नैनीतालः उत्तराखंड उच्च न्यायालय के द्वारा कब्रिस्तान की भूमि पर हुए अतिक्रमण के मामले पर सुनवाई की गई. हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए कोर्ट के पूर्व में दिए गए आदेशों पर सरकार के द्वारा अभी तक प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में पेश नहीं करने पर सरकार पर तीस हजार रुपए का जुर्माना लगाया है.
मामले के मुताबिक, काशीपुर की मौलाना आजाद सेवा समिति ने 2015 में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि 1375 के बंदोबस्त में उस जगह पर कब्रिस्तान दर्ज है. लेकिन वहां पर लोग अवैध रूप से कब्जा कर रहे हैं. नियमों के अनुसार, कब्रिस्तान के नेचर को बदला नहीं जा सकता. यानी उसकी जगह भूमि का कोई दूसरा उपयोग नहीं किया जा सकता. इसलिए ये कब्जे नहीं किए जा सकते हैं.
याचिका में कहा कि सेटलमेंट ऑफिसर कभी भी बंदोबस्त से खसरा नंबर बदल नहीं सकता. इस जनहित याचिका को 16 मार्च 2015 को निस्तारित करते हुए न्यायालय ने जिलाधिकारी उधमसिंह नगर को अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे. राज्य सरकार ने इस आदेश के चार वर्ष बाद एक पुर्नविचार याचिका दाखिल की जिसे न्यायालय ने स्वीकार करते हुए सरकार को जवाब समेत प्रगति रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे. लेकिन 2020 से अभी तक प्रगति रिपोर्ट पेश नहीं की गई. इस पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए सरकार पर पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाने के निर्देश दिए. लेकिन सरकारी अधिवक्ता के अनुरोध पर तीस हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया.
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