ETV Bharat / state

बिहार विधानसभा उपचुनाव में 4 सीटों पर परिवारवाद का चक्रव्यूह और बाहुबल का कॉकटेल

बिहार विधानसभा-उपचुनाव में परिवारवाद और बाहुबली छवि से पार्टियां एक दूसरे को चेकमेट करने की कोशिश में है, जबकि परिवारवाद को लेकर हमलावर भी हैं-

उपचुनाव में दिख रहा परिवारवाद
उपचुनाव में दिख रहा परिवारवाद (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 24, 2024, 8:24 PM IST

पटना : राजनीति में परिवारवाद को लेकर पूरे देश में राजनीतिक बहस होती रही है. बिहार की राजनीति में राजनीतिक दलों के ऊपर परिवारवाद एवं बाहुबल को बढ़ावा देने का शुरू से आरोप लगाता रहा है. हर चुनाव में परिवारवाद एवं बाहुबल को लेकर सभी राजनीतिक दल सियासत करते हैं. लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा का, सभी नेता चुनावी भाषणों में परिवारवाद एवं बाहुबल को लेकर लंबी-लंबी बातें करते हैं, लेकिन हकीकत यही है कि जब भी मौका मिलता है, तो यही राजनीतिक दल अपने आप को इससे अछूता नहीं कर पाते. कुछ ऐसा ही नजारा अभी बिहार विधानसभा की चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव में प्रत्याशियों को लेकर नजर आ रहा है.

4 सीटों पर उपचुनाव : 2024 लोकसभा चुनाव में बिहार विधानसभा के चार सदस्य लोकसभा के चुनाव में जीत हासिल की थी. रामगढ़ के राजद विधायक सुधाकर सिंह बक्सर से सांसद बने थे. इमामगंज के हम (से) विधायक जीतनराम मांझी गया से सांसद चुने गए थे. बेलागंज के राजद विधायक सुरेंद्र प्रसाद यादव जहानाबाद से सांसद चुने गए थे और तरारी के सीपीआईएमएल विधायक सुदामा प्रसाद आरा से सांसद चुने गए थे. सांसद चुने जाने के कारण इन चारों विधायकों ने इन सीटों से इस्तीफा दे दिया था. इन्हीं रिक्त सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनाव होना है.

उपचुनाव में दिख रहा परिवारवाद (ETV Bharat)

उपचुनाव में दिख रहा परिवारवाद : बिहार विधानसभा की जिन चार सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है उसके लिए राजनीतिक दलों ने अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी है. उम्मीदवारों की बात करें तो एक बार फिर से यहां पर परिवारवाद अभी होता दिख रहा है.

इमामगंज सीट पर जीतन राम मांझी की बहू और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सुमन की पत्नी दीपा सुमन को उम्मीदवार बनाया गया है. बेलागंज में राजद ने पूर्व विधायक और वर्तमान में जहानाबाद के सांसद सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ कुमार सिंह को मैदान में उतारा है. तो जेडीयू ने बाहुबली नेता बिंदी यादव की पत्नी और पूर्व एमएलसी मनोरमा देवी को अपना उम्मीदवार बनाया है.

रामगढ़ सीट से राजद ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगतानंद सिंह के छोटे पुत्र अजीत कुमार सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है. तो बसपा ने अपने अपने पूर्व प्रत्याशी अंबिका यादव के भतीजे सतीश कुमार यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है. ईटीवी भारत से बातचीत में रामगढ़ से राजद के प्रत्याशी अजीत कुमार सिंह ने बताया कि वह पिछले दो दशकों से अपने क्षेत्र में लगातार सामाजिक कार्यों से जुड़े रहे हैं. उनका अधिकांश समय अपने क्षेत्र की लोगों के बीच ही करता है. लोगों की समस्या को लेकर वह लगातार संघर्ष भी करते रहे हैं.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

जगदानंद सिंह के छोटे बेटे मैदान में : सही है कि जगदानंद सिंह उनके पिता हैं लेकिन पार्टी ने एक सामाजिक कार्यकर्ता को अपना उम्मीदवार बनाया है. यह रामगढ़ के क्षेत्र की जनता समझती है. अजीत कुमार सिंह ने बताया कि परिवारवाद का आरोप राजद के नेताओं पर लगाया जा रहा है तो बीजेपी या एनडीए के नेताओं को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए कि उनके यहां कितने नेता पुत्र राजनीति में सक्रिय हैं और उनका समाज में क्या कंट्रीब्यूशन रहा है?

