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cg board exam tips: बोर्ड एग्जाम की टेंशन से बच्चों को कैसे बचाएं

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Published : Jan 3, 2023, 9:01 PM IST

Updated : Jan 4, 2023, 12:29 AM IST

छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल इस बार 100 फीसदी सिलेबस के साथ एग्जाम लेने जा रहा है.Board exam on full syllabus in Chhattisgarh ऐसे में वे बच्चे जो पहली बार बोर्ड एग्जाम में बैठने वाले हैं, उनके मन में बोर्ड परीक्षा का डर है. Fear of examination in board examinees भले ही बच्चे साल भर स्कूल गए हो लेकिन परीक्षा में राइटिंग स्किल और तैयारी को लेकर अब भी उनके मन में कई सवाल है cg board exam tips. इन सवालों को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम बच्चों के पास पहुंची और उनके सवालों का जवाब भी शिक्षकों और शिक्षाविदों से जाना. Board exam preparation in Chhattisgarh

Fear of board exams in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में बोर्ड परीक्षा का डर

बोर्ड परीक्षा का डर बच्चों के अंदर से कैसे भगाएं

रायपुर : Chhattisgarh Board of Secondary Education की परीक्षा 1 मार्च से शुरू हो रही है. कोरोना संक्रमण के बाद इस साल छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल 100 प्रतिशत सिलेबस पर एग्जाम ले रहा है. Board exam on full syllabus in Chhattisgarh ऐसे में इस सत्र में परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों की चिंता बढ़ गई है cg board exam tips. पिछले 2 साल से कोरोना संक्रमण की वजह से बच्चों ने ज्यादा पढ़ाई नहीं की, लेकिन इस बार 100% सिलेबस में परीक्षा होने के कारण विद्यार्थियों की चिंता लगातार बढ़ती जा रही है. Fear of examination in board examinees ईटीवी भारत ने स्टूडेंट्स को हो रही परेशानियों और चिंता को लेकर बातचीत की.

एग्जाम को लेकर बच्चों में चिंता : 12वीं कक्षा में पढ़ाई कर रही निधि गुप्ता ने कहा" मार्च से बोर्ड परीक्षा होने वाली है. ऐसे में परीक्षा को लेकर स्ट्रेस है. एग्जाम की तैयारी को केवल 2 महीने बचे हुए हैं. कोरोना संक्रमण के दौरान हम लोगों ने दसवीं बोर्ड एग्जाम नहीं दिया था. इसलिए हमें बोर्ड एग्जाम का एक्सपीरियंस नहीं है. इसलिए एग्जाम को लेकर ज्यादा चिंता हो रही है.''


12 कक्षा की स्टूडेंट मोहिनी साहू ने कहा " एग्जाम को लेकर डर तो है. लेकिन यह अच्छा लग रहा है कि हम पहली बार बोर्ड परीक्षा देने वाले हैं. पहली बार बोर्ड परीक्षा देंगे, ऐसे में डर भी ज्यादा है. पिछले 2 सालों में ऑनलाइन क्लास होने के कारण अच्छे से पढ़ाई में फोकस नहीं कर पाते थे. बहुत सारी प्रॉब्लम आती थी. लेकिन इस बार परीक्षा को लेकर डर भी है.''


कक्षा दसवीं की माही दलवानी ने बताया "परीक्षा को लेकर मैं बहुत तनाव में हूं. घर में भी यह कहा जा रहा है कि बोर्ड परीक्षा देने जा रहे हो. इस बात का बेहद स्ट्रेस है. लेकिन हमारे टीचर हमारी पढ़ाई में पूरी मदद कर रहे हैं. उम्मीद है कि परीक्षा में अच्छे नंबर आएंगे."


कक्षा दसवीं की छात्रा खुशबू ने बताया " हमारे सिलेबस अभी पूरा हो रहा है. हमें जैसा पढ़ाया जा रहा है, घर में जाकर भी उसका रिवीजन करते हैं. एग्जाम का ज्यादा प्रेशर नहीं है. लेकिन जब एग्जाम पास आते हैं, तब थोड़ा डर लगता है कि कैसे करेंगे. हमारे टीचर मॉटिवेट करते हैं.''


10वीं कक्षा के छात्र मोहम्मद अल्तमस ने बताया " बोर्ड परीक्षा को लेकर घबराहट तो है. पहली बार कोविड के बाद 100% सिलेबस पूछा जा रहा है. कोविड के दौरान हमने 60% सिलेबस पर एग्जाम दिया था. स्कूल जल्द से जल्द कोर्स कंप्लीट करा रहे हैं. मुझे फिजिक्स और गणित विषय में थोड़ी परेशानी होती है. लेकिन टीचर्स का सपोर्ट हमेशा रहता है.''


पीजी उमाठे स्कूल की शिक्षिका नंदा पिल्ले ने बताया "जबसे सत्र शुरू हुआ है, उस समय से ही शिक्षकों को यह पता था कि इस सत्र जो स्टूडेंट्स आने वाले हैं, वह पढ़ाई में थोड़े कमजोर मिलेंगे. कोरोना संक्रमण के बाद यह पहला ऐसा बैच है, जिसमें 100% सिलेबस का एग्जाम होना है. शुरुआत से ही हम इस बात पर जोर दे रहे हैं कि जल्द से जल्द कोर्स कंप्लीट हो और बच्चों पर तनाव ना रहे. शिक्षक प्लानिंग के साथ सारे काम कर रहे हैं. बच्चों को जो डाउट है, उसे भी समय समय पर क्लियर किया जाता है, ताकि पढ़ाई के दौरान ज्यादा स्ट्रेस ना लें.''


