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नीतीश कुमार इस बार पाला बदलते हैं तो क्या सरकार बनाना होगा आसान!

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Published : May 25, 2022, 4:50 PM IST

Updated : May 25, 2022, 5:02 PM IST

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

बिहार में जब से नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच नजदीकियां बढ़ी है, तब से एक के बाद एक लगातार हो रहे घटनाक्रम से सियासी हलचल जारी है. ऐसे में बिहार में राजनीतिक उठापटक (Bihar Politics) को लेकर भी चर्चाएं जोरों पर हैं. लेकिन, इस बार नीतीश कुमार के लिए जो परिस्थितियां हैं, उसमें पाला बदलना और सरकार बनाना आसान नहीं होगा. पढ़ें ये रिपोर्ट..

पटना: बिहार में पिछले डेढ़ महीने में लगातार राजनीतिक घटनाक्रम (Political upheaval intensifies in Bihar) बदले हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) नए आवास 7 सर्कुलर रोड में शिफ्ट हुए हैं. इफ्तार पार्टियों से नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की नजदीकियां बढ़नी शुरू हुई और फिर जातीय जनगणना के बहाने दोनों के बीच अकेले में आधे घंटे से भी अधिक बातचीत हुई. अब 1 जून को जातीय जनगणना पर सर्वदलीय बैठक (All Party Meeting on Caste Census) होने का फैसला हो चुका है. जातीय जनगणना पर जदयू और आरजेडी के सुर पूरी तरह से मिले हुए हैं, तो वहीं बीजेपी का अलग रुख रहा है.

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RCP को लेकर सस्पेंस बरकरार: राज्यसभा सीटों को लेकर भी मामला उलझा हुआ है. खासकर आरसीपी सिंह पर नीतीश कुमार फैसला नहीं ले पा रहे हैं. 4 दिन पटना में रहने के बाद आरसीपी सिंह दिल्ली चले गए. वो वहां बीजेपी नेताओं से बातचीत भी कर सकते हैं. इसके कारण भी कयासों को बल मिल रहा है. राज्यसभा उम्मीदवार को लेकर नीतीश कुमार ने जिस प्रकार से विधायकों और मंत्रियों को बुलाकर बैठक की है और उसके बाद भी आरसीपी सिंह को लेकर सस्पेंस (Suspense on RCP Singh) बना हुआ है. जदयू की तरफ से विधायकों को 72 घंटे पटना में रुकने की अफवाह भी खूब उड़ी.

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एक के बाद एक बदल रहे घटनाक्रम: बिहार के राज्यपाल भी अचानक मंगलवार को दिल्ली गए हैं. आरसीपी सिंह की बीजेपी से नजदीकियां बढ़ी है. यहां तक कि टि्वटर हैंडल पर भी प्रधानमंत्री की तस्वीर ही दिखती है. प्रधानमंत्री की तारीफ में लगातार ट्वीट भी करते रहते हैं. इसको लेकर भी नीतीश कुमार और पार्टी के वरिष्ठ नेता नाराज हैं. नीतीश कुमार ने मई महीने में अब तक कैबिनेट की कोई बैठक भी नहीं की है. एक के बाद एक बदल रहे घटनाक्रम के कारण राजनीतिक उठापटक के कयास को बल मिल रहा है.

पलटीमारी के लिए स्थिति अनुकूल नहीं: नीतीश कुमार पहले भी लगातार पाला बदलते रहे हैं, लेकिन इस बार परिस्थितियां उनके अनुकूल नहीं है. संख्या बल के हिसाब से जरूर यदि आरजेडी और महागठबंधन के साथ जाते हैं तो सरकार बनाने के लिए पर्याप्त होगी, लेकिन बिहार में सबसे बड़ी पार्टी अब बीजेपी है. विधानसभा अध्यक्ष बीजेपी के हैं. केंद्र में बीजेपी की सरकार है और राज्यपाल भी बीजेपी के हैं, तो नीतीश कुमार पाला बदलने का यदि कोई फैसला लेते हैं तो उनके लिए सरकार बनाना मुश्किल जरूर होगा, क्योंकि बड़ी पार्टी बीजेपी है. इसलिए राज्यपाल को बीजेपी को ही बुलाना पड़ेगा और उसके बाद क्या घटनाक्रम होगा, फिलहाल उस पर अनुमान लगाना भी मुश्किल है. लेकिन, सारा कुछ दारोमदार आरसीपी सिंह की उम्मीदवारी पर है और लोगों की नजर भी उसी पर है.