तरारी सीट उपचुनाव की चार सीटों में से एक है. उपचुनाव में परिवारवाद की अलावे बाहुबल फैक्टर भी देखने को मिल रहा है. तरारी विधानसभा सीट पर भाजपा ने बाहुबली नेता सुनील पांडे के पुत्र विशाल प्रशांत को चुनावी मैदान में उतारा है. तरारी से खुद सुनील पांडे चुनाव लड़ने के इच्छुक थे, लेकिन उनकी छवि को देखते हुए पार्टी ने उनके जगह पर उनके पुत्र को टिकट दिया. प्रत्याशी कोई भी हो लेकिन हकीकत यही है कि तरारी विधानसभा क्षेत्र का चुनाव सुनील पांडे की छत्रछाया में ही लड़ा जा रहा है.

बेलागंज सीट से बाहुबली नेता सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ कुमार सिंह को राजद ने उम्मीदवार बनाया है. हकीकत यही है कि यह चुनाव सुरेंद्र यादव की देखरेख में ही होगा. 1995 से लगातार सुरेंद्र यादव यहां से विधायक बनते रहे हैं. वहीं जेडीयू ने विश्वनाथ कुमार सिंह के मुकाबले बाहुबली बिंदी यादव की पत्नी और जदयू की पूर्व एमएलसी मनोरमा देवी को अपना उम्मीदवार बनाया है.

बाहुबलियों पर भी भरोसा : इस उपचुनाव में बाहुबल भी एक फैक्टर रहेगा, इससे इनकार नहीं किया जा सकता. ईटीवी भारत से बातचीत में विश्वनाथ कुमार सिंह ने कहा कि वह लगातार अपने क्षेत्र में सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे हैं. किसी के पुत्र होने का उनका राजनीतिक लाभ नहीं मिला है, बल्कि वह लगातार लोगों के साथ उनके सुख-दुख में शामिल रहे हैं. इसी पर भरोसा करते हुए पार्टी ने उनका टिकट दिया है.उन्हें भरोसा है कि जनता उनके पक्ष में अपना जन समर्थन देगी.

बेलागंज विधानसभा का समीकरण : बेलागंज विधानसभा सीट आरजेडी की सबसे मजबूत सीटों में से एक गिनी जाती है. 1995 से 2020 तक लगातार इस सीट पर राजद का कब्जा रहा है. राजद के सुरेंद्र यादव लगातार यहां से विधायक चुने जाते रहे हैं. बिहार विधानसभा के उपचुनाव के लिए इस बार राजद ने बेलागंज सीट से सांसद सुरेंद्र यादव के बेटे विश्वनाथ कुमार सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं एनडीए की तरफ से जनता दल यूनाइटेड ने मनोरमा देवी को प्रत्याशी बनाया है, जो कि पूर्व एमएलसी हैं और साथ ही दिवंगत बाहुबली नेता रहे बिंदु यादव की पत्नी हैं. इसी महीने NIA ने मनोरमा देवी के कई ठिकानों पर छापेमारी की थी. साथ ही उनके पुत्र के नक्सली गतिविधियों में शामिल होने के शक पर छापेमारी भी की थी.

इमामगंज विधानसभा का समीकरण : इमामगंज से पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम राम विधायक थे. इस उपचुनाव में इमामगंज सीट से केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने अपनी बहू और बिहार सरकार में मंत्री संतोष कुमार सुमन की पत्नी दीपा मांझी को पार्टी का उम्मदीवार बनाया है. दीपा मांझी से जुड़ी दिलचस्प बात यह है कि उनके ससुर केंद्र में मंत्री, पति बिहार सरकार में मंत्री और उनकी मां ज्योति मांझी हम पार्टी से विधायक हैं. राजद ने दीपा मांझी के खिलाफ रोशन मांझी को उम्मीदवार बनाया है.

रामगढ़ विधानसभा का समीकरण : रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह का परंपरागत सीट रही है. यहां से जगदानंद सिंह उनके बड़े पुत्र सुधाकर सिंह विधायक होते रहे हैं. इस उपचुनाव में राजद ने जगदानंद सिंह के पुत्र और सुधाकर सिंह के छोटे भाई अजीत सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी ने इस सीट से अशोक कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया है. बसपा ने वहां से सतीश कुमार यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है. सतीश कुमार यादव रामगढ़ के पूर्व विधायक अंबिका यादव के भतीजे हैं. दो राजपूत उम्मीदवार के मुकाबले बसपा ने यादव प्रत्याशी पर अपना दांव खेला है. 2020 विधानसभा चुनाव में रामगढ़ से अंबिका यादव मात्र 174 वोट से सुधाकर सिंह से चुनाव हारे थे.

