ETV Bharat / city

Delhi Court News: कोर्ट आज इन अलग-अलग मामलों पर करेगा सुनवाई

author img

By

Published : Oct 22, 2021, 7:24 AM IST

कोर्ट आज इन अलग-अलग मामलों पर सुनवाई करेगा, जिसमें उपहार सिनेमा त्रासदी के मामले में साक्ष्यों से छेड़छाड़ का दोषी करार दिए गए सुशील अंसल और गोपाल अंसल की सजा पर सुनवाई, पीएम केयर्स फंड को सरकारी फंड घोषित करने की मांग पर सुनवाई,  दीवाली में पटाखों के रखने, बेचने और उसके इस्तेमालपर पूर्ण रूप से रोक लगने के दिल्ली सरकार के फैसले में बदलाव करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग पर सुनवाई, डॉक्टर सुसाइड मामले में आम आदमी पार्टी के विधायक प्रकाश जारवाल समेत तीन आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर सुनवाई शामिल है.

CASES TO BE HEARD IN DELHI COURT
CASES TO BE HEARD IN DELHI COURT

नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट उपहार सिनेमा त्रासदी के मामले में साक्ष्यों से छेड़छाड़ का दोषी करार दिए गए सुशील अंसल और गोपाल अंसल की सजा पर आज सुनवाई करेगा. चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पंकज शर्मा इस मामले की सुनवाई करेंगे.

आठ अक्टूबर को कोर्ट ने अंसल बंधुओं समेत पांच लोगों को दोषी करार दिया था. कोर्ट ने इस मामले में कोर्ट के एक कर्मचारी दिनेश चंद शर्मा को भी दोषी करार दिया था. कोर्ट ने इसके अलावा पीपी बत्रा और अनूप सिंह को भी दोषी करार दिया था. सुशील अंसल के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज किया गया था.हाईकोर्ट में सुशील अंसल के खिलाफ उपहार त्रासदी पीड़ित एसोसिएशन (एवीयूटी) की अध्यक्ष नीलम कृष्णमूर्ति ने याचिका दायर किया था.

13 जून 1997 को दक्षिण दिल्ली के ग्रीन पार्क स्थित उपहार सिनेमा में ‘बार्डर’ फिल्म दिखाए जाने के दौरान आग लगने के बाद दम घुटने से 59 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद मची भगदड़ में 100 से अधिक लोग घायल भी हो गए थे.

ये भी पढ़ें: उपहार सिनेमा त्रासदी: सुशील अंसल और गोपाल अंसल की सजा पर सुनवाई टली

दिल्ली हाई कोर्ट पीएम केयर्स फंड को सरकारी फंड घोषित करने की मांग पर सुनवाई

दिल्ली हाई कोर्ट पीएम केयर्स फंड को सरकारी फंड घोषित करने की मांग पर आज सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी.

11 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट को बताया था कि पीएम केयर्स फंड में आनेवाला धन भारत सरकार के समेकित खाते में नहीं आता है, इसलिए ये कोई सरकारी फंड नहीं है. केंद्र सरकार ने कहा था कि कोष में पारदर्शिता बनाये रखने के लिए इस ट्रस्ट को मिले धन और उसका सारा विवरण आधिकारिक वेबसाईट पर भी अपलोड किया जाता है. पिछले छह अक्टूबर को याचिकाकर्ता की ओर से वकील श्याम दीवान ने कहा कि पीएम केयर्स फंड राज्य घोषित करने की उन सारी शर्तों का पालन करता है, जो संविधान की धारा 12 के तहत कही गई हैं.

श्याम दीवान ने कहा था कि कई केंद्रीय मंत्रियों और यहां तक कि देश के उपराष्ट्रपति तक ने कहा कि ये भारत सरकार के प्रयासों का नतीजा है. दीवान ने उपराष्ट्रपति, रक्षा मंत्री समेत केंद्र के मंत्रियों और सरकार के उच्च अधिकारियों के सार्वजनिक अपीलों का उदाहरण दिया, जिसमें आम लोगों और सरकारी कर्मचारियों से कहा गया था कि पीएम केयर्स फंड में दान करें. इन अपीलों से साफ है कि पीएम केयर्स फंड एक राष्ट्रीय फंड है जो भारत सरकार की ओर से गठित किया गया है. दीवान ने कहा था कि हम ये नहीं कह रहे हैं कि पीएम केयर्स फंड बुरा है, लेकिन इसे संविधान की परिधि में आना चाहिए. पीएमओ जो कहे, लेकिन उपराष्ट्रपति और केंद्रीय मंत्री तो इसे सरकारी फंड ही समझते हैं. उन्होंने कहा था कि संवैधानिक पदों पर बैठा व्यक्ति संविधान के बाहर की बात नहीं कर सकता है. क्या कोई कलेक्टर सरकारी अधिकार से निजी ट्रस्ट गठित करे और कहे कि ये निजी ट्रस्ट है. यही बात न्यायपालिका पर भी लागू होती है. यह कहना कि पीएम केयर्स फंड में दान देनेवालों के नामों का खुलासा नहीं किया जा सकता है, एक अस्वस्थ परंपरा को जन्म देगी.


