा है. जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आएगी बीजेपी के स्टार प्रचारकों का साथ भी उन्हें मिलेगा. जिनमें पीएम मोदी से लेकर जेपी नड्डा, अमित शाह और तमाम केंद्रीय मंत्रियों से लेकर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होंगे. कंगना रनौत की रैलियों में भीड़ भी उमड़ रही है. वो ज्यादातर महिलाओं से जुड़े मुद्दे उठाकर आधी आबादी पर निशाना लगा रही हैं. महिलाओं में भी उनके साथ सेल्फी लेने की होड़ लगी हुई है.

ये भी पढ़ें: कंगना-विक्रमादित्य सिंह दोनों करोड़पति, जानें कौन है ज्यादा अमीर

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ये भी पढ़ें: 100 करोड़ से अधिक संपत्ति के मालिक विक्रमादित्य सिंह के एक बैंक खाते में 123 रुपये, रामपुर के बैंक में 828 रुपये

दूसरी तरफ रामपुर बुशहर रियासत के राजा विक्रमादित्य सिंह लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं और पहली बार लोकसभा के रण में ताल ठोक रहे हैं. शिमला ग्रामीण सीट से विधायक विक्रमादित्य सिंह मौजूदा कांग्रेस सरकार में पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर हैं. वो हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे हैं. वीरभद्र सिंह 6 बार हिमाचल के सीएम, 4 बार सांसद, केंद्रीय मंत्री रहे. विक्रमादित्य सिंह की मां प्रतिभा सिंह मौजूदा समय में मंडी से सांसद हैं. 2021 में बीजेपी सांसद रामस्वरूप शर्मा के निधन के बाद उन्होंने उपचुनाव जीता था. वो तीसरी बार मंडी से सांसद और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हैं. वीरभद्र सिंह भी मंडी लोकसभा सीट से 3 बार संसद पहुंचे हैं. पिता के नाम और उनकी सियासी विरासत विक्रमादित्य सिंह के साथ है. 34 साल के विक्रमादित्य सिंह युवाओं के बीच काफी चर्चित हैं. मौजूदा समय में हिमाचल में कांग्रेस की सरकार है जिसका फायदा विक्रमादित्य सिंह को मिल सकता है. कांग्रेस के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू समेत राज्य सरकार के मंत्री मंडी में विक्रमादित्य सिंह के लिए वोट मांग रहे हैं और कुछ दिन बाद राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी समेत कांग्रेस के स्टार प्रचारक भी इस रण में दिखेंगे. कुल मिलाकर मंडी सीट हिमाचल ही नहीं देश की सबसे हॉट सीटों में शुमार है, जहां ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है.

हमीरपुर लोकसभा सीट

हमीरपुर लोकसभा सीट पर पीएम नरेंद्र मोदी के मंत्री की साख दांव पर हैं. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर यहां से लगातार 4 बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं और पांचवी बार जीत का दावा कर रहे हैं. इससे पहले अनुराग ठाकुर भाजयुमो के अध्यक्ष से लेकर बीसीसीआई अध्यक्ष और मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री की जिम्मेदारी निभा चुके हैं. वो पार्टी के सबसे प्रभावशाली युवा नेताओं में शुमार रहे हैं. अच्छे वक्ता होने के नाते वो देशभर के लगभग हर चुनाव में बीजेपी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल होते हैं. वो हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे हैं और उनके भाई अरुण धूमल मौजूदा समय में आईपीएल के चेयरमैन हैं.

हमीरपुर लोकसभा सीट की जंग
हमीरपुर लोकसभा सीट की जंग (ETV Bharat)

ये भी पढ़ें: करोड़पति अनुराग ठाकुर के नाम नहीं एक भी गाड़ी, पत्नी के पास लाखों के गहने और एक पिस्टल

ये भी पढ़ें: दसवीं पास सतपाल रायजादा की पत्नी के पास उनसे अधिक संपत्ति, कांगड़ा से भाजपा प्रत्याशी राजीव भारद्वाज भी करोड़पति