तरारी विधानसभा का समीकरण : तरारी विधानसभा क्षेत्र में बाहुबली सुनील पांडे का अपना दबदबा रहा है. पहले पीरो एवं बाद में तरारी विधानसभा क्षेत्र से सुनील पांडे विधायक रहे हैं. लेकिन पिछले 2 चुनाव से तरारी विधानसभा क्षेत्र से सीपीआईएमएल के सुदामा प्रसाद चुनाव जीत रहे थे. इस उपचुनाव में सीपीआईएमएल ने राजू यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है तो बीजेपी ने बाहुबली नेता रहे सुनील पांडे के पुत्र विशाल प्रशांत को चुनावी मैदान में उतारा है.

बीजेपी की नजर में क्या है परिवारवाद? : परिवारवाद और बाहुबल को लेकर भाजपा के नेता अलग राय रखते हैं. बीजेपी के प्रवक्ता कुंतल कृष्ण का कहना है कि परिवार में कोई अगर राजनीति में है और अगली पीढ़ी राजनीति में आ रही है तो यह सीधा-सीधा परिवारवाद इसे नहीं मानते हैं. मांझी जी की बहू आज से 25 साल पहले राजनीति में थीं. दीपा मांझी के बारे में हम सब जानते हैं कि उन्होंने अपने समाज में शिक्षा का अलख जगाया था और राजनीतिक चेतना फैलाई थी. मांझी जी के सुपुत्र के राजनीति में आने के पहले से दीप राजनीति में सक्रिय थीं. 25 साल के संघर्ष के बाद अगर कोई टिकट पा रहा है तो इसमें बुराई क्या है?

आरजेडी के प्रत्याशियों के बारे में कुंतल कृष्ण का कहना है कि टिकट मिलने के 2 दिन पहले तक वह व्यक्ति क्रेशर चलाता है उसे क्या कहेंगे? बेलागंज से आरजेडी के प्रत्याशी सुरेंद्र यादव का बेटा राजद के किस कार्यक्रम में कहां नजर आए? भाजपा प्रवक्ता ने रामगढ़ से राजद के प्रत्याशी अजीत सिंह को लेकर कहा कि राजद के प्रदेश अध्यक्ष के सुपुत्र नौकरी कर रहे थे. जाकर के सीधे चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी के तरारी के प्रत्याशी पर भाजपा प्रवक्ता का कहना है कि सुनील पांडे उनके दल के प्रत्याशी नहीं हैं. हमारा जो प्रत्याशी है अपने लोगों के बीच में उसकी पकड़ है. यह बात उस दिन स्पष्ट होगी जिस दिन रिजल्ट आएगा.

''तरारी से कौन उम्मीदवार है, बाहुबली सुनील पांडे उनका इतिहास किसी से छुपा हुआ नहीं है. नॉन पॉलिटिकल व्यक्ति उसके पुत्र को भारतीय जनता पार्टी ने वहां से चुनाव मैदान में उतारने का काम किया. इमामगंज में कौन है चारदीवारी के बंद रहने वाली महिला को जीतन राम मांझी जी ने वहां से उनको मैदान में उतार दिया. एनडीए को यह नहीं दिखता है. बेलागंज में जेडीयू ने जो उम्मीदवार उतारा है उस पर तो दोनों लागू होता है. करप्शन का भी आरोप है. पिछले दिनों ही उनके यहां से नोटों का खजाना मिला था, तो यह लोग इधर-उधर की बात ना करें.''- अरुण कुमार यादव, प्रवक्ता, आरजेडी

राजद का पलटवार : राजद के प्रवक्ता अरुण कुमार यादव का कहना है कि आरोप लगाने के पहले भारतीय जनता पार्टी को अपनी गिरेबां में झांकना चाहिए. बीजेपी तो खुद चुनाव में परिवारवाद को बढ़ावा देने का काम किया. बाहुबली को बढ़ावा देने का काम किया.

