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स्मार्ट रोड के लिए कटने थे 200 से ज्यादा पेड़, ट्री-ट्रांसप्लांटेशन से बदल गई तस्वीर, पेड़ों को मिला नया जीवन

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Published : Sep 4, 2021, 2:20 PM IST

Updated : Sep 5, 2021, 2:20 PM IST

samrt city project
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट (Sagar Smart City Project) के साथ सागर में काटे जाने वाले पेड़ ट्री ट्रांसप्लेंटेशन के बाद शहर के बाहर पार्क में लहलहा रहे हैं. एक साल बाद करीब 90 फीसदी पेड़ों को नया जीवन मिल गया है.

सागर। देश की 100 स्मार्ट सिटी (Sagar Smart City) में शुमार सागर शहर में इन दिनों बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य चल रहे हैं. खासकर शहर की सड़कों को स्मार्ट रोड बनाने का काम चल रहा है. इन सड़कों के निर्माण के लिए 200 से ज्यादा सड़क किनारे लगे पेड़ काटे जाने थे, लेकिन स्मार्ट सिटी लिमिटेड (Sagar Smart City Limited) ने इन पेड़ों को काटने की जगह 'ट्री-ट्रांसप्लांटेशन' का फैसला लिया. इन 200 से ज्यादा पेड़ों को वैज्ञानिक पद्धति (Scientific Method) से ट्रांसप्लांट किया गया. एक साल बाद करीब 90 फीसदी पेड़ों को नया जीवन मिल गया है. कभी सड़क किनारे लहराने वाले पेड़ अब शहर से बाहर एक जंगल में लहलहा रहे हैं. स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने भविष्य में प्रस्तावित स्मार्ट रोड (Sagar Smart Road) के पेड़ काटने की जगह 'ट्री-ट्रांसप्लांटेशन' (Tree Transplantation) करने का फैसला लिया है.

सागर स्मार्ट सिटी ने किया ट्री ट्रांसप्लांट.

200 से ज्यादा पेड़ों के जीवन पर आ गया था संकट
सागर शहर स्मार्ट सिटी में शामिल होने के बाद सबसे ज्यादा शहर की सड़कों को स्मार्ट बनाने पर जोर दिया जा रहा है. सागर शहर में 13.6 किमी का स्मार्ट रोड कॉरिडोर (Smart Road Corridor) बन रहा है. जैसे ही स्मार्ट रोड कॉरिडोर की शुरुआत हुई, तो करीब 215 पेड़ों के जीवन पर संकट आ गया. पर्यावरण प्रेमियों (Environment Lover) को इन पेड़ों की चिंता सताने लगी, लेकिन लोगों ने राहत की सांस तब ली, जब स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने इन पेड़ों को काटे जाने की जगह 'ट्री-ट्रांसप्लांटेशन' कराने का फैसला लिया.

सागर स्मार्ट सिटी.

स्मार्ट रोड के टेंडर में रखी गई 'ट्री-ट्रांसप्लांटेशन' की शर्त
शहर में बनने वाले स्मार्ट सिटी रोड कॉरिडोर का टेंडर (Sagar Smart City Tender) निकाला गया. उसमें यह शर्त रखी गई कि जो भी पेड़ स्मार्ट सिटी रोड के रास्ते में आएंगे, उन्हें काटा नहीं जाएगा बल्कि उनका ट्रांसप्लांटेशन किया जाएगा. एजेंसी को वैज्ञानिक पद्धति से ट्रांसप्लांटेशन करना होगा. ताकि अपनी जगह से हटकर भी पेड़ों को कोई नुकसान न हो और पेड़ जीवित रहे.

वैज्ञानिक पद्धति से किया गया 'ट्री-ट्रांसप्लांटेशन'
आमतौर पर 'ट्री-ट्रांसप्लांटेशन' में पेड़ों की बच पाने की उम्मीद कम होती है, लेकिन वैज्ञानिक पद्धति अपनाकर सावधानी से 'ट्री-ट्रांसप्लांटेशन' किया जाए तो पेड़ों के बचने की संभावना बढ़ जाती है. पेड़ को इस प्रकार जमीन से निकाला जाता है कि पेड़ की जड़े (Tree Roots Covered With Soil) मिट्टी के साथ बाहर निकले और तना सुरक्षित रहे. पेड़ का वजन कम करने के लिए मुख्य शाखा को छोड़कर अन्य शाखाओं को काट दिया जाता है, जिससे पेड़ों को प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) में मदद मिलती है.

ट्री-ट्रांसप्लांटेशन के बाद लहलहाने लगे पेड़.

पार्क के रूप में विकसित होगी ट्रांसप्लांटेशन वाली जगह
करीब 200 से ज्यादा पेड़ों को सागर की पेयजल परियोजना (Sagar Drinking Water Project) के किनारे लगे जंगल में शिफ्ट किया गया है. जहां पर करीब 90 फीसदी पेड़ एक साल बाद नया जीवन हासिल कर चुके हैं और उनमें नई पत्तियां निकल आई हैं. अब स्मार्ट सिटी अपने इस प्रयोग को लोगों को दिखाने और आकर्षित करने के लिए एक पार्क के रूप में विकसित करने की तैयारी कर रहा है.

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स्मार्ट सिटी कॉरिडोर के तहत बनने वाली तमाम सड़कों को लेकर हमने पहले ही फैसला किया था कि हम कोई भी पेड़ नहीं काटेंगे, बल्कि हम ट्री ट्रांसप्लांटेशन वैज्ञानिक पद्धति (Tree Transplantation Scientific Methode) से करेंगे. हमने अपने टेंडर में यह शर्त भी रखी थी. स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अंतर्गत जैसे ही सड़कों का निर्माण शुरू किया गया, तो शुरुआत में 200 से ज्यादा पेड़ों को शिफ्ट किया गया है. एक साल बाद 90 फीसदी पेड़ जीवित अवस्था में हैं.

राहुल सिंह, सीईओ, स्मार्ट सिटी लिमिटेड

Last Updated :Sep 5, 2021, 2:20 PM IST

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