ETV Bharat / state

भूपेंद्र यादव या हरीश द्विवेदी: UP की सियासत ने बिहार BJP के प्रभारी के मामले को उलझाया

author img

By

Published : Oct 11, 2021, 10:56 PM IST

उत्तर प्रदेश और बिहार के सियासी दांवपेच में बिहार बीजेपी की राजनीति उलझ गई है. प्रदेश प्रभारी को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है. फिलहाल कौन हैं बिहार बीजेपी के प्रभारी, यह बताने की स्थिति में कोई नहीं है. पढ़ें खास रिपोर्ट...

बीजेपी
बीजेपी

पटना: बिहार बीजेपी (Bihar BJP) में उलटफेर का दौर पिछले कुछ महीनों से जारी है. बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद ये सिलसिला तब शुरू हो गया था, जब सुशील मोदी, प्रेम कुमार और नंदकिशोर यादव को कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया था. जेपी नड्डा (JP Nadda) की टीम में भी तीनों नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिली. इधर पार्टी के संगठन महामंत्री नागेंद्र नाथ को भी प्रमोट कर रांची भेज दिया गया और उनकी जगह भिखूभाई दलसानिया ने लिया.

ये भी पढ़ें: 'पार्टी विद डिफरेंस' वाली BJP पर भी चढ़ा बिहार का सियासी रंग, प्रदेश प्रभारी के ऐलान के बाद असमंजस क्यों?

लंबे समय तक बिहार प्रभारी के रूप में काम कर चुके भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav) केंद्र की सरकार में मंत्री बन चुके हैं और उनकी जगह नए चेहरे की तलाश थी. भूपेंद्र यादव की टीम में हरीश द्विवेदी (Harish Dwivedi) सह प्रभारी के रूप में काम कर चुके हैं. लिहाजा उनका नाम आगे कर दिया गया, लेकिन फिर फैसले पर संशय की स्थिति बन गई. वे उत्तर प्रदेश के बस्ती से सांसद हैं और वह अगड़ी जाति से आते हैं.

देखें रिपोर्ट

दरअसल, पिछले कुछ सालों में बिहार में बीजेपी ने रणनीतियों में बदलाव किया है. पिछड़ा वोट बैंक को साधने के लिए संगठन में पिछड़ी जाति के नेताओं को तवज्जो मिली है. भूपेंद्र यादव लंबे समय तक बिहार बीजेपी के प्रभारी रहे. माना जाता है कि भूपेंद्र यादव, संजय जायसवाल और नित्यानंद राय की सहमति के बगैर पार्टी में बड़े फैसले संभव नहीं हैं. सुशील मोदी, नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार भी पिछड़ी राजनीति की उपज हैं.

पूर्व संगठन महामंत्री नागेंद्र नाथ के तबादले के बाद जिन्हें संगठन मंत्री बनाया गया है, वह भी पिछड़ी जाति से आते हैं. ऐसे में हरीश द्विवेदी को बिहार प्रभारी के रूप में आगे किए जाने के बाद बीजेपी की आंतरिक राजनीति में उठापटक का दौर शुरू हो गया है. ऐसे में हरीश की ताजपोशी पर ग्रहण लग गया. उन्होंने खुद भी अपने ट्विटर अकाउंट पर सह प्रभारी लिख दिया.

बिहार प्रभारी को लेकर जिस तरीके की सियासत हो रही है, उसका असर यूपी की राजनीति पर भी पड़ सकता है. ब्राह्मण वोट बैंक को प्रभावित करने के लिए विपक्ष इस मसले को भुना सकता है. बिहार का मुख्य विपक्षी दल आरजेडी (RJD) ने इस मुद्दे को हवा देना भी शुरू कर दिया है. हालांकि बीजेपी की ओर से यह तर्क दिया जा रहा है कि हरीश बस्ती के सांसद हैं और अपने इलाके में विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) को लेकर उन्हें काम करने हैं. इस वजह से मामले को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाला गया है.

ये भी पढ़ें: ...तो हरीश द्विवेदी के साथ 'खेला' हो गया! बिहार BJP प्रभारी को लेकर संशय बरकरार

आरजेडी प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा है कि बीजेपी हर फैसले को चुनाव के नजरिए से अंजाम देती है. अब उन्हें यूपी में ब्राह्मण वोटों में बिखराव का डर लग रहा है. यही वजह है कि पहले तो जितेंद्र प्रसाद को मंत्री बनाया और फिर उसके बाद हरीश द्विवेदी को बिहार प्रभारी बनाया. इन सबके बावजूद यूपी की जनता बीजेपी को खारिज कर देगी.

वहीं, बिहार बीजेपी के प्रवक्ता संतोष पाठक ने कहा है कि फैसले का उत्तर प्रदेश की राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ेगा. बिहार प्रभारी को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति है, लेकिन जल्द ही केंद्रीय नेतृत्व के स्तर पर अंतिम फैसला ले लिया जाएगा.

राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी अगर किसी अगड़े को बनाने की कोशिश कर रही होगी तो पिछड़ों की नाराजगी ने इस निर्णय पर विराम लगा दिया होगा. संभव यह भी है कि पार्टी के बड़े नेताओं को विश्वास में नहीं लिया गया होगा. उन्होंने कहा कि बीजेपी कोई भी निर्णय नफा-नुकसान को देखकर करती है, यूपी चुनाव पार्टी की प्राथमिकताओं में शामिल है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.