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HC orders to rebuff adverse remarks in IAS officer Khemka's report

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Published : Mar 18, 2019, 7:14 PM IST

Senior IAS officer Ashok Khemka had moved the court in January seeking removal of adverse remarks made by Haryana CM in his 2016-17 annual report. The HC pronounced the decision in his favour on Monday.

The HC ordered to rebuff the adverse remarks made by Haryana CM in IAS officer Ashok Khemka's annual report.

Chandigarh: The High Court on Monday granted relief to senior IAS officer Ashok Khemka as it ordered to rebuff the adverse remarks made by Chief Minister of Haryana, Manohar Lal Khattar in his Annual Confidential Report (ACR) 2016-17.

Khemka had moved the court over the adverse remarks made by the CM as it hampered his chances of elevation to a higher designation. He was given less marks in the annual report.

Khemka earlier appealed in Central Administrative Tribunal (CAT) over the issue but his plea was rejected. Later, he filed a petition in the High Court.

Khemka, 1991 batch senior bureaucrat, has been transferred almost 52 times in his career of 27 years.

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Intro:आईएएस अधिकारी खेमका को हाई कोर्ट से बड़ी राहत, हाई कोर्ट ने एसीआर से नकारात्मक टिप्पणी हटाने के लिए आदेश
- मुख्यमंत्री द्वारा एसीआर में नकारात्मक टिप्पणी को हाई कोर्ट में चुनोती का मामला


Body:
चंडीगढ़.
हरियाणा के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका को बड़ी राहत देते हुए पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस राजीव शर्मा की बेंच ने हरियाणा सरकार को आदेश दिया कि वह अशोक खेमका की एनसीआर में जो नकारात्मक टिप्पणी की गई थी उनको तुरंत हटाए हाईकोर्ट का आदेश खेमका की याचिका पर फैसला सुनाते हुए दिया है ।खेमका की याचिका पर 12 मार्च को हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था और आज सुबह हाई कोर्ट का बड़ा फैसला जारी किया।
इस मामले में खेमका ने हरियाणा के मुख्यमंत्री द्वारा उसके सीआर में नंबर कम कर नकारात्मक टिप्पणी करने को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी ।इसे पहले खेमका ने कैट में गुहार लगाई थी लेकिन कैट ने खेमका की याचिका खारिज कर दी थी अब कैट के आदेश के खिलाफ खेमका ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
 इस बार मामला उनकी 2016-17 की वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट (एसीआर) से जुड़ा है। एसीआर में सीएम मनोहर लाल ने खेमका के अंक घटाते हुए प्रतिकूल टिप्पणी की थी। इससे पदोन्नति रुकने का खतरा देख खेमका ने कैट (केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण) में अर्जी लगाई, लेकिन वहां से कोई राहत नहीं मिली।
1991 बैच के आईएएस अशोक खेमका ने 7 जून 2017 को वर्ष 2016-17के लिए एप्रेजल भरा था। इसमें मुख्य सचिव डीएस ढेसी ने उन्हें 10 में से 8.22 नंबर दिए। 27 जून को खेल एवं युवा मामलों के मंत्री अनिल विज ने उन्हें 10 में से 9.92 अंक देते हुए टिप्पणी की है कि कैबिनेट मंत्री के रूप में उन्होंने 3 साल में 20 से अधिक आईएएस अफसरों के साथ काम किया, लेकिन कोई भी अधिकारी खेमका के करीब नहीं था। खेमका की योग्यता, सच्चाई, ईमानदारी का कोई सानी नहीं। 31 दिसंबर 2017 को खेमका की एप्रेजल रिपोर्ट सीएम मनोहर लाल के पास पहुंची। सीएम ने खेमका के नंबर काट दिए और 10 में से 9 अंक दिए। साथ लिखा कि खेमका पर विज की रिपोर्ट में थोड़ा बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है।
दरअसल एसीआर में 10 में से 9 अंक होने के बावजूद सीएम की टिप्पणी से खेमका की केंद्र में अतिरिक्त सचिव के रूप में पदोन्नति प्रभावित हो सकती है। एक बैच से केवल 20 फीसदी आईएएस अफसरों को उच्च स्तर के लिए प्रमोट किया जाता है। मुख्यमंत्री की टिप्पणी खेमका के खिलाफ काम करेगी। पदोन्नति प्रभावित होती देख पहले तो खेमका ने कैट में अर्जी लगाई। वहां से कोई राहत न मिलने के बाद हाईकोर्ट में याचिका लगाते हुए अपनी मूल्यांकन रिपोर्ट से सीएम की टिप्पणी हटाने और विज द्वारा दिए 9.92 नंबर बहाल कराने की मांग की है





Conclusion:
अशोक खेमका ने हाईकोर्ट के फैसले पर कहा कि अभी उन्होंने हाई कोर्ट के फैसले की कॉपी नहीं देखी है लेकिन उन्होंने हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया उन्होंने कहा कि उनके साथ अन्याय हो रहा था और हाईकोर्ट ने उनको न्याय दिया है।
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