''झारखंड चार-चार मुख्यमंत्री भारतीय जनता पार्टी के टिकट से लड़ रहे हैं. कई नेता की बीवी, बहू, बेटा देखिए ना सूची जाकर. बीजेपी के लोग जो मधु कोड़ा को चिल्ला-चिल्ला के सबसे बड़ा भ्रष्टाचारी मानता थे, उनकी पत्नी को भी टिकट देने का काम किया. सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ यादव पिछले 20 साल से युवा राष्ट्रीय जनता दल के संगठन में सक्रिय राजनीति में वह अभी भी प्रदेश उपाध्यक्ष हैं. उनके प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र अजित सिंह का तो जीवन ही सक्रिय राजनीति में समर्पित है. समाज के दुख दर्द के लिए लगातार संघर्षरत रहे हैं.''- अरुण कुमार यादव, प्रवक्ता, आरजेडी

परिवारवाद और बाहुबल पर जानकारों की राय : राजनीति में परिवारवाद एवं बाहुबल पर वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का कहना है कि राजनीतिक पार्टियां भी जिताऊ कैंडिडेट पर दाव लगती हैं. उनको लगता है कि पिता मेंबर ऑफ पार्लियामेंट बन गए हैं, तब उनके पुत्र की बारी है, भाई अगर मेंबर ऑफ पार्लियामेंट बन गए हैं तो दूसरे भाई की बारी है. परिवार से यह बाहर निकलना नहीं चाहते हैं. और राजनीतिक दलों को भी जीतने वाला कैंडिडेट होना चाहिए उनको बाहुबल धनवाल से कोई मतलब नहीं उनको जीतने वाला कैंडिडेट चाहिए.

''इंडिया गठबंधन हो या एनडीए गठबंधन हो सुरेंद्र यादव लोकसभा का चुनाव जीत गए तो उनके पुत्र विश्वनाथ यादव अब विधानसभा के उम्मीदवार होंगे. सुधाकर सिंह लोकसभा का चुनाव जीत गए तो उनके छोटे भाई अजीत सिंह अब विधायक का चुनाव लड़ेंगे. बीजेपी की बात की जाए तो बाहुबली सुनील पांडे के पुत्र विशाल प्रताप को भाजपा ने तरारी से अपना उम्मीदवार बनाया है. इमामगंज से संतोष सुमन की पत्नी अब चुनावी मैदान में उतरी हैं. राजनीतिक दल परिवारवाद कर रहे हैं लेकिन जनता को तय करना है कि क्या एक ही परिवार की कई पीढ़ियां उनका प्रतिनिधित्व करते रहेंगे.''- डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

ये भी पढ़ें-

पटना : राजनीति में परिवारवाद को लेकर पूरे देश में राजनीतिक बहस होती रही है. बिहार की राजनीति में राजनीतिक दलों के ऊपर परिवारवाद एवं बाहुबल को बढ़ावा देने का शुरू से आरोप लगाता रहा है. हर चुनाव में परिवारवाद एवं बाहुबल को लेकर सभी राजनीतिक दल सियासत करते हैं. लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा का, सभी नेता चुनावी भाषणों में परिवारवाद एवं बाहुबल को लेकर लंबी-लंबी बातें करते हैं, लेकिन हकीकत यही है कि जब भी मौका मिलता है, तो यही राजनीतिक दल अपने आप को इससे अछूता नहीं कर पाते. कुछ ऐसा ही नजारा अभी बिहार विधानसभा की चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव में प्रत्याशियों को लेकर नजर आ रहा है.

4 सीटों पर उपचुनाव : 2024 लोकसभा चुनाव में बिहार विधानसभा के चार सदस्य लोकसभा के चुनाव में जीत हासिल की थी. रामगढ़ के राजद विधायक सुधाकर सिंह बक्सर से सांसद बने थे. इमामगंज के हम (से) विधायक जीतनराम मांझी गया से सांसद चुने गए थे. बेलागंज के राजद विधायक सुरेंद्र प्रसाद यादव जहानाबाद से सांसद चुने गए थे और तरारी के सीपीआईएमएल विधायक सुदामा प्रसाद आरा से सांसद चुने गए थे. सांसद चुने जाने के कारण इन चारों विधायकों ने इन सीटों से इस्तीफा दे दिया था. इन्हीं रिक्त सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनाव होना है.

उपचुनाव में दिख रहा परिवारवाद (ETV Bharat)

उपचुनाव में दिख रहा परिवारवाद : बिहार विधानसभा की जिन चार सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है उसके लिए राजनीतिक दलों ने अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी है. उम्मीदवारों की बात करें तो एक बार फिर से यहां पर परिवारवाद अभी होता दिख रहा है.