''राजनीति में कयास लगते रहते हैं, कोई नई बात नहीं है और परिस्थितियां भी इस बार अलग है, इसलिए स्थितियां आसान नहीं है. बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है. विधानसभा अध्यक्ष भी बीजेपी के हैं और राज्यपाल यदि सरकार बनाने की नौबत आई तो बीजेपी को ही बुलाएंगे. इसलिए नीतीश कुमार पलटी मार वाली गलती नहीं करेंगे, क्योंकि उनको पता है इस बार उनकी पार्टी तीसरे नंबर की है.''- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विशेषज्ञ

''अफवाहों का बाजार पहले से गर्म रहा है. बिहार के विकास के लिए नीतीश कुमार जाने जाते हैं और बिहार बीजेपी बिहार के विकास के लिए कटिबद्ध है और हर स्तर पर नीतीश कुमार के साथ खड़ी है. विपक्ष के लोग तरह-तरह की अफवाह उड़ाते रहते हैं. पलटी मारने का जमाना पुराना हो चुका है. नीतीश कुमार जब बदले थे तो उस समय तेजस्वी यादव को सरकार से बाहर निकाला था और उनसे जवाब मांगा था. अभी तक वह जवाब मुख्यमंत्री को नहीं मिला है. यदि तेजस्वी जवाब दे देते तो इस पर विचार किया जा सकता था, लेकिन दूर-दूर तक फिलहाल किसी तरह की कोई गुंजाइश नहीं है, क्योंकि नीतीश कुमार जानते हैं भाजपा के साथ रहकर ही बिहार का विकास किया जा सकता है.''- विनोद शर्मा, प्रवक्ता बीजेपी

''हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष ने साफ कर दिया है कि 2020 में एनडीए और नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा गया था और 2025 तक जनता का मैंडेट है. कयासों का क्या है पॉलिटिक्स में कयास नहीं लगेगा तो मजा क्या है.''- निखिल मंडल, प्रवक्ता, जदयू

बिहार में सीटों का गणित: ऐसे जदयू के नेता लगातार कह रहे हैं कि बिहार में मजबूती से एनडीए की सरकार चल रही है. 2025 तक नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही सरकार चलेगी. बीजेपी के नेता भी नीतीश कुमार के नेतृत्व में 2025 तक सरकार चलने की बात कह रहे हैं. बिहार विधानसभा में एनडीए के पक्ष में 127 विधायकों का समर्थन है. दूसरी तरफ महागठबंधन के पक्ष में 111 विधायकों का समर्थन है. ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के पांच विधायक खुलकर अभी तक दोनों तरफ में से किसी का समर्थन नहीं किया है.

बिहार विधानसभा में दलगत स्थिति

पार्टी विधानसभा में सदस्य
बीजेपी 77
आरजेडी 76
जदयू 45
कांग्रेस 19
माले 12
सीपीआई04
सीपीएम 04
एआईएमआईएम05
हम04
निर्दलीय 01 (जदयू समर्थित)

RCP पर टिकी सभी की नजर: अब यदि नीतीश कुमार इस बार पाला बदलते हैं तो संख्या बल के हिसाब से आरजेडी के 76, जदयू के 45, कांग्रेस के 19, वामपंथी दलों के 16 और एक निर्दलीय कुल 163 हो जाएंगे. सरकार बनाने के लिए 122 ही चाहिए, तो उस हिसाब से देखें तो यह संख्या बल काफी अधिक है, लेकिन आरसीपी सिंह की भूमिका क्या होगी और फिर कांग्रेस का क्या होगा, इसी को लेकर सस्पेंस भी है. यदि आरसीपी सिंह के कारण जदयू टूटता है और कांग्रेस के टूटने की भी चर्चा लगातार होती रही है. तब मुश्किलें बढ़ सकती है, क्योंकि राज्यपाल सबसे बड़े दल को पहले सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगे तो बीजेपी को फैसला लेना होगा. हालांकि, संख्या बल के हिसाब से बीजेपी के पास फिलहाल बहुमत नहीं दिख रहा है, लेकिन यदि तोड़फोड़ हुई तो स्थितियां बदल सकती हैं.

नीतीश कुमार पार्टी के अंदर गुटबाजी और सहयोगी दल बीजेपी के रवैये के कारणों से इन दिनों परेशान हैं. बीजेपी नेताओं के बयान भी कई मुद्दों पर लगातार देखने को मिल रहे हैं, जिसके कारण नीतीश असहज हैं. लगातार बदलते घटनाक्रम के कारण बिहार में फिलहाल चर्चा तो जरूर है, लेकिन नीतीश कुमार के लिए यह फैसला लेना आसान भी इस बार नहीं है, क्योंकि पहले भी आरजेडी के साथ सरकार बनाकर अपना फैसला बदलना पड़ा था.

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Last Updated :May 25, 2022, 5:02 PM IST
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