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Forest Buffalo Breeding Center: बारनवापारा अभयारण्य में वन भैंसा ब्रीडिंग सेंटर का मामला, छत्तीसगढ़ वन विभाग को लगा बड़ा झटका

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 22, 2023, 7:11 PM IST

Forest Buffalo Breeding Center
बारनवापारा अभयारण्य में वन भैंसा ब्रीडिंग सेंटर

Forest Buffalo Breeding Center: वन भैंसा ब्रीडिंग सेंटर बनाने के मामले में छत्तीसगढ़ सरकार को बड़ा झटका लगा है. वन्य प्रेमी नितिन सिंघवी के पत्र पर केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ वन विभाग को एडवाइजरी जारी किया है. जिसके मुताबिक छत्तीसगढ़ में वन भैंसा ब्रीडिंग सेंटर नहीं बनाया जा सकता है. Forest Buffalo Breeding Center Will Not Built In Baranwapara

रायपुर: छत्तीसगढ़ के बारनवापारा अभयारण्य में वन भैंसा संरक्षण प्रजनन केंद्र बनाया जा रहा था. लेकिन अब यह नहीं बन सकेगा. इस बाबत केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी की है. जिसके मुताबिक सभी राज्यों के मुख्य वन जीव संरक्षकों को यह एडवाइजरी भेजी गई है. जिसमें किसी भी वन अभयारण्य या नेशनल पार्क में ब्रीडिंग सेंटर या रेस्क्यू सेंटर नहीं बनाने की बात कही गई है. इस एडवाइजरी के बाद अब यह साफ है कि बारनवापारा अभयारण्य में वन भैसा ब्रीडिंग सेंटर नहीं बनाया जा सकता है.

बारनवापारा अभयारण्य में क्यों नहीं बन सकता ब्रीडिंग सेंटर: इस मामले में ईटीवी भारत ने वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी से खास बातचीत की है. इसमें उन्होंने वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के संशोधन की बात बताई. जिसके तहत अब किसी भी अभयारण्य में ब्रीडिंग सेंटर नहीं बनाने की बात कही है. इस संशोधन के मुताबिक ब्रीडिंग सेंटर को अब जू माना गया है. किसी भी अभयारण्य या नेशनल पार्क में जू नहीं बनाया जा सकता है.इसके लिए नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड की अनुमति जरूरी है. छत्तीसगढ़ वन विभाग के पास नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड की अनुमति तो क्या छत्तीसगढ़ वाइल्डलाइफ बोर्ड की भी अनुमति नहीं है.

वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के संशोधन की हुई अवहेलना: इस मामले में यह भी खुलासा हुआ है कि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम में संशोधन की अवहेलना हुई है. इस बात की जानकारी छत्तीसगढ़ के प्रधान मुख्य संरक्षण वन्यप्राणी को थी. उसके बाद भी यहां 27 और 28 फरवरी 2023 को बैठक का आयोजन किया गया. जिसमें वन भैसा के ब्रीडिंग सेंटर से जुड़े प्लान में 29 अधिकारियों और वन विभाग से जुड़े विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया.

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इस मीटिंग में कौन कौन से मुख्य अधिकारी हुए शामिल

  1. सीसीएमबी हैदराबाद
  2. एनजीओ-वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया
  3. वन विभाग के बड़े रिटायर अधिकारी
  4. वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया और कई विदेशी जानकार ऑनलाइन जुड़े

इस मीटिंग के बाद 25 अप्रैल को केंद्रीय जू अथॉरिटी से ब्रीडिंग सेंटर बनाने के लिए अनुमति मांगी गई. इसके बाद केंद्रीय जू प्राधिकरण ने कानून को दरकिनार कर 10 मई 2023 को बारनवापारा में वन भैंसा संरक्षण ब्रीडिंग सेंटर को बनाने की सैद्धांतिक अनुमति दी. अंतिम अनुमति लेने के लिए छत्तीसगढ़ के प्रधान मुख्य संरक्षक ने एक अधिकारी को 9 अगस्त 2023 को फ्लाइट से दिल्ली भेजा. अधिकारी को दो लाख रुपये फी और आवेदन फॉर्म के साथ भेजा गया. उन्हें 11 अगस्त 2023 तक लौटना था.

"इस मामले में प्रधान मुख्य वन संरक्षक को जब मालूम था कि बारनवापारा अभयारण्य है. यहां संरक्षण ब्रीडिंग सेंटर नहीं बनाया जा सकता. तो उन्होंने अप्रैल 2022 में 50 लाख रुपये खर्च कर चार वन भैंसे को लाने का काम क्यों किया. इस मामले में फिर फरवरी 2023 में वर्कशॉप का भी आयोजन किया गया. इसमें लाखों रूपये खर्च किए गए. अधिकारियों के आने जाने का खर्च वहन किया गया. दो लाख रुपये केंद्रीय जू प्राधिकरण को दिया गया. अधिकारी को दिल्ली भेजने में खर्च किया गया. इस तरह इस मामले में खर्च किए गए रकम की वसूली प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी से होनी चाहिए. मैंने इसके लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिखा है": नितिन सिंघवी, वन्यजीव प्रेमी

नितिन सिंघिवी ने वन विभाग पर लगाए मनमानी के आरोप: इस पूरे मामले में नितिन सिंघवी ने वन विभाग पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि वन विभाग ने वन भैंसे का ब्रीडिंग प्लान आज तक तैयार नहीं किया है. इसके बावजूद असम से वन भैंसो को लगातार लाया गया. उन्हें बंधक बनाकर रख गया. कोर्ट के आदेश की अवहेलना की गई. वन विभाग के अधिकारियों को समझना चाहिए कि असम और छत्तीसगढ़ के मौसम और जलवायु में अंतर है. असम के वन भैंसे छत्तीसगढ़ में नहीं रह सकते. इसलिए इन्हें वापस असम भेजा जाना चाहिए था. लेकिन अब तक इसे नहीं किया गया है.

अब देखना है कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से जारी एडवाइजरी के बाद छत्तीसगढ़ वन विभाग क्या रुख अपनाता है. इस मामले में छत्तीसगढ़ वन विभाग के साथ साथ ही राज्य के वन्य जीव प्रेमियों पर भी निगाहें टिकी हुई है.

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