वाराणसी: काशी विश्वनाथ मंदिर में लगभग तीन सालों से रस्सियों में जकड़े हुए हनुमान जी को शुक्रवार को आजादी मिल ही गई. दरअसल, तीन सालों से विश्वनाथ मंदिर के पुतलीबाई मंदिर के खंभे से हनुमान जी की प्रतिमा को रस्सियों से बांधकर रखा गया था.
बता दें कि पूरे देश में सिर्फ 11 ऐसी प्रतिमाएं हैं, जो मूंगे से बनी हैं और काशी के विश्वनाथ मंदिर में मूंगे की इस प्रतिमा विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के निर्माण के दौरान से सही स्थान नहीं मिल पा रहा था. बाद में इसे मंदिर के ही एक खंंभे से बांधकर रख दिया गया था. हाल ही में सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल होने के बाद विश्वनाथ मंदिर प्रशासन हरकत में आया था और इसके स्थापना को लेकर काम शुरू किया गया था.
शुक्रवार को विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा के प्रयासों से इस भव्य प्रतिमा को एक बार फिर से स्थापित करने का काम पूर्ण किया गया. साथ ही पूजन पाठ फिर से शुरू हुआ. मंदिर परिसर में शनिवार को विरूथनी एकादशी के मौके पर पुतलीबाई मंदिर स्थित मंगे वाले हनुमान जी को दक्षिण मुखी स्वरूप में नवनिर्मित विशेष मंदिर में स्थापित करने का काम किया गया. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास और मंदिर प्रशासन के प्रयासों से यह कार्य शनिवार को संपन्न हुआ. मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने विधिवत पूजन के बाद हनुमान जी की स्थापना प्रक्रिया को पूर्ण किया.
बता दें की मंदिर परिसर में यह प्रतिमा काफी लंबे वक्त से राशन में बंधी हुई थी और 350 साल पुरानी इस प्रतिमा का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था. केंद्रीय ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा इसको लेकर लगातार प्रयास कर रहे थे. उन्होंने बताया था कि ढूंढी राज गणेश द्वारा से श्रृंगार गौरी की तरफ पुतलीबाई मंदिर के पास मूंगे वाले हनुमान जी की प्रतिमा पहले स्थापित थी, लेकिन बाद में यहां पर निर्माण के चलते मंडे टूटा और प्रतिमा को रस्सियों से बांधकर रख दिया गया.
यह प्रतिमा खास इसलिए है, क्योंकि ऐसी ही एक प्रतिमा बिहार के चंपारण के लाल बाजार हनुमान मंदिर बेतिया में स्थापित है. जबकि अलग-अलग प्रतिमाएं मध्य प्रदेश के कई मंदिरों में स्थापित हैं, जिसमें राम लक्ष्मण हनुमान जी के कंधे पर विराजमान है और हनुमान जी के पैरों के नीचे पाताल भैरवी की मूर्ति है. कमर से लेकर पांव तक मनुष्यों की तरह हनुमान जी की मूर्ति में नसें भी साफ तौर पर दिखाई देती हैं. फिलहाल मंदिर के प्रयास से यह स्थापित प्रतिमा की पूजा अर्चना और दर्शन आज से शुरू हो गया..