नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि पीएम केयर्स फंड में आने वाला धन भारत सरकार के समेकित खाते में नहीं आता है. इसलिए ये कोई सरकारी फंड नहीं है. यह बात केंद्र सरकार ने पीएम केयर्स फंड को सरकारी फंड घोषित करने की मांग पर दायर याचिका के जवाब में कही है. इस मामले पर अगली सुनवाई 22 अक्टूबर को होगी.
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि कोष में पारदर्शिता बनाये रखने के लिए इस ट्रस्ट को मिले धन और उसका सारा विवरण आधिकारिक विवरण पर भी अपलोड किया जाता है. पिछले छह अक्टूबर को याचिकाकर्ता की ओर से वकील श्याम दीवान ने कहा कि पीएम केयर्स फंड राज्य घोषित करने की उन सारी शर्तों का पालन करता है, जो संविधान की धारा 12 के तहत कही गई हैं.
श्याम दीवान ने कहा था कि कई केंद्रीय मंत्रियों और यहां तक कि देश के उपराष्ट्रपति तक ने कहा कि ये भारत सरकार के प्रयासों का नतीजा है. दीवान ने उपराष्ट्रपति, रक्षा मंत्री समेत केंद्र के मंत्रियों और सरकार के उच्च अधिकारियों के सार्वजनिक अपीलों का उदाहरण दिया, जिसमें आम लोगों और सरकारी कर्मचारियों से कहा गया था कि पीएम केयर्स फंड में दान करें. इन अपीलों से साफ है कि पीएम केयर्स फंड एक राष्ट्रीय फंड है, जो भारत सरकार की ओर से गठित किया गया है.
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दीवान ने कहा था कि हम ये नहीं कह रहे हैं कि पीएम केयर्स फंड बुरा है और लेकिन इसे संविधान की परिधि में आना चाहिए. पीएमओ जो कहे लेकिन उपराष्ट्रपति और केंद्रीय मंत्री तो इसे सरकारी फंड ही समझते हैं. उन्होंने कहा था कि संवैधानिक पदों पर बैठा व्यक्ति संविधान के बाहर की बात नहीं कर सकता है. क्या कोई कलेक्टर सरकारी अधिकार से निजी ट्रस्ट गठित करे और कहे कि ये निजी ट्रस्ट है. यही बात न्यायपालिका पर भी लागू होती है. यह कहना कि पीएम केयर्स फंड में दान देने वालों के नामों का खुलासा नहीं किया जा सकता है, एक अस्वस्थ परंपरा को जन्म देगी.
श्याम दीवान ने ट्रस्ट डीड का हवाला देते हुए कहा था कि पीएम केयर्स फंड को प्रधानमंत्री ने गठित किया और वो इसके पदेन चेयरपर्सन हैं. इतने बड़े उच्च संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति संविधान की परिधि के बाहर कोई ढांचा कैसे खड़ा कर सकता है. पूरी दुनिया में पीएम केयर्स फंड को भारत सरकार के हिस्सा की तरह पेश किया गया.
23 सितंबर को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि पीएम केयर्स फंड पर उसका नियंत्रण नहीं है और वो एक चैरिटेबल ट्रस्ट है. PMO के अंडर सेक्रेटरी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने हलफनामा में कहा है कि वो सूचना के अधिकार के तहत तीसरे पक्ष की सूचना का खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं हैं. श्रीवास्तव ने कहा है कि वे ट्रस्ट में एक मानद पद पर हैं और इसके काम में पारदर्शिता है. हलफनामा में कहा गया है कि पीएम केयर्स फंड का आडिट चार्टर्ड अकाउंटेंट करता है तो सीएजी के पैनल का है. पीएम केयर्स फंड का आडिट रिपोर्ट इसके वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है.
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दिल्ली हाईकोर्ट पीएम केयर्स फंड को राज्य घोषित करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है. 17 अगस्त को कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. सम्यक गंगवाल ने यह याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील श्याम दीवान ने सार्वजनिक और स्थायी फंड में अस्पष्टता पर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा था कि याचिकाकर्ता पीएम केयर्स फंड के दुरुपयोग के आरोप नहीं लगा रहा है लेकिन भविष्य में भ्रष्टाचार या दुरुपयोग के आरोपों से बचने के लिए ये स्पष्टता जरूरी है. दीवान ने कहा था कि पीएम केयर्स फंड एक संवैधानिक पदाधिकारी के नाम से चलता है, जो संविधान में निहित सिद्धांतों से बच नहीं सकता है और न ही वह संविधान के बाहर कोई करार कर सकता है.
श्याम दीवान ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा था कि आप कितने भी ऊंचे पद पर क्यों न बैठे हों, कानून आपसे ऊपर है. सभी संवैधानिक पदाधिकारी संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेते हैं इसलिए उनके लिए अस्पष्टता का दरवाजा बंद होना चाहिए.
उन्होंने पीएम केयर्स फंड को राज्य के रूप में घोषित करने की मांग की. उन्होंने मांग की कि समय-समय पर पीएम केयर्स फंड की आडिट रिपोर्ट का खुलासा होना चाहिए. पीएम केयर्स फंड को मिले धन और उसके उपयोग और दान के व्यय पर प्रस्तावों के फंड का खुलासा करना चाहिए.
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दीवान ने कहा था कि अगर कोर्ट को यह विश्वास नहीं हो कि पीएम केयर्स फंड संविधान की धारा 12 के तहत एक राज्य है तो केंद्र को ये निर्देश देना चाहिए कि वो इस बात का व्यापक प्रचार-प्रसार करे कि यह फंड एक सरकारी स्वामित्व वाला फंड नहीं है. इसके साथ ही पीएम केयर्स फंड को अपने नाम या वेबसाइट में पीएम शब्द का उपयोग करने से रोकना चाहिए.
पीएम केयर्स फंड को अपनी वेबसाइट में डोमेन नाम gov का उपयोग करने से रोका जाए और फंड के आधिकारिक पते के रुप में पीएम कार्यालय का उपयोग करने से रोका जाना चाहिए.