देहरादूनः उत्तराखंड में भाजपा क्लीन स्वीप की हैट्रिक बनाने के मूड में है. लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 के बाद अब 2024 में भी पांचों सीटें जीतने का खाका तैयार हो रहा है. लेकिन इस बार पार्टी कुछ ऐसे नए प्रयोग भी करना चाहती है, जो चुनाव को एकतरफा कर देंगे. दरअसल, भाजपा जहां एक तरफ पिछले एक महीने से कांग्रेस के तमाम नेताओं पर सेंधमारी कर रही है तो अब नए प्लान के तहत अगला निशाना कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे. ऐसा हम नहीं, बल्कि खुद भाजपा नेताओं के बयान जाहिर कर रहे हैं.
पार्टी नेताओं की मानें तो कांग्रेस के प्रत्याशी भी अब भाजपा में शामिल हो सकते हैं, और कुछ सीटों पर भाजपा बिना किसी दिग्गज प्रतिद्वंदी प्रत्याशी के लोकसभा चुनाव जीत सकती है. पार्टी के प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी कहते हैं कि कांग्रेस ने अपने जिन प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा है, वह बेमन से दबाव में चुनाव के लिए सामने आए हैं, ऐसे में इन्हीं प्रत्याशियों के भाजपा में आने की संभावना है.
कांग्रेस में चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे बड़े चेहरे: उत्तराखंड में कांग्रेस के कई बड़े चेहरे चुनाव लड़ने के मूड में नहीं थे. शायद यही कारण रहा कि टिहरी सीट पर जोत सिंह गुनसोला पर पार्टी ने दांव खेला. उधर, हरिद्वार और नैनीताल सीट पर अभी प्रत्याशियों के नाम तय नहीं हो पाए हैं. इसके पीछे की एक वजह यही मानी जा रही है. हरीश रावत पहले ही कह चुके थे कि वह अल्मोड़ा सीट पर यशपाल आर्य के चुनाव लड़ने के पक्ष में हैं. लेकिन पार्टी ने प्रदेश के सबसे दिग्गज नेता को चुनाव मैदान में उतरने की जगह प्रदीप टम्टा को टिकट दे दिया. उधर, हरिद्वार सीट पर भी हरीश रावत चुनाव नहीं लड़ना चाहते. हालांकि, उन्होंने अपनी उम्र का हवाला देकर अपने बेटे को टिकट देने की मांग की है. इस तरह उत्तराखंड कांग्रेस के बड़े नेताओं का चुनाव से दूर रहना भाजपा के दावों को बल दे रहा है.
कांग्रेस ने तीन सीटों पर इन प्रत्याशियों को दिया टिकट: टिहरी लोकसभा सीट पर जोत सिंह गुनसोला को टिकट दिया गया. जोत सिंह गुनसोला वैसे तो भाजपा की माला राज लक्ष्मी के मुकाबले ज्यादा लोकप्रिय हैं. लेकिन मोदी लहर के सामने उनके चेहरे को कमजोर आंका जा रहा है. पिछले चुनाव में प्रीतम सिंह पर कांग्रेस ने दांव खेला था. हालांकि, इस बार भी इस सीट में सबसे मजबूत चेहरे के रूप में प्रीतम सिंह को ही देखा जा रहा था. लेकिन वह चुनाव मैदान में नहीं उतारे गए.
गढ़वाल लोकसभा सीट से कांग्रेस ने गणेश गोदियाल को टिकट दिया है. गणेश गोदियाल गढ़वाल लोकसभा सीट से वैसे तो मजबूत प्रत्याशी के रूप में देखे जा रहे हैं. गोदियाल एक जन नेता के रूप में भी माने जाते हैं. लेकिन बताया जा रहा है कि इस सीट पर कई दूसरे बड़े नेताओं के नाम चर्चाओं में थे. लेकिन अंत में गणेश गोदियाल पर पार्टी ने दांव खेला है. बड़ी बात यह है कि लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही सबसे ज्यादा दल बदल इसी सीट पर हो रहा है. माना जा रहा है कि भाजपा के अनिल बलूनी के प्रत्याशी बनने के बाद इस सीट पर बड़े कांग्रेस के चेहरे सरेंडर कर रहे हैं और वो भाजपा को अपना समर्थन दे रहे हैं.
अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ लोकसभा सीट पर प्रदीप टम्टा को कांग्रेस ने टिकट दिया है. हालांकि, प्रदीप टम्टा इस सीट पर कई बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं और वह चुनाव जीतकर लोकसभा सदस्य भी रह चुके हैं. लेकिन इस सीट से यशपाल आर्य को बड़ा मजबूत चेहरा देखा जा रहा था और खुद हरीश रावत ने भी उन्हें ही इस सीट से टिकट देने की पैरवी की थी. लेकिन संभवत बड़े चेहरों के चुनाव से दूर रहने के कारण यहां प्रदीप टम्टा को रिपीट किया गया.
हरिद्वार और नैनीताल सीट पर अब भी पार्टी नाम तय नहीं कर पाई है. इसके पीछे की वजह बड़े चेहरों का स्टैंड ना लेना बताया जा रहा है. हालांकि, आज से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. कांग्रेस को जल्द ही इन दोनों सीटों पर नाम तय करना ही होगा.
भारतीय जनता पार्टी पर कांग्रेस के नेता केंद्रीय एजेंसियों के जरिए दबाव बनाने का आरोप लगाते रहे हैं. इस बीच भाजपा के नेताओं ने जिस तरह कांग्रेस के प्रत्याशियों को ही अपने पाले में लाने का दावा किया है उसके बाद इस पर राजनीतिक बहस तेज हो गई है।
गणेश गोदियाल ने इशारों में दावे पर लगाई मुहर: कांग्रेस के गढ़वाल लोकसभा सीट से प्रत्याशी गणेश गोदियाल ने भाजपा के दावे पर इशारों ही इशारों में मुहर लगा दी. ईटीवी भारत ने जब सवाल पूछा कि क्या कांग्रेस प्रत्याशियों से भी भाजपा संपर्क में है, तो गणेश गोदियाल ने यह कहकर इस बात को स्वीकार कर लिया कि कुछ बातें पर्दे के पीछे रहना ही सही होता है. हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जिस तरह पार्टी ने प्रत्याशियों को टिकट दिया है, उसके बाद कोई प्रत्याशी भाजपा में जाएगा, इसकी संभावना कम है. ऐसा इसलिए, क्योंकि ऐसे प्रत्याशी को फिर बाद में जनता को भी जवाब देना होगा. हालांकि, गणेश गोदियाल के इस जवाब से यह साफ है कि भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें भी भाजपा में शामिल होने के लिए संपर्क किया था. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें इनकम टैक्स के जो समन आ रहे हैं, वह भारतीय जनता पार्टी के इस ऑफर को ठुकराने के कारण ही आ रहे हैं.