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Makar Sankranti 2022 : जानिए मकर संक्रांति पर बक्सर में गंगा नदी में स्नान का महत्व

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Published : Jan 14, 2022, 6:30 PM IST

जानिए मकर संक्रांति पर बक्सर में गंगा नदी में स्नान का महत्व
जानिए मकर संक्रांति पर बक्सर में गंगा नदी में स्नान का महत्व

सनातन धर्म में मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का खासा महत्व है. आज के दिन ही सूर्य देव अपनी राशि का परिवर्तन करते हुए धनु से मकर में प्रवेश करते हैं. वहीं, बक्सर जिले के रामरेखा घाट पर गंगा स्नान का विशेष महत्व हैं. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने बक्सर में गंगा स्नान के महत्व पर पंडित प्रो. मुक्तेश्वर शास्त्री से खास बातचीत की. पढ़ें पूरी खबर...

बक्सर : आज यानी 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व (Makar Sankranti festival ) देशभर में मनाया जा रहा है. उत्तर भारत हो या दक्षिण या फिर पूर्वोत्तर भारत, हर जगह मकर संक्रांति का पर्व मनाया जा जा रहा है. इसका 14 जनवरी को होना कई मायने रखता है. इसी दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं. जिसके साथ ही मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं. मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का खास (Importance Of Ganga Snan on Makar Sankranti ) महत्व है.

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वहीं, बक्सर जिला गंगा नदी के किनारे स्थित है. ये माना जाता है कि यहां के रामरेखा घाट पर भगवान राम अपने अनुज लक्ष्मण के साथ आये थे. इसलिए यहां स्नान का एक विशेष फल प्राप्त होता है. यहीं वजह है कि बक्सर रामरेखा घाट पर गंगा स्नान करने के लिए लाखों श्रद्धालु न केवल राज्यभर के सभी जिलों के अलावा उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल से भी आते हैं. हांलाकि इस बार भी कोरोना की तीसरी लहर के कारण रामरेखा घाट पर गंगा स्नान पर प्रतिबंध है.

पंडित प्रो. मुक्तेश्वर शास्त्री से जानिए... बक्सर में गंगा स्नान का महत्व

ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने बक्सर में उत्तरायणी गंगा के महत्व के बारे में पंडित प्रो. मुक्तेश्वर शास्त्री से खास बातचीत की है. उन्होंने बताया कि, उत्तरायणी गंगा का बहुत महत्व होता है. उत्तरायणी गंगा जहां भी होती हैं. वह जगह सिद्ध पीठ हो जाता है. बक्सर का खास इसलिए महत्व है कि यहां पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की शिक्षा स्थली रही है. यहां पर रामरेखा घाट पर भगवान आकर खुद स्नान किए हैं. भगवान ने यहां पर ताड़का का वध किया था.

'रामरेखा घाट पर भी भगवान राम ने रामेश्वर लिंग की स्थापना कर पूजा की. इसलिए यह क्षेत्र विशेष हो जाता है. दूसरी बात ये है कि विष्णु भगवान के 24 अवतार जो हुए हैं. उनमें से एक वामन अवतार यहीं पर हुआ था. यह भगवान वामन की जन्म स्थली भी है. इसलिए यहां मकर संक्रांति पर दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. गंगा स्नान के बाद गंगा जल ले जाते हैं.' :- पंडित प्रो. मुक्तेश्वर शास्त्री, बक्सर


पंडित प्रो. मुक्तेश्वर शास्त्री ने बताया कि, इस पर्व का नाम मकर संक्रांति का नाम इसलिए पड़ा, क्योंकि धनु राशि में सूर्य प्रवेश प्रवेश करते हैं. ज्योतिष गणना के अनुसार धनु राशि में जब प्रवेश करेंगे तो उसका चरण अंतिम होता है. जिसे खरमास उसको बोलते हैं. उस समय कोई भी मांगलिक कार्य एक महीना के लिए स्थगित कर दिए जाते हैं. 14 तारीख को सूर्य मकर राशि में 8:34 पर प्रवेश कर जाएंगे. अब कल से सभी मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाएंगे. नाना प्रकार के लग्न, विवाह, गंगा स्नान तथा दान पुण्य आदि होने लगेगा.

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उन्होंने ने बताया कि गोदा रंगनाथ भगवान का मकर सक्रांति में पूजन होता है. गोदा दक्षिण भारत की लक्ष्मी थी. यहां भी लक्ष्मी नारायण मंदिर है, बैकुंठ नाथ मंदिर है. गोदा रंगनाथ का पूरे भारत में बहुत काफी महत्व है. मकर सक्रांति का हमारे यहां पर जितने वैष्णव संप्रदाय के मंदिर हैं. वहां पर गोदा रंगनाथ भगवान का मकर सक्रांति में पूजन होता है. गोदा दक्षिण भारत की लक्ष्मी थी. यहां भी लक्ष्मी नारायण मंदिर है. बैकुंठ नाथ भगवान का रामरेखा घाट पर मंदिर है. सभी जगह एक महीना पूजन होतr है. इस प्रकार मकर संक्रांति का बहुत ही आध्यात्मिक महत्व है.

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