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छत्तीसगढ़ में चमत्कारी अनाज मिलेट को हब बनाने की तैयारी, सीएम ने दिए संकेत

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Published : Sep 12, 2021, 12:20 AM IST

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य को चमत्कारी अनाज मिलेट को हब बनाने की तैयारी कर ली है. सीएम बघेल ने कहा कि हम लघु वनोपज की तरह लघु धन्य फसलों को भी छत्तीसगढ़ की ताकत बनाना चाहते हैं. बघेल ने बताया कि इसके लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च हैदराबाद और राज्य के मिलेट मिशन के अंतर्गत आने वाले 14 जिलों के कलेक्टरों के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर भी किए गए हैं. जानिए क्यों बढ़ रही है मिलेट की मांग...

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

रायपुर : छत्तीसगढ़ अब मिलेट हब के लिए देश जाना जाएगा. यह दावा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया है. इसके लिए सरकार की ओर से व्यापक योजना बनाई गई है. जिसके अंतर्गत बघेल ने मिलेट मिशन (Millet Mission) की शुरुआत की है.

इस संबंध सीएम बघेल ने कहा है कि आने वाले समय में छत्तीसगढ़ देश का मिलेट हब बनेगा. उन्होंने मिलेट मिशन के तहत किसानों को लघु धान्य फसलों की सही कीमत दिलाने आदान सहायता देने, खरीदी की व्यवस्था, प्रोसेसिंग और विशेषज्ञों की विशेषता का लाभ दिलाने की पहल की है.

छत्तीसगढ़ को चमत्कारी अनाज मिलेट को हब बनाने की तैयारी

बढ़ेंगे रोजगार के मौके
सीएम बघेल ने कहा कि हम लघु वनोपज की तरह लघु धन्य फसलों को भी छत्तीसगढ़ की ताकत बनाना चाहते हैं. बघेल ने बताया कि इसके लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च हैदराबाद और राज्य के मिलेट मिशन के अंतर्गत आने वाले 14 जिलों के कलेक्टरों के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर भी किए गए हैं.

मुख्यमंत्री ने बताया कि इस एमओयू के अंतर्गत इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च हैदराबाद, छत्तीसगढ़ में कोदो, कुटकी और रागी की उत्पादकता बढ़ाने तकनीकी जानकारी उच्च क्वालिटी के बीज की उपलब्धता और सीड बैंक की स्थापना के लिए सहयोग और मार्गदर्शन देगा. इसके अलावा आईआईएमआर हैदराबाद द्वारा मिलेट उत्पादन के चूड़ी राष्ट्र स्तर पर विकसित की गई वैज्ञानिक तकनीक का मैदानी स्तर पर प्रचार के लिए छत्तीसगढ़ के किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी.

मिलेट को हब बनाने की तैयारी
मिलेट को हब बनाने की तैयारी

किसानों की आमदनी बढ़ाने का उद्देश्य
देश-विदेश में कोदो, कुटकी, रागी जैसे मिलेट्स की बढ़ती मांग को देखते हुए मिलेट मिशन से वनांचल और आदिवासी क्षेत्र के किसानों को न केवल आमदनी बढ़ेगी बल्कि छत्तीसगढ़ को एक नई पहचान मिलेगी. वहीं मिलेट्स के प्रसंस्करण और वैल्यू एडिशन से किसानों, महिला समूहों और युवाओं को रोजगार भी मिलेगा. छत्तीसगढ़ के 20 जिलों में कोदो कुटकी रागी का उत्पादन होता है. प्रथम चरण में इसमें से 14 जिलों के साथ एमओयू किया गया है.

राज्य सरकार ने कोदो कुटकी और रागी का समर्थन मूल्य तय करने के साथ-साथ राजीव गांधी किसान न्याय योजना के दायरे में इन्हें भी शामिल किया है. इससे अब इन लघु धान्य फसलों को उपजाने वाले किसानों को भी अन्य किसानों की तरह आदान सहायता मिल जाएगी.

महानगरों के बाजार तक पहुंचाने की की जाएगी व्यवस्था
इन फसलों की खरीदारी लघु वनोपज सहकारी संघ की वन-धन समितियों के माध्यम से किया जाएगा. इन फसलों की प्रोसेसिंग करके इसका उपयोग मध्यान भोजन, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, पोषण आहार कार्यक्रम जैसी योजनाओं में होगा इससे तैयार उत्पादों को महानगरों के बाजार तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी.