उधर कांग्रेस ने हमीरपुर लोकसभा सीट से पूर्व विधायक सतपाल रायजादा को टिकट दिया है. 2017 के हिमाचल विधानसभा चुनाव में सतपाल रायजादा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती को मात दे चुके हैं. 2022 में वो चुनाव हार गए लेकिन पार्टी ने इस बार उन्हें अनुराग ठाकुर के सामने उन्हें उतारा है. सियासी जानकार मानते हैं कि हमीरपुर के किले में सेंध लगाना कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा. 2019 में अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस उम्मीदवार रामलाल ठाकुर को करीब 3 लाख वोटों से हराया था. राज्य में कांग्रेस की सरकार का साथ जरूर रायजादा को मिल रहा है. तो वहीं अनुराग ठाकुर के साथ बीजेपी के स्टार प्रचारकों की भारी-भरकम फौज है. सियासी पंडितों की मानें तो हमीरपुर सीट कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित होगी.

कांगड़ा लोकसभा सीट

हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा लोकसभा सीट पर दो ब्राह्मण चेहरों में सीधी टक्कर है. बीजेपी ने यहां से डॉ. राजीव भारद्वाज को मैदान में उतारा है. जो मौजूदा समय में बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं. लंबे वक्त से बीजेपी के साथ जुड़े राजीव भारद्वाज ने पार्टी में कई अहम जिम्मेदारियां निभाई हैं लेकिन पहली बार चुनाव मैदान में उतर रहे हैं. कांगड़ा में राजीव भारद्वाज की अच्छी पकड़ मानी जाती है.

कांगड़ा लोकसभा सीट की जंग
कांगड़ा लोकसभा सीट की जंग (ETV Bharat)

ये भी पढ़ें: आनंद शर्मा के पास कुल 17 करोड़ की संपत्ति, पूर्व मंत्री पर नहीं है एक रुपए का भी कर्ज

ये भी पढ़ें: 'क्वीन' से कम नहीं कंगना रनौत, सोने-चांदी और हीरे के गहने, BMW-मर्सिडीज कार, ₹91.50 करोड़ की संपत्ति

दूसरी तरफ कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा को चुनाव मैदान में उतारकर कांगड़ा की जंग को दिलचस्प बना दिया है. आनंद शर्मा भी पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं इससे पहले वो सिर्फ एक बार विधानसभा चुनाव लड़े हैं, जिसमें उन्हें हार मिली थी. उनकी ज्यादातर राजनीति वाया राज्यसभा हुई है. मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री रहे आनंद शर्मा पर कांग्रेस के इस दांव को सियासी जानकार अच्छा मूव बता रहे हैं. आनंद शर्मा की एंट्री से कांगड़ा का चुनाव भी दिलचस्प हो गया है.

शिमला लोकसभा सीट

ये हिमाचल प्रदेश की इकलौती एससी सीट है. यहां बीजेपी ने मौजूदा सांसद सुरेश कश्यप को ही फिर से चुनाव मैदान में उतारा है. 2012 और 2017 में लगातार दो बाद विधायक बने सुरेश कश्यप का सियासी सफर बीडीसी सदस्य के रूप में शुरू हुआ था. सुरेश कश्यप भारतीय वायुसेना में सेवाएं दे चुके हैं. 2019 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़े और संसद पहुंचे सुरेश कश्यप को इस बार कड़ी टक्कर मिल सकती है.

शिमला लोकसभा सीट की जंग
शिमला लोकसभा सीट की जंग (ETV Bharat)

ये भी पढ़ें: विनोद सुल्तानपुरी-सुरेश कश्यप करोड़ों की संपत्ति के मालिक, 5 साल में इतनी बढ़ी बीजेपी उम्मीदवार और उनकी पत्नी की प्रॉपर्टी

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कांग्रेस ने मौजूदा विधायक विनोद सुल्तानपुरी को शिमला सीट से टिकट दिया है. विनोद सुल्तानपुरी 2012 और 2017 में विधानसभा चुनाव हार चुके हैं. 2022 में वो पहली बार विधायक बने और अब लोकसभा के रण में उतर गए हैं. उनके पिता केडी सुल्तानपुरी शिमला लोकसभा सीट से लगातार 6 बार सांसद रहे, जो एक रिकॉर्ड है. सियासी जानकारों के मुताबिक कांग्रेस ने शिमला सीट पर विनोद सुल्तानपुरी को टिकट देकर दांव तो शानदार चला है लेकिन इस दांव को जीत में बदलना बड़ी चुनौती हो सकता है.

