पटना: जदयू में दिग्गज नेताओं के बीच गुटबाजी (Factionalism between veteran leaders in JDU) काफी समय से है. आरसीपी सिंह और ललन सिंह के बीच दूरियां (Distance between RCP Singh and Lalan Singh) लगातार बढ़ रही है. वहीं आरसीपी सिंह और उपेंद्र कुशवाहा के बीच भी सब कुछ ठीक नहीं है, नाराजगी साफ झलकती है. पोस्टर में कभी आरसीपी सिंह का चेहरा गायब कर दिया जाता है तो कभी उपेंद्र कुशवाहा का और कई बार ललन सिंह का भी चेहरा गायब मिलता है. पार्टी के दिग्गज नेताओं के समर्थक अपने हिसाब से पोस्टर लगाते हैं और उसके कारण विवाद होता है.
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पोस्टर में अब नीतीश कुमार की ही चेहरा: यही कारण है कि प्रदेश अध्यक्ष ने केवल अब नीतीश कुमार का ही पोस्टर में चेहरा रहेगा इसका पत्र और प्रपत्र जारी कर दिया है. यहां तक कि राष्ट्रीय अध्यक्ष या पार्टी के किसी दिग्गज का फोटो लगाने पर कार्रवाई करने की भी चेतावनी दे दी गई है. शायद जदयू पहली पार्टी हो गई जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की भी तस्वीर लगाने पर कार्रवाई करने की बात कही जा रही है, लेकिन इसके पीछे बड़ा कारण यह है कि नीतीश कुमार के चेहरे के सहारे पार्टी को एकजुट करने की कोशिश हो रही है, जिससे पार्टी में टूट न हो.
पार्टी के दिग्गज नेताओं में मनमुटाव: ऐसे तो जदयू के सर्वे सर्वा नीतीश कुमार ही हैं ये किसी से छिपा नहीं है, लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह हैं. संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा हैं. पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह हैं. नीतीश कुमार के बाद पार्टी में इन दिनों इन्हीं तीन नेताओं की चर्चा हो रही है. इन नेताओं के बीच सब कुछ ठीक नहीं है. जब से उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी में शामिल कराया गया है आरसीपी सिंह नाराज हैं और आरसीपी सिंह को जब से केंद्र में मंत्री बनाया गया है ललन सिंह उनसे नाराज हैं.
पोस्टरों में भी दिखने लगी थी दूरियां: पार्टी के दिग्गज नेताओं के बीच बढ़ती दूरी कार्यक्रमों और पोस्टरों में भी दिखने लगी है. अभी हाल ही में भामाशाह जयंती का आयोजन हुआ जिसमें आरसीपी सिंह गुट की ओर से राजगीर में आयोजन करने की घोषणा कर दी गई तो वहीं पटना में भी मुख्य कार्यक्रम हो रहा था. आरसीपी सिंह के कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया, लेकिन पटना के कार्यक्रम में आरसीपी सिंह को आमंत्रण तक नहीं दिया गया और जो पोस्टर लगे थे उसमें भी उनकी तस्वीर गायब थी. इसको लेकर काफी विवाद हुआ. इसी तरह के कई मामले पहले भी आ चुके हैं और उसी के बाद नीतीश कुमार के निर्देश के बाद प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने बड़ा फैसला लिया है.
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जदयू ने निकाला अनोखा आदेश: पार्टी प्रदेश अध्यक्ष ने पोस्टर में अब नीतीश कुमार के अलावे किसी का चेहरा ना दिखे इसके लिए लेटर जारी कर दिया है. लेटर के बाद परिपत्र भी जारी किया गया. लेटर में साफ निर्देश है कि जो इसका पालन नहीं करेगा उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. शायद जदयू पहली पार्टी होगी जो इस तरह का आदेश निकाल रही है, लेकिन जानकार कहते हैं इसके पीछे बड़ा कारण पार्टी को टूट से बचाने की कोशिश है.
RJD ने कसा JDU पर तंज: आरजेडी के नेता भी जदयू के फैसले पर तंज कस रहे हैं आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी (RJD spokesperson Mrityunjay Tiwari) का कहना है कि जदयू आंतरिक अंतर कलह से परेशान है, गुटबाजी चरम पर है, पोस्टर में तस्वीरों को लेकर भी चर्चा आए दिन होती रहती है. कभी किसी नेता का पोस्टर से तस्वीर गायब रहती है, तो कभी किसी और नेती की तस्वीर गायब रहती है.
