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जीतन राम मांझी की बढ़ी मुश्किलें, आपत्तिजनक बयान को लेकर सासाराम कोर्ट में परिवाद दायर

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Published : Dec 23, 2021, 4:55 PM IST

जीतन राम मांझी के ब्राह्मणों को लेकर दिये गए विवादित बयान ( Jitan Ram Manjhi controversial statement ) के बाद बिहार की सियासत गरमायी हुई है. वहीं, सासाराम व्यवहार न्यायालय में मांझी के खिलाफ परिवाद दायर किया गया है. पढ़ें पूरी खबर...

Jitan Ram Manjhi
Jitan Ram Manjhi

सासाराम: HAM सुप्रीमो जीतन राम मांझी ( Former CM Jitan Ram Manjhi ) के द्वारा ब्राह्मण समुदाय को लेकर दिए गए आपत्तिजनक बयान के बाद ब्राह्मण समाज में खासा आक्रोश देखने को मिल रहा है. ऐसे में अब पूर्व मुख्यमंत्री की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है. इसी कड़ी में आज जिला मुख्यालय सासाराम कोर्ट में पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के खिलाफ परिवाद पत्र दायर ( Complaint filed in Sasaram court Against Manjhi ) किया गया.

मानव हित पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज पाठक ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सासाराम के कोर्ट में परिवाद पत्र दायर करने के लिए आवेदन दिया है. मनोज पाठक का कहना है कि 18 एवं 19 दिसंबर को उन्होंने टेलीविजन पर पूर्व सीएम जीतन राम मांझी को ब्राह्मण समाज के प्रति आपत्तिजनक बयान देते सुना था. इसके बाद खुद को असहज एवं ग्लानिपूर्ण महसूस करने लगा. जिसको लेकर पिछले कई दिनों से वे तथा उनके जाति वर्ग के लोग असहज महसूस कर रहे हैं.

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बता दें कि दायर प्रतिवाद में लिखा गया है कि जातीय विद्वेष पैदा करने के उद्देश्य से पूर्व सीएम द्वारा इस तरह के आपत्तिजनक बयान दिया गया है. जिसको लेकर माननीय न्यायालय से कार्रवाई की मांग की गई है.

गौरतलब है कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने शनिवार की शाम ( 18 दिसंबर ) पटना के कालिदास रंगालय में एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए ब्राह्मणों और देवी-देवताओं के लिए बेहद अपमानजनक शब्द का प्रयोग किया था.

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जीतन राम मांझी ने 19 दिसंबर को पटना में एक जनसभा के दौरान ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया था. उन्होंने कहा था.'जब मैं छोटा था, सत्यनारायण पूजा का प्रचलन हमारे समुदाय (मुसहर) में ज्यादा लोकप्रिय नहीं था. इन दिनों सत्यनारायण पूजा का प्रचलन लगभग हर घर में हो रहा है. इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि ब्राह्मण **** (पंडित) हमारे घर आते हैं. पूजा करते हैं, लेकिन वे हमारे घरों में खाना नहीं खाते हैं. वे बेशर्मी से हमारे घरों में खाना खाने के बजाय हमसे पैसे (दक्षिणा) मांगते हैं.'

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आरोप है कि मांझी ने अपने समुदाय के लोगों और ब्राह्मणों दोनों के लिए भी अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया. मांझी ने कहा था, 'बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर हिंदू थे, लेकिन उन्होंने अपनी मृत्यु से पहले धर्म बौद्ध अपना लिया. उन्होंने कहा कि हिंदू समुदाय सबसे खराब समुदाय है और इसलिए उन्होंने धर्म बदल दिया था. जब उनकी मृत्यु हुई, तो वह बौद्ध थे.'

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20 दिसंबर को मांझी ने अपने बयान पर सफाई दी. उन्होंने कहा कि उन्होंने ब्राह्मणों के खिलाफ नहीं, बल्कि अपने समुदाय के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया था. मांझी ने कहा,'फिर भी अगर किसी को मेरे बयान से ठेस पहुंची है तो मैं अपनी बात वापस ले लूंगा.'

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