बीजेपी उम्मीदवारों को मोदी और कांग्रेसियों को अपनी सरकार का सहारा

सियासी पंडित मानते हैं कि 2014 और 2019 की तरह इस बार भी बीजेपी को सबसे ज्यादा मोदी मैजिक का सहारा है. हिमाचल के भाजपा उम्मीदवारों के साथ भी कमोबेश यही स्थिति है. अनुराग ठाकुर अपने दम पर सीट निकालने का माद्दा रखते हैं लेकिन कंगना रनौत हर मंच पर मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने और जीत का दावा कर चुकी हैं. वहीं सुरेश कश्यप और राजीव भारद्वाज भी इसी कतार में खड़े हैं. उधर कांग्रेस के पास भले बीजेपी की तरह मोदी मैजिक या स्टार प्रचारकों की वैसी फौज ना हो लेकिन कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए सबसे बड़ा सहारा हिमाचल में कांग्रेस की सरकार है. सरकार की ओपीएस और महिलाओं को 1500 रुपये देने जैसी योजनाओं के नाम पर कांग्रेस वोट मांग रही है. उधर बीजेपी केंद्र सरकार की योजनाएं गिना रही हैं. कुल मिलाकर इस बार हिमाचल की सियासी फिजा 2014 और 2019 से कुछ हटकर है. जिस तरह से उम्मीदवार उतारे गए हैं वो इशारा कर रहे हैं कि 4 जून को जब नतीजे निकलेंगे तो सियासी गलियारों में चर्चाएं कई दिन चलेंगी.

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ये भी पढ़ें: सबसे ज्यादा वोट लेकर भी चुनाव नहीं जीत सकता NOTA, 2019 में हिमाचल के 33 हजार वोटरों ने ठुकराए थे सभी प्रत्याशी

शिमला: हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव इस बार दिलचस्प होने वाला है. कांग्रेस और बीजेपी की ओर से उतारे गए उम्मीदवार भी इसकी एक वजह हैं. इस बार कांग्रेस और बीजेपी के कुछ खास चेहरे सियासी रण में है. साथ ही बीते लोकसभा चुनाव के नतीजे और मौजूदा सियासी हालात भी इस बार के आम चुनाव में दिलचस्पी बढ़ा रहे हैं. हिमाचल प्रदेश में कुल चार लोकसभा सीटें हैं. शिमला, हमीरपुर, मंडी और कांगड़ा चारों ही सीटें 2014 और फिर 2019 में भी बीजेपी के पास थीं. इस बार भी बीजेपी क्लीन स्वीप का दावा कर रही है. लेकिन सवाल है कि क्या बीजेपी 4-0 की हैट्रिक लगा पाएगी ? या कांग्रेस इस बार बीजेपी का विजय रथ रोक देगी ? हिमाचल में 1 जून को लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में मतदान होना है. वोटिंग से पहले जानते हैं हिमाचल की चारों सीटों का समीकरण और किस सीट पर किसका पलड़ा भारी है. हर सीट पर दोनों दलों की ताकत और कमजोरी क्या है ?

मंडी लोकसभा सीट

हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट इस वक्त देशभर में चर्चा का विषय बनी हुई है और इसकी वजह है बीजेपी प्रत्याशी कंगना रनौत. फिल्मी पर्दे की 'क्वीन' को बीजेपी ने टिकट दिया तो छोटे से पहाड़ी राज्य को आम चुनाव की हेडलाइन बना दिया. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने कंगना को टक्कर देने के लिए हिमाचल सरकार के कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह को मैदान में उतारा है. जिसकी वजह से मंडी की जंग सबसे दिलचस्प सियासी जंग साबित हो सकती है. सियासी जानकार मानते हैं कि कांग्रेस ने विक्रमादित्य सिंह को टिकट देकर मंडी की जंग को दिलचस्प बना दिया है और अब इस सीट पर कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है.

