रायपुर: आषाढ़ मास में आने वाले अमावश्या को हलहारिणी अमावस्या कहा जाता है. इस अमावस्या को स्नान, दान के साथ पितृतर्पण से पितर प्रसन्न होते हैं. दरअसल, किसानों द्वारा इस दिन कृषि उपकरणों को पूजा जाता है. फसलों की बुवाई के लिए ये दिन बेहद खास होता है. इस बार आषाढ़ मास की अमावस्या यानी हलहारिणी अमावस्या 28 जून को पड़ रही है. 29 जून को स्नानदान की अमावस्या मनाई (Please make ancestors happy on Ashadh Halharini Amavasya ) जाएगी.
हलहारिणी अमावस्या पूजा विधि: कहा जाता है कि आषाढ़ अमावस्या से ही चातुर्मास का प्रारंभ होता है. इसलिए आषाढ़ अमावस्या के शुभ दिन पितृ तर्पण करने या श्राद्धकर्म करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. हलहारिणी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. अगर संभव न हो तो घर पर ही जल में गंगाजल डालकर अवश्य स्नान करें. इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करके पितरों का तर्पण करना चाहिए.
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व्रत करने से मिलता है लाभ: कहा जाता है कि आषाढ़ अमावस्या के दिन फलाहार व्रत रखने से सुख-समृद्धि प्राप्त होता है. इस दिन जरूरतमंदों को अनाज या वस्त्र दान करने वाला व्यक्ति प्रगति करता है.
आर्थिक तंगी होती है दूर: शास्त्रों की मानें तो इस अमावस्या के दिन सुबह स्नान करने के बाद आटे की गोलियां बनाकर किसी तालाब में मछलियों को खिलाने से आर्थिक स्थिति बेहतर होती है. इसके अलावा घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक जलाना भी शुभ माना गया है.