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पंचकोसी वारुणी यात्रा में उमड़ी भीड़, 15 किमी की पैदल परिक्रमा करने पर मिलता है पुण्य, जानिए मान्यता - Uttarkashi Panchkosi Varuni Yatra

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 7, 2024, 6:42 AM IST

Updated : Apr 7, 2024, 9:02 AM IST

Panchkosi Varuni Yatra in Uttarkashi
पंचकोसी वारुणी यात्रा

Panchkosi Varuni Yatra in Uttarkashi उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हर साल चैत्र मास की त्रयोदशी को एक ऐसी यात्रा निकलती है, जिसमें वरुणावत पर्वत की पैदल परिक्रमा की जाती है. इस यात्रा को पंचकोसी वारुणी यात्रा कहा जाता है. जो करीब 15 किमी की पैदल यात्रा होती है. माना जाता है कि इस यात्रा को करने वाले व्यक्ति को 33 कोटि देवी-देवताओं के पुण्य का लाभ मिलता है.

ऐतिहासिक पंचकोसी वारुणी यात्रा में उमड़ी भीड़

उत्तरकाशी: पंचकोसी वारुणी यात्रा में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. वरुणा नदी में स्नान के साथ यह यात्रा शुरू हुई. जो वरुणावत पर्वत के ऊपर से गुजर कर गंगा और भागीरथी के संगम पर पहुंची. जहां पूजा और अर्चना के साथ वारुणी यात्रा संपन्न हुई. वरुणावत पर्वत की पैदल 15 किमी परिक्रमा वाली यात्रा में हजारों श्रद्धालु शामिल हुए.

उत्तरकाशी में पंचकोसी वारुणी यात्रा के नाम से हर साल चलने वाली इस यात्रा का बड़ा धार्मिक महत्व माना जाता है. कहा जाता है कि इस यात्रा को पूरा करने वाले श्रद्धालु को 33 कोटि देवी देवताओं की पूजा अर्चना का पुण्य मिलता है. इस बार यह यात्रा 6 अप्रैल को हुई. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त से ही श्रद्धालुओं के जत्थे वारुणी यात्रा पर निकलने शुरू हो गए थे.

Panchkosi Varuni Yatra in Uttarkashi
पंचकोसी वारुणी यात्रा

करीब 15 किमी लंबी इस पदयात्रा के पथ पर बड़ेथी संगम स्थित वुरणेश्वर, बसूंगा में अखंडेश्वर, साल्ड में जगरनाथ और अष्टभुजा दुर्गा, ज्ञाणजा में ज्ञानेश्वर और व्यास कुंड, वरुणावत पर्वत शीर्ष पर शिखरेश्वर और विमलेश्वर महादेव, संग्राली में कंडार देवता, पाटा में नर्वदेश्वर मंदिर में जलाभिषेक व पूजा अर्चना का सिलसिला शाम तक चलता रहा.

वहीं, वरुणावत से उतर कर श्रद्धालुओं ने गंगोरी में अस्सी गंगा और भागीरथी के संगम पर स्नान किया. साथ ही नगर में विभिन्न मंदिरों में पूजा अर्चना एवं जलाभिषेक के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचकर यात्रा संपन्न की. पंचकोसी वारुणी यात्रा में श्रद्धालुओं में गजब का उत्साह दिखाई दिया.

Panchkosi Varuni Yatra in Uttarkashi
पंचकोसी वारुणी यात्रा में प्रसाद बनाते ग्रामीण

ग्रामीणों ने की विशेष आवभगत: वारुणी यात्रा पथ पर पड़ने वाले बसूंगा, साल्ड, ज्ञाणजा, संग्राली, पाटा, गंगोरी और लक्षेश्वर में ग्रामीणों ने श्रद्धालुओं की खूब आवभगत की. श्रद्धालुओं को चौलाई के लड्डू, आलू के गुटके, चाय, बुरांश का जूस आदि परोसे गए. ग्रामीणों ने इस यात्रा को शासन और प्रशासन से राजकीय धार्मिक यात्रा घोषित करने की मांग की.

ताकि, आने वाले समय में यह यात्रा और भव्य रूप ले सके. वहीं, आचार्य दिवाकर नैथानी ने बताया कि स्कंद पुराण के केदारखंड के अनुसार वरुणावत पर्वत की पैदल परिक्रमा वाली वारुणी यात्रा सच्चे मन से करने पर श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. हजारों तीर्थों की यात्रा का पुण्य लाभ भी मिलता है.

क्या है मान्यता? स्कंद पुराण के केदारखंड के अनुसार, उत्तरकाशी में स्थित वरुणावत पर्वत की पैदल परिक्रमा यानी वारुणी यात्रा सच्चे मन से करने पर श्रद्धालुओं के सभी मनोरथ पूरे होते हैं. वरुणावत शिखर को देवी देवताओं का वास स्थान माना जाता है. पुराणों में यहां भगवान परशुराम और महर्षि वेदव्यास की ओर से तपस्या किए जाने का भी उल्लेख है.

वरुणा नदी में स्नान के साथ यह यात्रा शुरू होती है, जो वरुणावत पर्वत के ऊपर से गुजरते हुए अस्सी गंगा और भागीरथी के संगम पर पूजा अर्चना के साथ पूरी होती है. हर साल यह यात्रा पंचकोसी वारुणी यात्रा के नाम से निकलती है. कहा जाता है कि इस यात्रा को पूरा करने पर 33 कोटि देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है.

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Last Updated :Apr 7, 2024, 9:02 AM IST
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