इमामगंज सीट पर जीतन राम मांझी की बहू और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सुमन की पत्नी दीपा सुमन को उम्मीदवार बनाया गया है. बेलागंज में राजद ने पूर्व विधायक और वर्तमान में जहानाबाद के सांसद सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ कुमार सिंह को मैदान में उतारा है. तो जेडीयू ने बाहुबली नेता बिंदी यादव की पत्नी और पूर्व एमएलसी मनोरमा देवी को अपना उम्मीदवार बनाया है.

रामगढ़ सीट से राजद ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगतानंद सिंह के छोटे पुत्र अजीत कुमार सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है. तो बसपा ने अपने अपने पूर्व प्रत्याशी अंबिका यादव के भतीजे सतीश कुमार यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है. ईटीवी भारत से बातचीत में रामगढ़ से राजद के प्रत्याशी अजीत कुमार सिंह ने बताया कि वह पिछले दो दशकों से अपने क्षेत्र में लगातार सामाजिक कार्यों से जुड़े रहे हैं. उनका अधिकांश समय अपने क्षेत्र की लोगों के बीच ही करता है. लोगों की समस्या को लेकर वह लगातार संघर्ष भी करते रहे हैं.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

जगदानंद सिंह के छोटे बेटे मैदान में : सही है कि जगदानंद सिंह उनके पिता हैं लेकिन पार्टी ने एक सामाजिक कार्यकर्ता को अपना उम्मीदवार बनाया है. यह रामगढ़ के क्षेत्र की जनता समझती है. अजीत कुमार सिंह ने बताया कि परिवारवाद का आरोप राजद के नेताओं पर लगाया जा रहा है तो बीजेपी या एनडीए के नेताओं को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए कि उनके यहां कितने नेता पुत्र राजनीति में सक्रिय हैं और उनका समाज में क्या कंट्रीब्यूशन रहा है?

तरारी सीट उपचुनाव की चार सीटों में से एक है. उपचुनाव में परिवारवाद की अलावे बाहुबल फैक्टर भी देखने को मिल रहा है. तरारी विधानसभा सीट पर भाजपा ने बाहुबली नेता सुनील पांडे के पुत्र विशाल प्रशांत को चुनावी मैदान में उतारा है. तरारी से खुद सुनील पांडे चुनाव लड़ने के इच्छुक थे, लेकिन उनकी छवि को देखते हुए पार्टी ने उनके जगह पर उनके पुत्र को टिकट दिया. प्रत्याशी कोई भी हो लेकिन हकीकत यही है कि तरारी विधानसभा क्षेत्र का चुनाव सुनील पांडे की छत्रछाया में ही लड़ा जा रहा है.

बेलागंज सीट से बाहुबली नेता सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ कुमार सिंह को राजद ने उम्मीदवार बनाया है. हकीकत यही है कि यह चुनाव सुरेंद्र यादव की देखरेख में ही होगा. 1995 से लगातार सुरेंद्र यादव यहां से विधायक बनते रहे हैं. वहीं जेडीयू ने विश्वनाथ कुमार सिंह के मुकाबले बाहुबली बिंदी यादव की पत्नी और जदयू की पूर्व एमएलसी मनोरमा देवी को अपना उम्मीदवार बनाया है.

बाहुबलियों पर भी भरोसा : इस उपचुनाव में बाहुबल भी एक फैक्टर रहेगा, इससे इनकार नहीं किया जा सकता. ईटीवी भारत से बातचीत में विश्वनाथ कुमार सिंह ने कहा कि वह लगातार अपने क्षेत्र में सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे हैं. किसी के पुत्र होने का उनका राजनीतिक लाभ नहीं मिला है, बल्कि वह लगातार लोगों के साथ उनके सुख-दुख में शामिल रहे हैं. इसी पर भरोसा करते हुए पार्टी ने उनका टिकट दिया है.उन्हें भरोसा है कि जनता उनके पक्ष में अपना जन समर्थन देगी.

