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उपचुनाव में दोनों सीटों पर अल्पसंख्यक वोटरों को अपने पाले में लाने के जुगाड़ में NDA और RJD

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Published : Oct 12, 2021, 7:33 AM IST

बिहार में दो विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव से पहले राजद और एनडीए अल्पसंख्यक वोटरों को अपने पाले में करने के लिये जुट गयी है. दोनों पार्टियां खुद को अल्पसंख्यकों का हितौषी बता रही है. पढ़ें पूरी खबर.

वोटरों को लुभाने में जुटी पार्टियां
वोटरों को लुभाने में जुटी पार्टियां

पटना: बिहार (Bihar) में दो सीटों पर उपचुनाव (By-Election) होना है. सभी पार्टी अब अपने वोट के जुगाड़ में लग गयी है. राजद (RJD) को इसबार एनडीए (NDA) के अलावे कांग्रेस के उम्मीदवार से भी चुनौती मिलेगी. राजद अल्पसंख्यक वोट को अपना वोट मानती रही है, लेकिन इस बार कांग्रेस ही नहीं बल्कि एनडीए ने भी अल्पसंख्यक वोट के जुगाड़ में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है.

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जदयू जहां अपने अल्पसंख्यक नेताओं को चुनाव प्रचार में उतारा है. वहीं एनडीए के घटक दल रालोजपा भी अपने अल्पसंख्यक प्रकोष्ट के माध्यम से जदयू उम्मीदवार की मदद कर रहा है और अपनी टीम चुनाव प्रचार में उतारकर अल्पसंख्यक बहुल पंचायतों में दौरा शुरू कर दिया है. वहीं राजद भी अपने अल्पसंख्यक नेताओं को चुनाव प्रचार के लिए क्षेत्र में भेज दिया है. जो अल्पसंखयक बस्तियों में जाकर अपने पार्टी के उम्मीदवार के लिए वोट मांग रहे हैं.

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इस उपचुनाव में दोनों सीटों पर अल्पसंख्यक का वोट एकतरफा पड़ने से निर्णायक साबित हो सकता है. वैसे राजद के प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि अल्पसंख्यक समाज अभी भी लालू यादव के साथ है और उसका एक वोट भी कहीं नहीं जाएगा. उन्होंने कहा कि कोई कुछ भी कहे राजद शासन काल में जिस तरह से अल्पसंख्यक के लिए हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव ने काम किया है वो अल्पसंख्यक समाज के लोग नहीं भूले हैं. आज भी अल्पसंख्यक के हक की लड़ाई तेजस्वी यादव लड़ रहे है. इसलिये अल्पसंख्याक का वोट राजद को ही मिलेगा.

वहीं रालोजपा के अल्पसंख्यक नेता इकबाल अहमद ने कहा कि तारापुर, मुंगेर में अल्पसंख्यक पूरी तरह से एनडीए उम्मीदवार के साथ है और हमलोग लगातार अपने क्षेत्र के लोगों के संपर्क में है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यक के कल्याण के लिए काम किया है. इसलिए विकास के नाम पर अल्पसंख्यक समाज एनडीए के साथ है और पूरी मजबूती से इसबार एनडीए उम्मीदवार को वोट करेगी. वैसे अगर देखें तो कुशेश्वरस्थान से ज्यादा अल्पसंख्यक वोटरों की संख्या तारापुर में है और ये भी सीट पहले से जदयू की रही है.

हालांकि इसबार जिस तरह से राजद अल्पसंख्यक और पिछड़े अतिपिछड़े के वोटों को अपने पक्ष करने में जुटी है उससे लगता है कि तारापुर सीट पर भी जदयू की मुश्किलें बढ़ेगी. राजद जहां एक तरफ दोनों सीट पर जातीय समीकरण के आधार पर चुनाव प्रचार कर रही है और छोटे छोटे पार्टी के स्थानीय नेताओं के जरिये समीकरण बनाने में लगी है उससे लगता है कि इसबार कोई भी दांव छोटा ना हो इसको लेकर कमर कस लिया है. युवा राजद के अध्यक्ष कारी साहेब को अपने टीम के साथ दोनों सीटों पर अल्पसंख्यक के रिझाने में लगा दिया गया है.

वहीं जदयू भी अपने सभी प्रकोष्ट के छोटे नेताओं को मैदान में प्रचार को लेकर उतारी है. वैसे रालोजपा और मांझी के पार्टी ने भी अपने स्थानीय नेताओं को गांव-गांव जाकर एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में वोट करने को लेकर एकजुट करने का मुहिम शुरू किया है. अब देखना यह है कि अल्पसंख्यक वोट जो शुरू से राजद का रहा है क्या एनडीए उसे पार्टी के स्थानीय नेता के मदद से सेंध लगा पायेगी.

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