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बिहार के इस गांव में लगा है ऐसा 'ग्रहण', हाथ पीला होना तो दूर, बीमार भी हुए तो यहीं मरना पड़ता है

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 2, 2023, 6:44 AM IST

गया के भगहर गांव के लोगों की बड़ी परेशानी
गया के भगहर गांव के लोगों की बड़ी परेशानी

गया के भगहर गांव जाने के लिए कोई सड़क नहीं है. रास्ता नहीं होने की वजह से यहां के ग्रामीण काफी परेशानी झेल रहे हैं. मरीजों को अस्पताल ले जाना हो या फिर बच्चों को स्कूल सब कुछ सड़क के अभाव में पिछड़ता जा रहा है. यहां तक कि इस गांव में लोगों से कोई शादी भी नहीं करना चाहता. पढ़ें पूरी खबर-

गया के भगहर गांव के लोगों की बड़ी परेशानी

गया : बिहार के गया के इमामगंज का गांव 'भगहर' जो चारों ओर से नदियों से घिरा है. लगभग 800 की आबादी वाला ये गांव टापू पर बसे होने की वजह से किसी अभिशाप से कम नहीं. यही वजह है कि गांव में विकास का रफ्तार थम सी गई है. नदी में पानी रहने के कारण बच्चे स्कूल जाने को भी तरस जाते हैं. इस गांव के लोगों को कोई अपनी लड़की की शादी नहीं करना चाहता.

सड़क नहीं तो शादी नहीं : घर तक लड़की वाले आएं इसके लिए गांव के लोग चंदा करके सड़क बनाते हैं. पैसा कम होने पर गांव के लोग खुद श्रमदान करके रास्ता निकालते हैं. ये काम इस गांव के लोगों का हर साल रहता है. कोई मरीज है तो उसे अस्पताल तक ले जाना काफी मुश्किल होता है. ग्रामीण ने बताया कि बरसात में सीरियस मरीजों को यहां मरना ही पड़ता है. कोई भी बाप अपनी बेटी की शादी इस गांव के लोगों से नहीं कराना चाहता.

गया, भगहर
श्रमदान से सड़क निर्माण

''हमारे गांव तक कोई सड़क नहीं है. हम लोग चंदा इकट्ठा करके सड़क बनाते हैं. स्थानीय डॉक्टर से ही इलाज कराना हमारी मजबूरी है. बरसात में तो मरीज को यहीं पर मरना पड़ता है. हम अस्पताल तक नहीं जा पाते. एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाती.'' - ग्रामीण

पुल की डिमांड कर रहे ग्रामीण : गया का भगहर गांव गया जिला मुख्यालय से 80-85 किलोमीटर दूर है. इसकी भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि चारों ओर से चार-पांच नदियां बहकर आती हैं. बारिश के दिनों में महीनों तक गांव में सब कुछ ठप रहता है. ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें इस नदी पर एक पुल चाहिए, लेकिन नीतीश सरकार और मोदी सरकार सुन नहीं रही है.

''हमें पुल की जरूरत है. हमारा गांव काफी पिछड़ चुका है. यहां कोई शादी के लिए नहीं आता. उसके लिए हम लोगों को सड़क बनानी पड़ती है. तब जाकर कोई हमारे द्वार तक आता है. हमारी सरकार से मांग है कि गांव में पुल बने''- देवंती देवी, ग्रामीण

गया
महिलाएं और बुजुर्ग महिलाएं भी काम में जुटीं

चंदा करके सड़क बनाते हैं ग्रामीण : कच्ची सड़क बनाने के लिए पूरा गांव एकजुट होता है. पुरुष, महिला, बूढ़े-जवान सभी मिलकर सड़क पर श्रमदान कर रहे हैं. जिसके पास जितनी गाड़ी है उसको चंदा भी उसी के मुताबिक देना पड़ता है. बुजुर्ग ग्रामीणों का कहना है कि इस गांव में किसी का भविष्य सुरक्षित नहीं है.

सिर्फ वोट लेने के लिए आते हैं नेता : गांव के लोगों में गुस्सा इस बात को लेकर भी है कि यहां नेता सिर्फ वोट लेने के लिए लेने के लिए आते हैं. मुखिया से लेकर विधायक, सांसद तक के लिए वोट मांगने लोग आते हैं, लेकिन जैसे ही जीतते हैं, फिर गांव में देखने नहीं आते हैं. यह नक्सल प्रभावित इलाका है और यहां विकास नहीं हो पाया, जबकि आबादी हजारों में है, हमारे विधायक जीतन राम मांझी भी कोई ध्यान नहीं देते हैं.

श्रमदान कर सड़क बनाते भगहर गांव के ग्रामीण
श्रमदान कर सड़क बनाते भगहर गांव के ग्रामीण

''इमामगंज के भगहर गांव के लोगों की मांग पर पुल निर्माण को प्राथमिकता में रखा गया है. वर्ष 2018 से ही इसके लिए प्रयास जारी है. फिर से इसे रिमाइंड किया जाएगा.''- जीतन राम मांझी, पूर्व सीएम बिहार.

जिला प्रशासन ने दिया आश्वासन : भगहर गांव के ग्रामीणों की समस्या को लेकर गया जिलाधिकारी त्यागराजन के पास पहुंचे तो उन्होंने आश्वासन दिया कि ग्रामीणों की समस्या को दूर करेंगे. उन्होंने कहा कि ये गांव नदियों से घिरा होने की वजह से परेशानी होती है. इसे दिखाकर वहां के लोगों को हो रही समस्या से छुटकारा दिलाया जाएगा.

''इमामगंज के भगहर गांव नदियों से घिरा है, लोगों को परेशानी है, तो इसे दिखाया जाएगा और उनकी परेशानी को दूर किया जाएगा.''- डॉक्टर त्यागराजन एसएम, जिला पदाधिकारी, गया.

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