बेलागंज विधानसभा का समीकरण : बेलागंज विधानसभा सीट आरजेडी की सबसे मजबूत सीटों में से एक गिनी जाती है. 1995 से 2020 तक लगातार इस सीट पर राजद का कब्जा रहा है. राजद के सुरेंद्र यादव लगातार यहां से विधायक चुने जाते रहे हैं. बिहार विधानसभा के उपचुनाव के लिए इस बार राजद ने बेलागंज सीट से सांसद सुरेंद्र यादव के बेटे विश्वनाथ कुमार सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं एनडीए की तरफ से जनता दल यूनाइटेड ने मनोरमा देवी को प्रत्याशी बनाया है, जो कि पूर्व एमएलसी हैं और साथ ही दिवंगत बाहुबली नेता रहे बिंदु यादव की पत्नी हैं. इसी महीने NIA ने मनोरमा देवी के कई ठिकानों पर छापेमारी की थी. साथ ही उनके पुत्र के नक्सली गतिविधियों में शामिल होने के शक पर छापेमारी भी की थी.

इमामगंज विधानसभा का समीकरण : इमामगंज से पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम राम विधायक थे. इस उपचुनाव में इमामगंज सीट से केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने अपनी बहू और बिहार सरकार में मंत्री संतोष कुमार सुमन की पत्नी दीपा मांझी को पार्टी का उम्मदीवार बनाया है. दीपा मांझी से जुड़ी दिलचस्प बात यह है कि उनके ससुर केंद्र में मंत्री, पति बिहार सरकार में मंत्री और उनकी मां ज्योति मांझी हम पार्टी से विधायक हैं. राजद ने दीपा मांझी के खिलाफ रोशन मांझी को उम्मीदवार बनाया है.

रामगढ़ विधानसभा का समीकरण : रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह का परंपरागत सीट रही है. यहां से जगदानंद सिंह उनके बड़े पुत्र सुधाकर सिंह विधायक होते रहे हैं. इस उपचुनाव में राजद ने जगदानंद सिंह के पुत्र और सुधाकर सिंह के छोटे भाई अजीत सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी ने इस सीट से अशोक कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया है. बसपा ने वहां से सतीश कुमार यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है. सतीश कुमार यादव रामगढ़ के पूर्व विधायक अंबिका यादव के भतीजे हैं. दो राजपूत उम्मीदवार के मुकाबले बसपा ने यादव प्रत्याशी पर अपना दांव खेला है. 2020 विधानसभा चुनाव में रामगढ़ से अंबिका यादव मात्र 174 वोट से सुधाकर सिंह से चुनाव हारे थे.

तरारी विधानसभा का समीकरण : तरारी विधानसभा क्षेत्र में बाहुबली सुनील पांडे का अपना दबदबा रहा है. पहले पीरो एवं बाद में तरारी विधानसभा क्षेत्र से सुनील पांडे विधायक रहे हैं. लेकिन पिछले 2 चुनाव से तरारी विधानसभा क्षेत्र से सीपीआईएमएल के सुदामा प्रसाद चुनाव जीत रहे थे. इस उपचुनाव में सीपीआईएमएल ने राजू यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है तो बीजेपी ने बाहुबली नेता रहे सुनील पांडे के पुत्र विशाल प्रशांत को चुनावी मैदान में उतारा है.

बीजेपी की नजर में क्या है परिवारवाद? : परिवारवाद और बाहुबल को लेकर भाजपा के नेता अलग राय रखते हैं. बीजेपी के प्रवक्ता कुंतल कृष्ण का कहना है कि परिवार में कोई अगर राजनीति में है और अगली पीढ़ी राजनीति में आ रही है तो यह सीधा-सीधा परिवारवाद इसे नहीं मानते हैं. मांझी जी की बहू आज से 25 साल पहले राजनीति में थीं. दीपा मांझी के बारे में हम सब जानते हैं कि उन्होंने अपने समाज में शिक्षा का अलख जगाया था और राजनीतिक चेतना फैलाई थी. मांझी जी के सुपुत्र के राजनीति में आने के पहले से दीप राजनीति में सक्रिय थीं. 25 साल के संघर्ष के बाद अगर कोई टिकट पा रहा है तो इसमें बुराई क्या है?

आरजेडी के प्रत्याशियों के बारे में कुंतल कृष्ण का कहना है कि टिकट मिलने के 2 दिन पहले तक वह व्यक्ति क्रेशर चलाता है उसे क्या कहेंगे? बेलागंज से आरजेडी के प्रत्याशी सुरेंद्र यादव का बेटा राजद के किस कार्यक्रम में कहां नजर आए? भाजपा प्रवक्ता ने रामगढ़ से राजद के प्रत्याशी अजीत सिंह को लेकर कहा कि राजद के प्रदेश अध्यक्ष के सुपुत्र नौकरी कर रहे थे. जाकर के सीधे चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी के तरारी के प्रत्याशी पर भाजपा प्रवक्ता का कहना है कि सुनील पांडे उनके दल के प्रत्याशी नहीं हैं. हमारा जो प्रत्याशी है अपने लोगों के बीच में उसकी पकड़ है. यह बात उस दिन स्पष्ट होगी जिस दिन रिजल्ट आएगा.