दीवान ने ट्रस्ट डीड का हवाला देते हुए कहा था कि पीएम केयर्स फंड को प्रधानमंत्री ने गठित किया और वे इसके पदेन चेयरपर्सन हैं. इतने बड़े उच्च संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति संविधान की परिधि के बाहर कोई ढांचा कैसे खड़ा कर सकता है. पूरी दुनिया में पीएम केयर्स फंड को भारत सरकार के हिस्सा की तरह पेश किया गया. 23 सितंबर को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने हाई कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि पीएम केयर्स फंड पर उसका नियंत्रण नहीं है और वो एक चैरिटेबल ट्रस्ट है. पीएमओ के अंडर सेक्रेटरी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने हलफनामा में कहा है कि वो सूचना के अधिकार के तहत तीसरे पक्ष की सूचना का खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं हैं. श्रीवास्तव ने कहा है कि वे ट्रस्ट में एक मानद पद पर हैं और इसके काम में पारदर्शिता है. हलफनामा में कहा गया है कि पीएम केयर्स फंड का आडिट चार्टर्ड अकाउंटेंट करता है तो सीएजी के पैनल का है. पीएम केयर्स फंड का आडिट रिपोर्ट इसके वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है.


दिल्ली हाई कोर्ट पीएम केयर्स फंड को राज्य घोषित करने की मांग करनेवाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है. 17 अगस्त को कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका सम्यक गंगवाल ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील श्याम दीवान ने सार्वजनिक और स्थायी फंड में अस्पष्टता पर चिंता जाहिर किया. उन्होंने कहा था कि याचिकाकर्ता पीएम केयर्स फंड के दुरुपयोग के आरोप नहीं लगा रहा है, लेकिन भविष्य में भ्रष्टाचार या दुरुपयोग के आरोपों से बचने के लिए ये स्पष्टता जरुरी है. दीवान ने कहा था कि पीएम केयर्स फंड एक संवैधानिक पदाधिकारी के नाम से चलता है जो संविधान में निहित सिद्धांतों से बच नहीं सकता है और ना ही वह संविधान के बाहर कोई करार कर सकता है.



श्याम दीवान ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा था कि आप कितने भी ऊंचे पद पर क्यों न बैठे हों आपसे कानून ऊपर है. सभी संवैधानिक पदाधिकारी संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेते हैं, इसलिए उनके लिए अस्पष्टता का दरवाजा बंद होना चाहिए उन्होंने पीएम केयर्स फंड को राज्य के रुप में घोषित करने की मांग की. उन्होंने मांग की कि समय-समय पर पीएम केयर्स फंड की आडिट रिपोर्ट का खुलासा होना चाहिए. पीएम केयर्स फंड को मिले धन और उसके उपयोग और दान के व्यय पर प्रस्तावों के फंड का खुलासा करना चाहिए. दीवान ने कहा था कि अगर कोर्ट को यह विश्वास नहीं हो कि पीएम केयर्स फंड संविधान की धारा 12 के तहत एक राज्य है तो केंद्र को ये निर्देश देना चाहिए कि वो इस बात का व्यापक प्रचार-प्रसार करे की यह फंड एक सरकारी स्वामित्व वाली फंड नहीं है. इसके साथ ही पीएम केयर्स फंड को अपने नाम या वेबसाइट में पीएम शब्द का उपयोग करने से रोकना चाहिए. पीएम केयर्स फंड को अपनी वेबसाइट में डोमेन नाम gov का उपयोग करने से रोका जाए और फंड के आधिकारिक पते के रुप में पीएम कार्यालय का उपयोग करने से रोका जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें: 'पीएम केयर्स फंड कोई सरकारी फंड नहीं', हाईकोर्ट में केंद्र सरकार ने दिया जवाब

दिल्ली हाई कोर्ट ने दीवाली में पटाखों के रखने, बेचने और उसके इस्तेमाल पर पूर्ण रुप से रोक लगने के दिल्ली सरकार के फैसले में बदलाव करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग पर आज सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी.