''जदयू के ऊपर पार्टी के बिखरने का खतरा लगातार मंडरा रहा है. इसी के बाद जदयू ने यह पत्र निर्गत किया है. ऐसे तो यह जदयू का अंदरूनी मामला है. हम लोगों की कोई दिलचस्पी उसमें नहीं है. लेकिन फिर भी शायद ही किसी राजनीतिक दल ने इस तरह का पत्र कभी निर्गत किया हो कि किसी एक ही आदमी की तस्वीर लगाना है दूसरे की नहीं. इतना ही नहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष की भी तस्वीर लगाने पर कार्रवाई की चेतावनी दी जा रही है, यह समझ से परे है. जदयू में भारी अंतर्कलह है और यह दिख रहा है कि ताश के पत्ते की तरह पार्टी के बिखरने का खतरा है.''- मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता आरजेडी
मामले को लेकर JDU की सफाई: आरसीपी सिंह और ललन सिंह के विवाद को लेकर जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार (JDU spokesperson Neeraj Kumar) ने कहा कि कोई विवाद नहीं है. नीतीश कुमार ही सर्वमान्य नेता हैं. उनका चेहरा, उनका व्यक्तित्व और उनका कार्य ही हमारी पूंजी है. बाकी ना हमको भ्रम है और ना किसी को होना चाहिए.
''राष्ट्रीय अध्यक्ष की सहमति से प्रदेश अध्यक्ष ने परिपत्र जारी किया है. किसी भी कार्यक्रम में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हो, चाहे प्रदेश अध्यक्ष या फिर पंचायत अध्यक्ष सबको एक ही बात बोलना है. नीतीश कुमार ही हमारी पूंजी हैं, हमारे सर्वमान्य नेता हैं, क्योंकि फोटो आजकल बाजार वाद के हवाले हो रहा है. कई फोटो रहते हैं तो लोगों का ध्यान भी कम आकर्षित होता है तो यह हमारी प्रथम शुरुआत है, कोई कार्यकर्ता कार्यक्रम में यदि किसी नेता की तस्वीर नहीं लगाया तो नेता नाराज हो जाता है जो कि कार्यक्रम के लिए उस कार्यकर्ता को कोई वेतन नहीं मिलता है. वो घर छोड़कर नीतीश कुमार के लिए ही काम कर रहा है. इसलिए पार्टी ने यह फैसला लिया है.''- नीरज कुमार, प्रवक्ता जदयू
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BJP ने किया JDU का बचाव: वहीं, सहयोगी बीजेपी के प्रवक्ता अरविंद सिंह (BJP spokesperson Arvind Singh) जदयू का बचाव करते हैं. वो कहते हैं कि जदयू का ये अंदरूनी मामला है. हर पार्टी की अलग-अलग पॉलिसी होती है. विपक्ष के इस बयान पर कि जदयू अंतर्कलह से बिखरने वाली है, इस पर अरविंद सिंह का कहना है कि विपक्ष को तो सत्ता के लिए लार टपक रहा है, लेकिन कुछ मिलने वाला नहीं है.
JDU में दिग्गज नेताओं के बीच विवाद के कारण:
- ललन सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से आरसीपी सिंह के समर्थकों को साइड लाइन किया गया.
- आरसीपी सिंह के बनाए सभी प्रकोष्ठ को भी ललन सिंह ने भंग कर दिया.
- आरसीपी सिंह को पार्टी के कार्यक्रमों में भी आमंत्रित नहीं किया जाता है. पोस्टर से तस्वीर भी गायब रहती है.
- आरसीपी सिंह ने 1 मार्च से नीतीश कुमार के जन्मदिन से 1 साल तक कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा की थी, लेकिन उस पर भी विवाद हुआ.
- आरसीपी सिंह और ललन सिंह के बीच यूपी चुनाव को लेकर भी विवाद खुलकर सामने आया था.
- आरसीपी सिंह की नाराजगी इससे भी दिखती है कि नीतीश कुमार और जदयू की इफ्तार पार्टी में भी शामिल नहीं हुए.
- विशेष राज्य के दर्जे सहित कई मुद्दों पर आरसीपी सिंह पार्टी से अलग रुख रखते रहे हैं.
- आरसीपी सिंह की बीजेपी से नजदीकियां भी नीतीश कुमार के लिए परेशानी का सबब है.
नीतीश के चेहरे से मिटेगी दूरियां!: जदयू का मतलब नीतीश कुमार और नीतीश कुमार का मतलब जदयू सबको पता है. नीतीश कुमार के चेहरे का प्रयोग पहले भी पार्टी बड़े स्तर पर करती रही है. लेकिन पार्टी के अंदर जिस प्रकार से अंतर्कलह बढ़ रहा है, उसके बाद पार्टी ने यह बड़ा फैसला लिया है और पत्र जारी कर सभी कार्यकर्ता और नेताओं को विशेष निर्देश दिया है. निर्देश नहीं मानने वालों पर कार्रवाई की बात कही है. पार्टी की तरफ से जो प्रपत्र जारी किया गया है उसमें भी कहा गया है कि किसी की तस्वीर नहीं लगने से पार्टी के अंदर विवाद होता है और उससे बचने के लिए यह सब हो रहा है, लेकिन सच्चाई यही है कि नीतीश कुमार के चेहरे के सहारे पार्टी के दिग्गज नेताओं की दूरियां को कम करने की कोशिश हो रही है. अब देखना है पत्र और प्रपत्र का कितना असर होता है.
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