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रिटायर्ड आईएफएस किशनचंद के हरिद्वार स्थित घर में ईडी का छापा, आय से अधिक संपत्ति में हो रही कार्रवाई

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 7, 2024, 1:34 PM IST

Updated : Feb 7, 2024, 2:33 PM IST

Raid on IFS Kishan Chand
ईडी रेड

Raid on IFS Kishan Chand house in Haridwar उत्तराखंड में आज एक ओर जहां यूसीसी पर विधानसभा में घमासान मचा हुआ है, वहीं सुबह से जारी ईडी की रेड भी चर्चा का विषय बनी हुई है. पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के साथ ही अनेक आईएफएस अफसरों के ठिकानों पर भी ईडी की रेड चल रही है. मनी लॉन्ड्रिंग में कार्रवाई झेल चुके रिटायर्ड आईएफएस किशनचंद के हरिद्वार स्थित घर पर भी ईडी ने रेड डाली है.

किशनचंद के हरिद्वार स्थित घर में ईडी का छापा

हरिद्वार: उत्तराखंड के कई स्थानों पर आज ईडी की छापेमारी चल रही है. इसी क्रम में आज पूर्व आईएफएस किशनचंद के हरिद्वार स्थित नंद बिहार कॉलोनी वाले घर पर भी ईडी द्वारा छापेमारी की गई है. देहरादून से आई दो गाड़ियों में ईडी की टीम ने सुबह करीब 7 बजे ही पूर्व आईएफएस किशनचंद के घर पर डेरा डाल लिया था.

रिटायर्ड आईएफएस किशनचंद के घर ईडी का छापा: बताया जा रहा है कि आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में ईडी द्वारा यह कार्रवाई की जा रही है. आपको बता दें कि पूर्व डीएफओ किशनचंद पर भ्रष्टाचार के मामले में कारवाई की गयी थी और उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी. उसके बाद विजिलेंस ने किशन चंद पर आय से सैकड़ों गुना अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज किया था. तभी से यह माना जा रहा था उनके खिलाफ और भी कार्रवाई हो सकती है.

मनी लॉन्ड्रिंग में भी हो चुकी है कार्रवाई: आपको बता दें कि किशनचंद पर मनी लॉन्ड्रिंग के तहत इससे पहले भी कार्रवाई की गई थी. इसमें उनके हरिद्वार और रुड़की में स्थित भूमि और भवन के साथ स्कूल और स्टोन क्रशर प्लांट को भी धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अटैच किया गया था. तब ईडी ने बताया था कि किशनचंद की ₹31.88 करोड़ मूल्य की अचल संपत्तियों को आय से अधिक संपत्ति मामले में धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के तहत अटैच किया गया है. यह संपत्तियां किशनचंद या उनके परिवार के नाम पर दर्ज हैं.

अवैध निर्माण के आरोपी भी हैं किशनचंद: बता दें कि किशनचंद पर कालागढ़ रेंज में तैनाती के दौरान मोरघट्टी और पाखरो में अवैध तरीके से निर्माण कार्य कराने के साथ हरे पेड़ों के कटान और सरकारी धन के दुरुपयोग और फर्जी बिल बनाकर ठेकेदारों को भुगतान करने के गंभीर आरोप हैं. शासन ने इसे भ्रष्टाचार मानते हुए विजिलेंस को मामले की जांच सौंप दी थी.
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Last Updated :Feb 7, 2024, 2:33 PM IST
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