छह अक्टूबर को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील गौतम झा ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के ग्रेडेड रेगुलेशन के आदेश का पालन किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि ग्रेडेड रेगुलेशन में दीवाली में दो घंटे के लिए ग्रीन पटाखे चलाने की अनुमति दी गई है. उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि हवा की गुणवत्ता के मुताबिक राज्य सरकारें पटाखों के इस्तेमाल की अनुमति दे सकती हैं. वकील गौतम झा ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर पूर्ण रुप से रोक का कोई आदेश नहीं दिया है.



सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा था कि ग्रीन पटाखे क्या हैं. तब गौतम झा ने कहा था कि ग्रीन पटाखों में कुछ केमिकल का इस्तेमाल प्रतिबंधित किया गया है. इस पर दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील एसके त्रिपाठी ने कहा था कि प्रतिबंधित पटाखों का इस्तेमाल अभी भी किया जा रहा है. इस पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रही है. तब झा ने कहा था कि ये चिंता की बात नहीं है. आज की तिथि में सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया है. झा ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वायु प्रदूषण के लिए पटाखे अकेले जिम्मेदार नहीं हैं, दूसरे कारण भी जिम्मेदार हैं. तब कोर्ट ने पूछा था कि आपकी शिकायत क्या है. क्या दिल्ली सरकार का आदेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है.

तब झा ने कहा कि हां. जिसपर कोर्ट ने कहा था कि तब तो ये अवमानना हुई, आप अवमानना याचिका क्यों नहीं दाखिल कर रहे हैं. तब झा ने कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट के समक्ष नहीं हूं. तब कोर्ट ने पूछा कि क्या ये मामला कहीं और भी लंबित है. तब एसके त्रिपाठी ने कहा कि इस मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें सुप्रीम कोर्ट के रुख का इंतजार करना चाहिए.

ये भी पढ़ें: दिल्ली को घेरता 'मौत का धुआं'

डॉक्टर सुसाइड मामले में आम आदमी पार्टी के विधायक प्रकाश जारवाल समेत तीन आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर सुनवाई करेगा.

दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट डॉक्टर सुसाइड मामले में आम आदमी पार्टी के विधायक प्रकाश जारवाल समेत तीन आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर आज सुनवाई करेगा. स्पेशल जज गीतांजलि गोयल इस मामले की सुनवाई करेंगी.

पांच अक्टूबर को इस मामले के जांच अधिकारी ने स्पेक्ट्रोग्राफी रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल किया था. 7 सितंबर को दो आरोपियों कपिल नागर और हरीश कुमार जारवाल की ओर से दलीलें रखी गई थीं. 28 अगस्त को दिल्ली पुलिस ने प्रकाश जारवाल समेत तीन आरोपियों के खिलाफ पूरक चार्जशीट दाखिल किया था. इस मामले में प्रकाश जारवाल के अलावा कपिल नागर और हरीश कुमार जारवाल को आरोपी बनाया गया है. मामले में प्रकाश जारवाल को मुख्य आरोपी बनाया गया है. तीनों आरोपियों को पहले ही जमानत मिल चुकी है. तीनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 306, 386, 506 और 34 के तहत आरोपी बनाया गया है.



18 अप्रैल 2020 को डॉक्टर राजेंद्र सिंह ने खुदकुशी कर ली थी. डॉक्टर ने अपने घर में फांसी लगाकर खुदकुशी की थी. पुलिस ने डॉक्टर के यहां दो पेज का एक सुसाइड नोट बरामद किया था. सुसाइड नोट में प्रकाश जारवाल और कपिल नागर को जिम्मेदार ठहराया था. पुलिस ने एक डायरी भी बरामद की है, जिसमें डॉक्टर के कुछ पानी के टैंकर जल बोर्ड में चलने की बात कही गई है. डायरी में उन टैंकर्स के लिए प्रकाश जारवाल पर पैसे मांगने का आरोप लगाया गया है.

ये भी पढ़ें: डॉक्टर सुसाइड मामला: प्रकाश जारवाल के खिलाफ आरोप तय करने पर सुनवाई टली

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.