मंडी लोकसभा सीट की जंग
मंडी लोकसभा सीट की जंग (ETV Bharat)

कंगना रनौत जानी-मानी फिल्म स्टार हैं और सियासत के मैदान में डेब्यू कर रही हैं. उन्हें इन चुनावों में मोदी मैजिक और बीजेपी के कैडर का सहारा है. ये बात खुद कंगना भी मानती हैं. इन दिनों वो चुनाव प्रचार में एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं और उन्हें हिमाचल के बीजेपी नेताओं का भी साथ मिल रहा है. जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आएगी बीजेपी के स्टार प्रचारकों का साथ भी उन्हें मिलेगा. जिनमें पीएम मोदी से लेकर जेपी नड्डा, अमित शाह और तमाम केंद्रीय मंत्रियों से लेकर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होंगे. कंगना रनौत की रैलियों में भीड़ भी उमड़ रही है. वो ज्यादातर महिलाओं से जुड़े मुद्दे उठाकर आधी आबादी पर निशाना लगा रही हैं. महिलाओं में भी उनके साथ सेल्फी लेने की होड़ लगी हुई है.

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दूसरी तरफ रामपुर बुशहर रियासत के राजा विक्रमादित्य सिंह लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं और पहली बार लोकसभा के रण में ताल ठोक रहे हैं. शिमला ग्रामीण सीट से विधायक विक्रमादित्य सिंह मौजूदा कांग्रेस सरकार में पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर हैं. वो हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे हैं. वीरभद्र सिंह 6 बार हिमाचल के सीएम, 4 बार सांसद, केंद्रीय मंत्री रहे. विक्रमादित्य सिंह की मां प्रतिभा सिंह मौजूदा समय में मंडी से सांसद हैं. 2021 में बीजेपी सांसद रामस्वरूप शर्मा के निधन के बाद उन्होंने उपचुनाव जीता था. वो तीसरी बार मंडी से सांसद और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हैं. वीरभद्र सिंह भी मंडी लोकसभा सीट से 3 बार संसद पहुंचे हैं. पिता के नाम और उनकी सियासी विरासत विक्रमादित्य सिंह के साथ है. 34 साल के विक्रमादित्य सिंह युवाओं के बीच काफी चर्चित हैं. मौजूदा समय में हिमाचल में कांग्रेस की सरकार है जिसका फायदा विक्रमादित्य सिंह को मिल सकता है. कांग्रेस के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू समेत राज्य सरकार के मंत्री मंडी में विक्रमादित्य सिंह के लिए वोट मांग रहे हैं और कुछ दिन बाद राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी समेत कांग्रेस के स्टार प्रचारक भी इस रण में दिखेंगे. कुल मिलाकर मंडी सीट हिमाचल ही नहीं देश की सबसे हॉट सीटों में शुमार है, जहां ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है.

हमीरपुर लोकसभा सीट

हमीरपुर लोकसभा सीट पर पीएम नरेंद्र मोदी के मंत्री की साख दांव पर हैं. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर यहां से लगातार 4 बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं और पांचवी बार जीत का दावा कर रहे हैं. इससे पहले अनुराग ठाकुर भाजयुमो के अध्यक्ष से लेकर बीसीसीआई अध्यक्ष और मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री की जिम्मेदारी निभा चुके हैं. वो पार्टी के सबसे प्रभावशाली युवा नेताओं में शुमार रहे हैं. अच्छे वक्ता होने के नाते वो देशभर के लगभग हर चुनाव में बीजेपी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल होते हैं. वो हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे हैं और उनके भाई अरुण धूमल मौजूदा समय में आईपीएल के चेयरमैन हैं.

हमीरपुर लोकसभा सीट की जंग
हमीरपुर लोकसभा सीट की जंग (ETV Bharat)

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उधर कांग्रेस ने हमीरपुर लोकसभा सीट से पूर्व विधायक सतपाल रायजादा को टिकट दिया है. 2017 के हिमाचल विधानसभा चुनाव में सतपाल रायजादा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती को मात दे चुके हैं. 2022 में वो चुनाव हार गए लेकिन पार्टी ने इस बार उन्हें अनुराग ठाकुर के सामने उन्हें उतारा है. सियासी जानकार मानते हैं कि हमीरपुर के किले में सेंध लगाना कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा. 2019 में अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस उम्मीदवार रामलाल ठाकुर को करीब 3 लाख वोटों से हराया था. राज्य में कांग्रेस की सरकार का साथ जरूर रायजादा को मिल रहा है. तो वहीं अनुराग ठाकुर के साथ बीजेपी के स्टार प्रचारकों की भारी-भरकम फौज है. सियासी पंडितों की मानें तो हमीरपुर सीट कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित होगी.

