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फैंसी लाइट और झालर से मिट्टी से बने दीपों की चमक हुई फीकी, कुम्हारों की बढ़ी चिंताएं

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Published : Oct 11, 2022, 8:54 PM IST

increased the concerns of potters राजधानी रायपुर सहित पूरे देश में 24 अक्टूबर को दीपावली का पर्व मनाया जाएगा. दीपावली पर्व को लेकर कुम्हार परिवार के द्वारा मिट्टी के दीये कलश और लक्ष्मी की मूर्ति तैयार की जा रही है. लेकिन फैंसी लाइट और झालर ने मिट्टी के बने दीयों और मिट्टी के अन्य सामानों की चमक को फीकी कर दी है. जिसका सीधा असर कुम्हार परिवारों की रोजी रोटी पर पड़ रहा है.

increased the concerns of potters
फैंसी लाइट और झालर से मिट्टी से बने दीपों की चमक हुई फीकी

रायपुर: राजधानी सहित पूरे देश में 24 अक्टूबर को दीपावली का पर्व मनाया जाएगा. दीपावली का यह त्यौहार दीपों के नाम से जाना जाता है. दीपावली पर्व को लेकर कुम्हार परिवार के द्वारा मिट्टी के दीये कलश और लक्ष्मी की मूर्ति बनाने के साथ ही ग्वालिन की मूर्ति भी तैयार की जा रही है. लेकिन बदलते परिवेश के इस दौर में फैंसी लाइट और झालर ने मिट्टी के बने दीयों के साथ ही अन्य दूसरे सामानों की चमक को फीकी कर दी है. जिसका सीधा असर कुम्हार परिवारों की रोजी-रोटी पर पड़ा है. कुम्हार परिवार भी मानते हैं कि फैंसी लाइट और झालर के आ जाने से अब मिट्टी के सामानों की डिमांड कम हो गई है. increased the concerns of potters

मिट्टी के दीयों की मांग घटने से कुम्हारों की बढ़ी चिंताएं


फैंसी लाइट और झालर ने कुम्हारों की बढ़ाई चिंता: राजधानी के रायपुरा में लगभग 50 कुम्हार परिवार रहते हैं. जो साल भर मिट्टी के बने सामान बनाकर अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं. लेकिन बदलते परिवेश के इस दौर में इलेक्ट्रिक से चलने वाले फैंसी लाइट और झालर ने कुम्हार परिवार की चिंताएं बढ़ी है. कुम्हार परिवारों का यह पुश्तैनी धंधा होने के कारण दादा परदादा के जमाने से इस काम को करते आ रहे हैं. मिट्टी के सामान बनाकर अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं. लेकिन कुम्हार परिवारों का यह धंधा अब धीरे-धीरे मंदा होता जा रहा है. जिसका सीधा असर इनकी रोजी रोटी पर पड़ रहा है.

Lakshmi idol ready
लक्ष्मी की मूर्ति तैयार

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decrease demand for earthen lamps
मिट्टी के दीयों की मांग घटी

कुम्हारों को मेहनत के हिसाब से नहीं मिलता पैसा: रायपुरा के रहने वाले कुछ कुम्हारों से हमने बात की तो उन्होंने बताया कि 'दीपावली पर्व की तैयारी में लगभग 2 महीने पहले से पूरा परिवार जुट गया है. मिट्टी के दीये कलश लक्ष्मी जी की मूर्ति और ग्वालिन की मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं. मिट्टी के इस काम में खूब मेहनत लगता है, लेकिन मेहनत के हिसाब से इन कुम्हारों को पैसा नहीं मिल पाता. कुम्हार बताते हैं कि आधुनिकता के इस दौर में फैंसी लाइट और झालर के आ जाने से मिट्टी से बने सामानों की डिमांड पहले की तुलना में घट गई हैं. जिसका सीधा असर कुम्हार परिवार की रोजी-रोटी पर पड़ता है. लेकिन कुम्हार परिवारों की पुश्तैनी धंधा होने के कारण मिट्टी के इस काम को मजबूरन आगे बढ़ा रहे हैं, जिससे यह कला विलुप्त ना हो जाए."

fancy lights and skirting demand has increased
फैंसी लाइट और झालर की बढ़ी डिमांड
फैंसी लाइट और झालर की बढ़ी डिमांड, मिट्टी के दीयों की मांग घटी: वर्तमान समय में लोग मिट्टी के दीयों के बजाय फैंसी लाइट और झालर का उपयोग करने लगे हैं. इलेक्ट्रिकल दुकान के संचालक जयराम निषाद बताते हैं कि "जब से फैंसी लाइट और झालर बाजार में आया है. उसके बाद से मिट्टी के दीयों की मांग कम हो गई है. झालर और फैंसी लाइट की डिमांड बढ़ी है. वर्तमान में कई लोग मिट्टी के दीयों में तेल और बाती लगाने के झंझट से छुटकारा पाने के लिए इलेक्ट्रिक से चलने वाले फैंसी लाइट, झालर, मोमबत्ती और दीये का इस्तेमाल ज्यादा कर रहे हैं." fancy lights and skirting demand has increased
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