''तरारी से कौन उम्मीदवार है, बाहुबली सुनील पांडे उनका इतिहास किसी से छुपा हुआ नहीं है. नॉन पॉलिटिकल व्यक्ति उसके पुत्र को भारतीय जनता पार्टी ने वहां से चुनाव मैदान में उतारने का काम किया. इमामगंज में कौन है चारदीवारी के बंद रहने वाली महिला को जीतन राम मांझी जी ने वहां से उनको मैदान में उतार दिया. एनडीए को यह नहीं दिखता है. बेलागंज में जेडीयू ने जो उम्मीदवार उतारा है उस पर तो दोनों लागू होता है. करप्शन का भी आरोप है. पिछले दिनों ही उनके यहां से नोटों का खजाना मिला था, तो यह लोग इधर-उधर की बात ना करें.''- अरुण कुमार यादव, प्रवक्ता, आरजेडी

राजद का पलटवार : राजद के प्रवक्ता अरुण कुमार यादव का कहना है कि आरोप लगाने के पहले भारतीय जनता पार्टी को अपनी गिरेबां में झांकना चाहिए. बीजेपी तो खुद चुनाव में परिवारवाद को बढ़ावा देने का काम किया. बाहुबली को बढ़ावा देने का काम किया.

''झारखंड चार-चार मुख्यमंत्री भारतीय जनता पार्टी के टिकट से लड़ रहे हैं. कई नेता की बीवी, बहू, बेटा देखिए ना सूची जाकर. बीजेपी के लोग जो मधु कोड़ा को चिल्ला-चिल्ला के सबसे बड़ा भ्रष्टाचारी मानता थे, उनकी पत्नी को भी टिकट देने का काम किया. सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ यादव पिछले 20 साल से युवा राष्ट्रीय जनता दल के संगठन में सक्रिय राजनीति में वह अभी भी प्रदेश उपाध्यक्ष हैं. उनके प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र अजित सिंह का तो जीवन ही सक्रिय राजनीति में समर्पित है. समाज के दुख दर्द के लिए लगातार संघर्षरत रहे हैं.''- अरुण कुमार यादव, प्रवक्ता, आरजेडी

परिवारवाद और बाहुबल पर जानकारों की राय : राजनीति में परिवारवाद एवं बाहुबल पर वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का कहना है कि राजनीतिक पार्टियां भी जिताऊ कैंडिडेट पर दाव लगती हैं. उनको लगता है कि पिता मेंबर ऑफ पार्लियामेंट बन गए हैं, तब उनके पुत्र की बारी है, भाई अगर मेंबर ऑफ पार्लियामेंट बन गए हैं तो दूसरे भाई की बारी है. परिवार से यह बाहर निकलना नहीं चाहते हैं. और राजनीतिक दलों को भी जीतने वाला कैंडिडेट होना चाहिए उनको बाहुबल धनवाल से कोई मतलब नहीं उनको जीतने वाला कैंडिडेट चाहिए.

''इंडिया गठबंधन हो या एनडीए गठबंधन हो सुरेंद्र यादव लोकसभा का चुनाव जीत गए तो उनके पुत्र विश्वनाथ यादव अब विधानसभा के उम्मीदवार होंगे. सुधाकर सिंह लोकसभा का चुनाव जीत गए तो उनके छोटे भाई अजीत सिंह अब विधायक का चुनाव लड़ेंगे. बीजेपी की बात की जाए तो बाहुबली सुनील पांडे के पुत्र विशाल प्रताप को भाजपा ने तरारी से अपना उम्मीदवार बनाया है. इमामगंज से संतोष सुमन की पत्नी अब चुनावी मैदान में उतरी हैं. राजनीतिक दल परिवारवाद कर रहे हैं लेकिन जनता को तय करना है कि क्या एक ही परिवार की कई पीढ़ियां उनका प्रतिनिधित्व करते रहेंगे.''- डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

ये भी पढ़ें-

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.