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छत्तीसगढ़ में टिड्डी दल का खतरा, कृषि वैज्ञानिक ने बताए फसल को बचाने के उपाय

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Published : May 27, 2020, 2:24 PM IST

Updated : May 27, 2020, 4:38 PM IST

फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले टिड्डी दल (Locust Swarm) का प्रकोप राजस्थान से होते हुए महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश तक पहुंच गया है. सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण यह छत्तीसगढ़ के जिलों में भी प्रवेश कर सकते हैं. कृषि वैज्ञानिक डॉ. गजेंद्र चन्द्राकर ने टिड्डी दल से फसलों को बचाने के उपाय बताए हैं.

threat of locust swarm in chhattisgarh
कृषि वैज्ञानिक गजेंद्र चंद्राकर

रायपुर : छत्तीसगढ़ में टिड्डी दल से बचाव के लिए अलर्ट जारी किया गया है. केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र के सहायक निदेशक ने सीमावर्ती जिले के कृषि अधिकारियों, कर्मचारियों और किसानों को सचेत रहने के लिए कहा है. टिड्डियों से रबी की फसल को बड़ा खतरा होने का अंदेशा जताया गया है. इसके प्रकोप से बचाव के लिए किसानों को कीटनाशक मालथियोन, फेनवालरेट और अन्य कीटनाशक के प्रयोग करने के सुझाव दिए गए हैं.

छत्तीसगढ़ में टिड्डी दल का खतरा

इंदिरा गांधी कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. गजेंद्र चंद्राकर ने ETV भारत से बातचीत में बताया कि फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले टिड्डी दल (Locust Swarm) का प्रकोप राजस्थान से होते हुए महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश राज्य तक पहुंच गया है. सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण यह छत्तीसगढ़ के जिलों में भी प्रवेश कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि किसान भाई टिड्डी दल से बचने के लिए कई उपाय अपना सकते हैं. फसल के अलावा टिड्डी कीट जहां इकट्ठा हों, वहां उसे फ्लेमथ्रोअर से जला दें.

कृषि वैज्ञानिक डॉ गजेंद्र चंद्राकर ने बताया कि-

  • टिड्डी दल को भगाने के लिए थालियां, ढोल, नगाड़े, लाउडस्पीकर या दूसरी चीजों के माध्यम से शोरगुल मचाएं.
  • टिड्डों ने जिस स्थान पर अपने अंडे दिए हों, वहां 25 किलोग्राम का 5 प्रतिशत मेलाथियोन या 1.5 प्रतिशत क्विनालफॉस को मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़कें.
  • टिड्डी दल को आगे बढ़ने से रोकने के लिए 100 किलोग्राम धान की भूसी को 0.5 किलोग्राम फेनीट्रोथियोन और 5 किलोग्राम गुड़ के साथ मिलाकर खेत में डाल दें.
  • टिड्डी दल के खेत की फसल पर बैठने पर उस पर 5 प्रतिशत मेलाथियोन या 1.5 प्रतिशत क्विनाल्फोस का छिड़काव करें.
  • फसल कट जाने के बाद खेत की गहरी जुताई करें, इससे इनके अंडे नष्ट हो जाते हैं.

डॉ. गजेंद्र चन्द्राकर ने बताया कि सबसे बड़ी चिंता यह है कि जब तक कृषि विभाग का टिड्डी उन्मूलन विभाग प्रभावित स्थल पर पहुंचता है, तब तक ये अपना ठिकाना बदल चुके होते हैं. ऐसे में टिड्डी दल से संबंधित पर्याप्त जानकारी और उससे संबंधित रोकथाम के उपायों को अमल में लाना ही एकमात्र विकल्प है.

पढ़ें-राजस्थान में टिड्डियों के हमले से बर्बाद हुई सात अरब की रबी फसल, अन्नदाता मायूस

टिड्डियां ये खाती हैं-

हैरत की बात यह है कि टिड्डियां फूल, फल, पत्ते, बीज, पेड़ की छाल और अंकुर सबुकछ खा जाती हैं. हरेक टिड्डी अपने वजन के बराबर खाना खाती है. इस तरह से एक टिड्डी दल 2500 से 3000 लोगों का भोजन चट कर जाता है. टिड्डियों का जीवन काल अमूमन 40 से 85 दिनों का होता है.

Last Updated :May 27, 2020, 4:38 PM IST
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