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बच्चों के वैक्सीनेशन में बड़ी लापरवाही: जिसको दिया गया बिहार में पहला टीका, दोपहर 1 बजे तक रही भूखी

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Published : Jan 3, 2022, 4:45 PM IST

पटना के आईजीआईएमएस में 15 साल से 18 साल के बच्चों का टीकाकरण अभियान शुरू (Corona Vaccination For Children) हो गया है. बिहार में सबसे पहला कोरोना का टीका 16 वर्षीय रितिका कुमारी को दिया गया. हालांकि, इस दौरान स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आयी है. दरअसल, जिन बच्चों को टीका दिया गया, वे आज सुबह 7 से लेकर दोपहर 1 बजे तक खाली पेट रहे. पढ़ें पूरी खबर..

बच्चों के वैक्सीनेशन में बड़ी लापरवाही
बच्चों के वैक्सीनेशन में बड़ी लापरवाही

पटना: बिहार में 15 से 18 वर्ष के बच्चों के टीकाकरण अभियान (Children vaccination campaign start in Bihar) की शुरुआत हो गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की मौजूदगी में टीकाकरण अभियान की शुरुआत की गई जिसमें सबसे पहले कोरोना का टीका 16 वर्षीय रितिका कुमारी को दिया गया. लेकिन बिहार सरकार ने जिस बच्ची यानी रितिका को वैक्सीनेशन का मॉडल बनाया है, उसे ही भूखे पेट वैक्सीन दे दी. सुबह 7 बजे घर से खाली पेट निकली रितिका को मात्र बिस्किट खिलाकर टीका ( (Ritika First Took Corona Vaccine In Bihar) दे दिया गया.

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रितिका दोपहर एक बजे एक बजे तक खाली पेट IGIMS में पड़ी रही. ये कहानी सिर्फ रितिक की ही नहीं है. IGIMS में ज्यादातार वैक्सनीशन के लिए आये ज्यादातर बच्चे दोपहर 1 बजे तक खाली पेट ही रहे. दरअसल, स्वास्थ्य विभाग की ओर से किसी को ये जानकारी तक नहीं दी गई कि उन्हें खाली पेट नहीं आना है. जब वैक्सीनेशन देने की बारी आयी तो पता चला कि बच्चे सुबह 7 बजे ही खाली पेट हैं, तब जाकर आनन-फानन में सभी बच्चों को 10 रुपये पैकेट का बिस्किट उपलब्ध कराया गया, जिसके बाद सभी को बिस्किट खिलाकर वैक्सीनेशन (Children Vaccinated in Empty Stomach In Patna ) किया गया.

यहीं, हाल विभिन्न स्कूलों से काफी संख्या में एनसीसी कैडेट्स का भी रहा. लगभग सभी एनसीसी कैडेट्स को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी कि उन लोगों का आज वैक्सीनेशन होना है. वैक्सीनेशन की पूरी जानकारी ना होने के कारण बच्चे भूखे पेट वैक्सीनेशन कराने पहुंच गये और वैक्सीनेशन के समय जब वैक्सीनेटर ने उनसे पूछा कि उन्होंने सुबह से कुछ खाया है या नहीं. उन्होंने ने बताया कि, कुछ नहीं खाया है. जिसके बाद बच्चों के लिए ₹10 की बिस्किट के पैकेट की व्यवस्था की गई. बच्चों को बिस्किट खिलाया गया फिर पानी पिलाया गया और फिर टीकाकरण किया गया.

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टीकाकरण अभियान 10:30 से शुरू हुआ और बच्चों को लगभग 12:30 बजे तक अवलोकन कक्ष में रखा गया और तब तक बच्चे भूखे रहे. बच्चों के लिए नाश्ते की पैकेट की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी. आश्चर्य की बात यह भी रही कि जिस बच्ची ने प्रदेश में कोरोना टीका का पहला डोज लिया वह भी वैक्सीनेशन सेंटर पर खाली पेट ही पहुंची थी. वैक्सीनेशन के लिए और बिस्कुट खिलाकर उसका भी टीकाकरण किया गया है. दरअसल, कोरोना गाइडलाइंस के तहत सरकार का साफ निर्देश है कि कोरोना टीकाकरण खाली पेट नहीं किया जाना है.


प्रदेश में बच्चों के लिए शुरू हुए कोरोना टीकाकरण अभियान में पहला टीका लेने वाली 16 वर्षीय छात्रा रितिका कुमारी ने बताया कि उन्हें 31 दिसंबर को जानकारी दी गई कि उनका टीकाकरण वैक्सीनेशन अभियान के पहले दिन होना है. वैक्सीनेशन के लिए स्कूल में वह सुबह 7:00 बजे ही पहुंच गई. ऐसे में वह भूखे पेट ही स्कूल आई थी. स्कूल के तरफ से उन्हें आईजीआईएमएस में टीकाकरण के लिए ले आया गया.