शिक्षिका ने बताया कि '' बच्चों में डर इस बात का दिख रहा है कि पिछले 2 सालों से बच्चों ने ऑनलाइन पढ़ाई की. नवमी और ग्यारहवीं के बच्चों को जनरल प्रमोशन मिल गया था. इसलिए बच्चों में लिखने की प्रैक्टिस भी नहीं है. बच्चों को डर भी है कि बोर्ड एग्जाम है तो लिखने में तकलीफ ना आए. लेकिन इस बार यूनिट टेस्ट और परीक्षा भी हो रहे हैं तो बच्चों में जो राइटिंग स्किल का डर है, वह भी धीरे-धीरे दूर हो रहा है. इस बात पर टीचर भी फोकस कर रहे हैं.''


माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव की दलील : Chhattisgarh Board of Secondary Education के सचिव वीके गोयल ने बताया " शुरुआत से ही बच्चों को 100% सिलेबस की जानकारी थी. बच्चे लगातार क्लासेस अटेंड कर रहे हैं. साल भर स्कूल में पढ़ाई हुई है. इसलिए बच्चों में किसी प्रकार का भय नहीं होना चाहिए. परीक्षा एक प्रोसेस है. जो बच्चे वास्तव में पढ़ाई किए हैं, उन्हें किसी प्रकार का भय नहीं होता. बच्चे मन से भय निकाल देंगे. हम परीक्षा का जो टाइम टेबल बनाते हैं, उसमें हम पहले सरल विषय की परीक्षा लेते हैं ताकि बच्चों को एग्जाम देने में आसानी हो और आने वाले एग्जाम भी अच्छे जाएं.''

हेल्पलाइन नंबर भी जारी होगा : सचिव ने बताया कि '' छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल एग्जाम से पहले बच्चों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी करेगा. जिसमें बच्चों को किसी भी प्रकार का अगर डाउट होता है तो वह आसानी से अपनी समस्या का निदान प्राप्त कर सकते हैं. इसके लिए पूरी टीम बैठती है. जिसमें काउंसलर और विषय के एक्सपर्ट होते हैं. जो बच्चों की समस्याओं को काउंसलिंग के माध्यम से दूर करते हैं.''

छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल सचिव वीके गोयल ने बताया कि '' इस बार बोर्ड एग्जाम में कुल 6 लाख 70 हजार स्टूडेंट्स ने आवेदन भरा है. कक्षा दसवीं में 3 लाख 40 हजार विद्यार्थी और 12 वी कक्षा में 3 लाख 40 हजार स्टूडेंट्स ने आवेदन किया है. इस बार बोर्ड परीक्षा के लिए प्रदेश में कुल 2408 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं.''


क्या कहना है शिक्षाविद का : छत्तीसगढ़ के जाने माने Educationist Jawahar Surisetti ने बताया " एक बार सभी स्कूलों में परेशानी हुई है कि ऑनलाइन पढ़ाई हुई है, इसलिए बच्चों ने लिखने का काम कम किया है. अभी से 2 सालों में पढ़ाई भी ठीक से नहीं हो पाई है. उसे कवर करते हुए इस बार भी सिलेबस छूट गया है. यह सभी स्कूलों के हालात हैं. इसका उपाय यही है कि जो आंतरिक परीक्षा है, उसमें जो सिलेबस पढ़ाया गया है, उसी की परीक्षा ली जाएगी. इसके साथ ही लगातार बच्चों ने स्कूल जाकर पढ़ाई की है तो सिलेबस को लेकर बच्चों को ज्यादा परेशानी नहीं होनी चाहिये. यह समस्या सभी की समस्या है. बच्चों को खुलकर एग्जाम देना चाहिए. ऐसा पहली बार है कि कोरोना के बाद 100% सिलेबस का फिजिकल एग्जाम होगा. इसका जायजा लेकर इसका उपाय भी बनाया जाएगा लेकिन बच्चों को निश्चिंत होकर एग्जाम देना चाहिए.''

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Educationist Jawahar Surisetti ने बताया कि ''बच्चों में तनाव उनके माता-पिता और शिक्षकों से होता है. जब माता-पिता यह कहते हैं कि बच्चा ठीक से नहीं पढ़ रहा है. माता-पिता सोच रहे हैं कि पिछले 2 सालों से पढ़ाई नहीं हुई. वह बच्चों को लगातार कहते हैं. अगर वह डर कम कर दिया जाए तो बच्चे बेहतर हैं. वो तनाव से निजात पा सकते हैं. माता-पिता को भी यह समझना होगा कि बच्चों पर ज्यादा तनाव ना दिया जाए. तनाव देने से भी बच्चों के कोई बेहतर रिजल्ट नहीं आ जाएंगे. माता-पिता और शिक्षकों को बच्चों को खुली छूट देनी चाहिए.''

Last Updated :Jan 4, 2023, 12:29 AM IST
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