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पितृ पक्ष 2022 : ऐसे शुरू हुयी थी पितृ पक्ष में कौए को भोज देने की परंपरा, देते हैं शुभ-अशुभ के संकेत

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Published : Sep 8, 2022, 4:54 PM IST

मान्यता है कि कौए में पितरों की आत्मा मौजूद होती है और यदि वह आपका भोज स्वीकार करते हैं तो इसका अर्थ है कि आपके पूर्वज उसे स्वीकार कर लिए हैं और उन्हें शांति मिल गई है. इसलिए इस खबर में आपको बताने की कोशिश कर रहे हैं कि यह परंपरा कब व कैसे शुरू हुयी.

Pitru Paksha  2022 Concept Image
Pitru Paksha 2022 Concept Image

नई दिल्ली : हमारे हिंदू धर्म में पशु-पक्षी, पेड़-पौधे व वनस्पति के लिए भी सम्मान है और इनके पूजा पाठ की मान्यता है. जहां तक पितृ पक्ष की बात है इसमें कौए को सम्मान व भोज देने की परंपरा (Importance of Crows) है. हमारे धर्मशास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में कौए को खाना खिलाने से पितरों को मनवांछित तृप्ति मिलती है. हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार बिना कौए को भोजन कराए पितरों को संतुष्टि नहीं मिल पाती है. एक तरह से देखा जाय तो कौओं को पितरों का स्वरुप ही माना जाता है.

हमारे धार्मिक ग्रंथों व पौराणिक कथाओं में मान्यता है कि कौए में पितरों की आत्मा मौजूद होती है और यदि वह आपका भोज स्वीकार करते हैं तो इसका अर्थ है कि आपके पूर्वज उसे स्वीकार कर लिए हैं और उन्हें शांति मिल गई है. पितृ पक्ष 2022 के मौके पर आइए जानने की कोशिश करते हैं कि पितृ पक्ष में कौए को भोज कराने का आध्यात्मिक व धार्मिक महत्व है और इसका पौराणिक कथाओं में क्या क्या जिक्र है.

Pitru Paksha  2022 Crow Importance
पितृ पक्ष में कौए को भोज देने की परंपरा

कौए को भोज कराने का महत्व
पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने के साथ साथ भोज का भी प्राविधान है. एक पखवारे भर इस तरह के कार्य के साथ साथ ब्राह्मणों को भोजन कराने का प्राविधान है. इसके साथ ही हम कौए को भी भोज कराते हैं. इतना ही नहीं शास्त्रों के में ब्राह्मण भोज से पूर्व गाय, कुत्ते, कौए, देवता और चींटी यानी इन पांच जीवों को पंचबलि देकर भोज कराना आवश्यक कहा गया है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि कौए इस समय में पितरों के रूप में हमारे आसपास विराजमान रहते हैं और हमारे द्वारा दी चीजों को सहर्ष स्वीकार करते हैं.

देते हैं शुभ-अशुभ के संकेत
धार्मिक पुराणों और मान्यताओं के अनुसार कौओं को यम का प्रतीक माना गया है. कौए के बारे में यह कहा जाता है कि वह अगर हमारे आसपास दिखते हैं तो वह अक्सर हमारे लिए शुभ-अशुभ संकेत भी देते रहते हैं. इतना ही नहीं ग्रामीण परिवेश में ऐसी मान्यता थी कि कौआ अगर आंगन में आकर बोलता है तो आपके यहां कोई मेहमान आने वाला है. ऐसी ही मान्यताओं के कारण इनका महत्व है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए पितृ पक्ष में श्राद्ध का एक भाग कौए को देने की बात कही जाती है. इसीलिए पितृ पत्र व श्राद्ध पक्ष में कौए का बड़ा ही महत्व है. मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष के दौरान यदि कौआ आपके हाथों दिया गया भोजन ग्रहण कर लेता है तो इसका आशय यह है कि आपका पितृ आपसे प्रसन्न हैं.

Pitru Paksha  2022 Crow Importance
पितृ पक्ष में कौए को भोज देने की परंपरा

सीता व भगवान राम से भी संबंध
हमारे यहां एक धार्मिक कथा प्रचलित है. इस कथा के अनुसार एक बार किसी कौए ने माता सीता के पैर में चोंच मार दी थी. इससे माता सीता के पैरों में घाव हो गया था. माता सीता को दर्द में देख भगवान राम क्रोधित हो गए और उन्होंने बाण मार के उस कौए की एक आंख फोड़ दी. इसके बाद कौए ने भगवान राम से क्षमा याचना की तो भगवान राम ने शांत होकर कौए को आशीर्वाद दिया कि तुम्हें भोजन करने से पितृ प्रसन्न होंगे. तब से कौए का महत्व बढ़ गया और उन्हें पितृ पक्ष के दौरान भोजन कराने के लिए आमंत्रित किया जाता है.

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यह होते हैं लाभ
पितृ पक्ष में कौए को खाना खिलाने से एक ओर जहां पितृ प्रसन्न होते हैं तो पितृ दोष से भी मुक्ति मिला करती है. पितृ पक्ष के दौरान कौए को अन्न जल देने से यह सब अपने पूर्वजों के पास जाता है. अगर कौआ आपके द्वारा दिया गया अन्न व जल ग्रहण कर लेता है तो इससे यमराज भी प्रसन्न होते हैं, क्योंकि कौए यम के प्रतीक होते हैं. कौए को भोजन कराने से कालसर्प और पितृ दोष भी दूर होता है.

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हमारे हिन्दू पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष 2022 का आरंभ और समापन आपको याद रखना चाहिए. भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि 10 सितंबर से पितृ पक्ष 2022 का आरंभ हो रहा है और इसका समापन आश्विन मास की अमावस्या पर 25 सितंबर 2022 होगा. इस दौरान एक पखवारे श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे कार्य किए जाते हैं. 15 दिनों तक चलने वाले पितृपक्ष में पितरों का तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान आदि अनुष्ठान किए जाएंगे.

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