मिलेट मिशन के आगामी 5 वर्षों के लिए 170 करोड़ 30 लाख रुपए का प्रबंधन डीएमएफ एवं अन्य माध्यमों से किए जाने का भी निर्णय लिया गया है. मिलेट मिशन के अंतर्गत कोदो कुटकी (Kodo Kutki) और रागी की फसल लेने वाले किसानों को 9 हजार रुपये प्रति एकड़ तथा धान के बदले कोदो कुटकी और रागी लेने वाले पर 10 हजार रुपये प्रति एकड़ आदान सहायता दी जाएगी. बहरहाल सीएम बघेल द्वारा 'मिलेट मिशन' की शुरुआत कर दी गई है. अब देखने वाली बात है कि आने वाले समय में यह मिशन कितना सफल होता है.

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क्या है मिलेट
मिलेट यानी बाजरा, जी हां बाजरा ही अंग्रेजी में मिलेट कहलाता है. बाजरा एक छोटे आकार का बीज है यह एक और मानव के लिए पौष्टिक आहार है तो दूसरी और पशुओं के चारे के काम में भी आता है. इसलिए यह मानव और पशु और दोनों का भोजन है.

कहां पैदा होता है मिलेट
मिलेट फसलों को सूखे क्षेत्रों, वर्षा आधारित क्षेत्रों, तटीय क्षेत्रों या पहाड़ी क्षेत्रों में आसानी से उगाया जा सकता है. केवल इतना ही नहीं इन्हें मिट्टी की सीमित उर्वरता और नमी की सीमांत परिस्थितियों में भी आसानी से उगाया जा सकता है.

मिलेट के प्रकार
मिलेटस दो प्रकार के होते हैं. पहला मोटे दाने वाला मिलेट और दूसरा छोटे दाने वाला मिलेट.

मोटे दाने वाला मिलेट
इन धान्यों के बीज मोटे होते हैं. तथा बीज पर लगी भूसी को उतारने के बाद सीधा भंडार गृह में रखा जा सकता है. जैसे रागी, बाजरा, ज्वार, चेना, मूंग. इतना ही नहीं मोटे अनाजों की प्रमुख विशेषता यह भी है कि यह सूखा सहन करने की क्षमता रखते हैं. इन फसलों को उगाने में कम लागत आती है. इन फसलों में कीटों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता होती है. इस कारण कम उर्वरक और खाद की आवश्यकता होती है.

छोटे दाने वाला मिलेट
इन धान्यों के बीज छोटे होते हैं तथा लघु धान्य अनाजों के बीजों पर लगे छिलकों को हाथ से उतारने के बाद ही भंडार गृह में सुरक्षित रखा जाता है.

ये है लघु धान्य अनाज

  • कंगनी
  • कुटकी कोदो
  • चावल

लघु अनाजों के बीजावरण को हटाने के लिए किसी मशीन का निर्माण नहीं हो सका है. शायद यही वजह रही कि चावल को छोड़कर बाकी सभी धान्य कहीं पीछे छूट गए हैं. वास्तव में मोटे अनाज की तुलना में लघु आनाज में अधिक पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं. यही कारण लोग वापस इन अनाजों की ओर रुख करने लगे हैं.

बाजार में उपलब्ध मिलेट्स की मुख्य किस्मे इस प्रकार हैं.

  • ज्वार
  • बाजरा
  • रागी
  • झंगोरा
  • बैरी
  • कंगनी
  • कुटकी कोदो
  • चेना

मिलेट में पाए जाने वाले पोषक तत्व और खनिज
मिनट में पाए जाने वाले पोषक तत्व की लंबी सूची है. इसलिए मिलेट को अपने भोजन के रूप में लेने के अनगिनत फायदे हैं. मिलेट में खनिज भी प्रचुर मात्रा में है. मिलेट में कैल्शियम, आयरन, जिंक, फास्फोरस, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फाइबर, विटामिन बी-6,विटामिन बी-3, कैरोटीन, लेसीतिण आदि प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. यह तो रही मिलेट्स और उससे जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारी. अब बात करते हैं राज्य सरकार के द्वारा इसे प्रोत्साहन देने उठाए गए कदम की.

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