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12 साल बाद मिला बेगुनाह पिता को इंसाफ, बेटी ने ही लगाया था रेप का गलत आरोप

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 31, 2024, 7:28 PM IST

Updated : Feb 2, 2024, 12:42 PM IST

MP HC Found Father Innocent: एक बेटी ने अपने ही पिता पर रेप का आरोप लगाया था. जबकि एमपी हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए पाया कि पिता को गलत आरोपों में फंसाया गया था. जेल में बंद 12 साल बाद पीड़ित पिता को इंसाफ मिला है.

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जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 12 साल बाद एक पिता को उसकी लड़की के साथ बलात्कार के मामले में दोष मुक्त साबित किया है. पीड़ित पिता 12 साल तक बिना किसी जुर्म के सजा भोग रहा था. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के दो जजों की पीठ ने पीड़ित पिता को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है. 12 साल पहले एक लड़की ने अपने ही पिता पर बलात्कार करने के झूठे आरोप लगाए थे. पुलिस ने पिता को गिरफ्तार कर लिया था. विचरण न्यायालय ने बिना पूरी तहकीकात की है पिता को सजा सुना दी थी.

बेटी ने लगाए थे पिता पर बलात्कार के आरोप

आज से लगभग 12 साल पहले भोपाल में एक लड़की ने थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी कि उसके पिता ने ही उसके साथ दो बार बलात्कार किया. कहानी के अनुसार लड़की ने बताया था कि उसके पिता ने उसके साथ जबरदस्ती की. उसके बाद वह भाग कर अपने नाना के यहां चली गई. नाना के यहां से जब वह लौट कर आई तब फिर उसके पिता ने उसके साथ जबरदस्ती की. उस समय फरियादी लड़की की उम्र 15 साल थी. लड़की की शिकायत के आधार पर पुलिस ने लड़की के पिता को हिरासत में ले लिया था. ट्रायल कोर्ट के सामने जब यह मामला आया, तो अदालत ने पिता को उम्र कैद की सजा सुना दी. इसके बाद से ही वह जेल में बंद है.

पिता ने सजा को गलत बताते हुए अपील की

पिता की ओर से इस मामले में अपील लगाई गई, लेकिन कोई वकील सामने नहीं आया. तब यह मामला हाई कोर्ट की विधिक सहायता के पास पहुंचा. साल 2013 में पहली बार इसमें पिता ने अपनी सजा को गलत बताते हुए अपील लगाई थी, लेकिन कोर्ट ने तकनीक के आधार पर मामले को खारिज कर दिया था. 2013 के बाद इस मामले में सुनवाई 2020 में हुई. जब विधिक सेवा आयोग द्वारा एडवोकेट विवेक अग्रवाल को इस मामले की फाइल दी. विवेक अग्रवाल ने फाइल को पढ़ने के बाद कोर्ट के सामने जो तथ्य रखे, उसने यह साबित कर दिया कि सचमुच में हमारा कानून अंधा कानून है.

बिना तथ्यों के सुनाई गई सजा

एडवोकेट विवेक अग्रवाल ने बताया कि इस मामले में कई कानूनी खामियां थी. विवेक अग्रवाल ने बताया कि किसी भी बलात्कार के मामले में धारा 165 के तहत फरियादी के जज के सामने बयान होते हैं. जो इस मामले में नहीं करवाए गए. वहीं अदालत में जिस लड़की ने अपने पिता पर बलात्कार का आरोप लगाया था. उसने ही बताया था कि उसने थाने में यह शिकायत अपने प्रेमी के कहने पर की थी. अदालत में इन दोनों ही महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार नहीं किया गया और आरोपी को सजा सुना दी.

बेटी को प्रेमी के साथ देख लिया था

विवेक अग्रवाल ने बताया की सजा के पहले आरोपी के बयान होने चाहिए थे, जो नहीं हुए. पिता ने बताया था कि घटनाक्रम कुछ ऐसा था कि उसने अपनी बेटी को प्रेमी के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया था. ठीक इसी के बाद लड़की ने थाने में जाकर रिपोर्ट कर दी थी. लड़की को पिता के खिलाफ भड़काने में उसके प्रेमी की भूमिका थी. विवेक अग्रवाल की दलीलें सुनने के बाद मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के दो जजों की बैंच ने पिता की सजा को माफ कर दिया, लेकिन बदकिस्मती से इंसाफ मिलने में इतना लंबा वक्त लग गया. जब तक पीड़ित पिता जेल में 12 साल की सजा काट चुका है.

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12 साल बाद पीड़ित पिता को मिला इंसाफ

विवेक अग्रवाल ने बताया कि कोर्ट ने आदेश दिया है कि पीड़ित पिता को तुरंत जेल से रिहा किया जाए. हालांकि इस मामले में जिन लोगों की वजह से एक बेगुनाह को 12 साल तक जेल में रहना पड़ा. उनके खिलाफ कोर्ट ने कुछ भी नहीं कहा. फिलहाल पीड़ित भोपाल जेल में बंद है. विवेक अग्रवाल के अनुसार आज उसकी रिहाई हो गई है.

Last Updated :Feb 2, 2024, 12:42 PM IST
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