कांगड़ा लोकसभा सीट

हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा लोकसभा सीट पर दो ब्राह्मण चेहरों में सीधी टक्कर है. बीजेपी ने यहां से डॉ. राजीव भारद्वाज को मैदान में उतारा है. जो मौजूदा समय में बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं. लंबे वक्त से बीजेपी के साथ जुड़े राजीव भारद्वाज ने पार्टी में कई अहम जिम्मेदारियां निभाई हैं लेकिन पहली बार चुनाव मैदान में उतर रहे हैं. कांगड़ा में राजीव भारद्वाज की अच्छी पकड़ मानी जाती है.

कांगड़ा लोकसभा सीट की जंग
कांगड़ा लोकसभा सीट की जंग (ETV Bharat)

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दूसरी तरफ कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा को चुनाव मैदान में उतारकर कांगड़ा की जंग को दिलचस्प बना दिया है. आनंद शर्मा भी पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं इससे पहले वो सिर्फ एक बार विधानसभा चुनाव लड़े हैं, जिसमें उन्हें हार मिली थी. उनकी ज्यादातर राजनीति वाया राज्यसभा हुई है. मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री रहे आनंद शर्मा पर कांग्रेस के इस दांव को सियासी जानकार अच्छा मूव बता रहे हैं. आनंद शर्मा की एंट्री से कांगड़ा का चुनाव भी दिलचस्प हो गया है.

शिमला लोकसभा सीट

ये हिमाचल प्रदेश की इकलौती एससी सीट है. यहां बीजेपी ने मौजूदा सांसद सुरेश कश्यप को ही फिर से चुनाव मैदान में उतारा है. 2012 और 2017 में लगातार दो बाद विधायक बने सुरेश कश्यप का सियासी सफर बीडीसी सदस्य के रूप में शुरू हुआ था. सुरेश कश्यप भारतीय वायुसेना में सेवाएं दे चुके हैं. 2019 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़े और संसद पहुंचे सुरेश कश्यप को इस बार कड़ी टक्कर मिल सकती है.

शिमला लोकसभा सीट की जंग
शिमला लोकसभा सीट की जंग (ETV Bharat)

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कांग्रेस ने मौजूदा विधायक विनोद सुल्तानपुरी को शिमला सीट से टिकट दिया है. विनोद सुल्तानपुरी 2012 और 2017 में विधानसभा चुनाव हार चुके हैं. 2022 में वो पहली बार विधायक बने और अब लोकसभा के रण में उतर गए हैं. उनके पिता केडी सुल्तानपुरी शिमला लोकसभा सीट से लगातार 6 बार सांसद रहे, जो एक रिकॉर्ड है. सियासी जानकारों के मुताबिक कांग्रेस ने शिमला सीट पर विनोद सुल्तानपुरी को टिकट देकर दांव तो शानदार चला है लेकिन इस दांव को जीत में बदलना बड़ी चुनौती हो सकता है.

बीजेपी उम्मीदवारों को मोदी और कांग्रेसियों को अपनी सरकार का सहारा

सियासी पंडित मानते हैं कि 2014 और 2019 की तरह इस बार भी बीजेपी को सबसे ज्यादा मोदी मैजिक का सहारा है. हिमाचल के भाजपा उम्मीदवारों के साथ भी कमोबेश यही स्थिति है. अनुराग ठाकुर अपने दम पर सीट निकालने का माद्दा रखते हैं लेकिन कंगना रनौत हर मंच पर मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने और जीत का दावा कर चुकी हैं. वहीं सुरेश कश्यप और राजीव भारद्वाज भी इसी कतार में खड़े हैं. उधर कांग्रेस के पास भले बीजेपी की तरह मोदी मैजिक या स्टार प्रचारकों की वैसी फौज ना हो लेकिन कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए सबसे बड़ा सहारा हिमाचल में कांग्रेस की सरकार है. सरकार की ओपीएस और महिलाओं को 1500 रुपये देने जैसी योजनाओं के नाम पर कांग्रेस वोट मांग रही है. उधर बीजेपी केंद्र सरकार की योजनाएं गिना रही हैं. कुल मिलाकर इस बार हिमाचल की सियासी फिजा 2014 और 2019 से कुछ हटकर है. जिस तरह से उम्मीदवार उतारे गए हैं वो इशारा कर रहे हैं कि 4 जून को जब नतीजे निकलेंगे तो सियासी गलियारों में चर्चाएं कई दिन चलेंगी.

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