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सहस्त्रधारा रोड चौड़ीकरण में काटे जाएंगे करीब 2200 पेड़, पर्यावरण प्रेमियों का तीखा विरोध

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Published : Jun 15, 2022, 10:37 AM IST

Updated : Jun 15, 2022, 3:13 PM IST

देहरादून में सहस्त्रधारा रोड के चौड़ीकरण में करीब 2200 पेड़ों की बलि दी जाएगी. जिसका पर्यावरण प्रेमियों ने विरोध शुरू कर दिया है. उनका साफ कहना है कि विकास के नाम पर पेड़ काटना भविष्य के साथ खिलवाड़ करना है. पेड़ काटने के बजाय ऐसे डेवलपमेंट मॉडल लाने होंगे, जिनसे हरियाली बची रहे और विकास भी हो.

dehradun tree cutting protest
पेड़ काटने का विरोध

देहरादूनःसहस्त्रधारा रोड चौड़ीकरण में करीब 22 सौ पेड़ काटे जाने की योजना का सामाजिक संस्थाओं और पर्यावरण प्रेमियों ने विरोध किया है. पर्यावरणविदों का कहना है कि अब उन्हें विकास के नाम पर पेड़ काटे जाना किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है. उन्होंने लोगों से देहरादून में पेड़ बचाने की अपील की है.

सिटीजन फॉर ग्रीन दून (Citizen for Green Doon) के सचिव हिमांशु अरोड़ा ने कहा कि स्मार्ट सिटी के साथ ही ग्रीन दून पर भी फोकस किया जाना जरूरी है. पर्यटक हरियाली देखने की आस में हिल स्टेशन आते हैं. अगर हरियाली ही नहीं होगी तो पर्यटक हिल स्टेशन क्यों आएंगे? उन्होंने बताया कि देहरादून में दिनोंदिन तापमान में इजाफा होता जा रहा है. जिससे भीषण गर्मी का प्रकोप देखने को मिल रहा है. यहां की इकोनॉमी का आधार पर्यटन ही है. यदि चौड़ीकरण के नाम पर हरे पेड़ काटे जाएंगे तो इसके नतीजे अच्छे नहीं होंगे. हमें ऐसे डेवलपमेंट मॉडल लाने होंगे, जिनसे हरियाली बची रहे और विकास भी हो.

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पेड़ों पर आरी चलाने के बजाय बिजली के खंभे और अतिक्रमण हटाएंःवहीं, पर्यावरण प्रेमी नीलेश का कहना है कि देहरादून में सड़क चौड़ीकरण के लिए सामान्य नहीं बल्कि, दुर्लभ पेड़ों को भी काटा गया, लेकिन ट्रैफिक समस्या जस की तस बनी हुई है. ट्रैफिक की समस्या और विकराल हुई है. उन्होंने कहा कि सहस्त्रधारा रोड पर पेड़ों पर आरी चलाने के बजाय बिजली के खंभों और अतिक्रमण को हटाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह प्रपोजल केंद्र सरकार की नेशनल अर्बन ट्रांसपोर्ट पॉलिसी (National Urban Transport Policy) और स्मार्ट सिटी के तहत गाइडलाइन को फॉलो नहीं करता है. नीलेश ने कहा कि यह ठीक नहीं है कि सारे पेड़ काट दो और सड़क चौड़ीकरण कर दो.

इधर, समाजसेवी व पर्यावरण प्रेमी इरा चौहान (Social Worker Ira Chauhan) ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण रोकने और पक्षियों को बचाने के लिए भी पेड़ों को बचाने की जरूरत है. सहस्त्रधारा रोड पर कई यूकेलिप्टस के पेड़ हैं, लेकिन यह कहा जा रहा है कि इन पेड़ों का कोई लाभ नहीं है. जबकि एक रिसर्च के मुताबिक, यूकेलिप्टस की जड़ें डेढ़ से दो मीटर गहरी होती हैं और वो सिर्फ बारिश का पानी सोखतीं हैं. यह कहना बिल्कुल गलत है कि यूकेलिप्टस का पेड़ जमीन का पानी सोख लेता है.

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उन्होंने बताया कि एक एक्सपेरिमेंट के तहत हमने इंफ्रारेड थर्मामीटर से सड़क का तापमान आंका तो 50 डिग्री निकला, उसी वक्त पेड़ के नीचे जाकर मिट्टी में इंफ्रारेड थर्मामीटर से चेक किया गया तो तापमान 30 डिग्री पाया. उन्होंने बताया कि पेड़ काटे जाने से सहस्त्रधारा रोड पर दिखाई दे रहे दुर्लभ पक्षियों को भी पेड़ कटने का खामियाजा भुगतना पड़ेगा. बिजली और दूसरी लाइन को तत्काल भूमिगत कर रोड की एक और लेन प्राप्त की जा सकती है. साथ ही सड़क को बच्चों और बुजुर्गों के लिए एक्सीडेंट रहित बनाने के लिए सर्विस लेन बनाने की जरूरत है.

Last Updated :Jun 15, 2022, 3:13 PM IST

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