'सिर्फ बिस्किट खिला कर उन्हें टीका दिया गया. उसके बाद किसी प्रकार का कोई नाश्ता नहीं मिला. सुबह से दोपहर 12:30 बजे तक वह सिर्फ एक ₹10 वाली बिस्किट की पैकेट खाकर ही रही.' :- रितिका, आईजीआईएमएस में टीका लेने वाली पहली बच्ची

वहीं, वैक्सीनेशन के लिए पहुंचे एनसीसी कैडेट्स ने बताया कि, उन्हें वैक्सीनेशन के लिए पूर्व से कोई जानकारी नहीं दी गई थी. उन लोगों को सुबह 8:00 बजे स्कूल में एनसीसी यूनिफॉर्म में रिपोर्ट करने को कहा गया था. वैक्सीनेशन सेंटर पर पता चला कि उन्हें टीका लेना है. पटना के सरिस्ताबाद स्थित दरोगा प्रसाद राय उच्च विद्यालय से आए हुए 3 छात्र आनंद वत्स, आदर्श राज और सनी कुमार ने बताया कि उन्हें वैक्सीनेशन के लिए पूर्व से कोई जानकारी नहीं थी.

'विद्यालय में पहुंचने के बाद पता चला कि वैक्सीनेशन के लिए आईजीआईएमएस में ले जाया जाएगा. जिसके बाद उन लोगों ने अपने अभिभावकों से फोन कर इस बात की सूचना दी और अभिभावकों की रजामंदी ली. स्कूल वालों ने सुबह-सुबह बुला लिया था और इसके पूर्व से जानकारी नहीं थी. ऐसे में वह सभी खाली पेट वैक्सीनेशन के लिए पहुंचे थे . वैक्सीनेशन रूम में ₹10 के पैकेट का बिस्किट खिलाने के बाद पानी पिलाया गया. इसके बाद उन लोगों का वैक्सीनेशन हुआ.' :- छात्र, एनसीसी कैडेट्स

वहीं, स्कूल से छात्रों को लेकर के पहुंची यूनिसेफ की कर्मी किरण से जब पूछा गया कि वैक्सीनेशन के लिए खाली पेट बच्चे क्यों पहुंचे हैं. इस पर उन्होंने कहा कि खाना खाकर हीं बच्चों को वैक्सीनेशन के लिए आना था लेकिन ये बताने की जिम्मेदारी स्कूल प्राचार्य की है, हमारी नहीं. उल्टे वह मीडिया पर भी बिफर गई कि इस प्रकार के अनावश्यक बातों को तूल न दें.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बच्चों के लिए नाश्ते की पर्याप्त व्यवस्था थी. लेकिन जिन लोगों को इस व्यवस्था का जिम्मेदारी दी गई, वे हीं बच्चों के नाश्ते को डकार गए. बताते चलें कि गैस्ट्रोलॉजिस्ट और चाइल्ड स्पेशलिस्ट बच्चों को अधिक बिस्कुट ना खाने की अभिभावकों को सलाह देते हैं. वहीं, स्वास्थ्य विभाग के कार्यक्रम में ही बच्चों को नाश्ते के तौर पर बिस्किट का पैकेट खिलाया गया.


वहीं, वैक्सीनेशन रूम में डॉक्टर बच्चों को यह समझा रहे थे की वैक्सीन लेने के बाद भी हमें सतर्कता और सावधानी रखनी है. चेहरे पर मास्क का प्रयोग करना है. सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन रखना है, लेकिन जब स्कूल से बच्चों को जिस गाड़िया में लाया गया, इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल दूर-दूर नहीं रखा गया. सभी बच्चों को अनाज के बोड़े की तरह गाड़ियों में ठूंस कर लाया गया. एक स्कॉर्पियो गाड़ी में 13 से 14 बच्चे बैठे नजर आए. हालांकि, सभी बच्चों ने चेहरे पर मास्क पहन रखा था.

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बता दें कि, बिहार में बढ़ते कोरोना मरीजों के बीच आज से 15 साल से 18 साल के बच्चों का टीकाकरण अभियान (Corona Vaccination For Children) शुरू हो गया है. पटना के आईजीआईएमएस में सीएम नीतीश ने इसका शुभारंभ किया है. पहले दिन 20 बच्चों को यहां टीका दिया जाएगा. बता दें कि राज्य में लगभग 83 लाख बच्चे हैं, जिन्हें टीका देना है, उसका अभियान सोमवार से शुरू किया गया है.

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