भोपाल, भाषा पीटीआई। ''कांग्रेस मध्य प्रदेश में दोहरे अंक में लोकसभा सीटें जीतेगी.'' यह दावा किया है पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने. मप्र में 29 लोकसभा सीटों पर आम चुनाव के चार चरणों में 19 अप्रैल से 13 मई के बीच मतदान संपन्न हुआ. वोटों की गिनती 4 जून को होगी. 2019 के चुनावों में, भाजपा को छिंदवाड़ा को छोड़कर 28 सीटें मिली थीं, जो कांग्रेस के नकुल नाथ ने जीती थीं. जीतू पटवारी ने कहा कि, ''इस बार नतीजे आश्चर्यजनक होंगे, क्योंकि विधानसभा चुनाव में (कांग्रेस की) हार के बाद पार्टी नेताओं ने एकजुट होकर लोकसभा चुनाव लड़ा. मुझे विश्वास है कि हम दोहरे अंक में सीटें जीतेंगे. अगर ऐसा होता है तो आश्चर्यचकित न हों.
चीनी सामान की तरह मोदी की गारंटी
जीतू पटवारी ने भाजपा पर झूठ का सहारा लेने का आरोप लगाते हुए कहा कि, ''सत्तारूढ़ दल ने राज्य के प्रत्येक मतदान केंद्र पर 375 अतिरिक्त वोट सुनिश्चित करने के लिए अभियान चलाया, लेकिन उनमें से लगभग आधे पर कुल मतदान इस संख्या को भी नहीं छू सका.'' उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दी गई गारंटी चीनी सामान की तरह है.'' झूठ की फैक्ट्री’ भाजपा खुद को कितना भी दिलासा दे ले, कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. एक बार फिर कह रहा हूं, 4 जून के बाद नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे. देश के हर कोने में INDIA की आंधी चल रही है.
एमपी में बढ़ रहे क्राइम, सीएम को चिंता नहीं
वहीं राज्य में बढ़ती अपराध दर को लेकर मुख्यमंत्री मोहन यादव पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा कि ''जन सुरक्षा आपकी जवाबदेही है, कानून व्यवस्था आपकी जिम्मेदारी है. सीएम मोहन यादव को गृह मंत्रालय छोड़ देना चाहिए क्योंकि वह इसे ठीक से नहीं संभाल सकते. पिछले तीन महीनों में मध्य प्रदेश में अपराध दर देश में सबसे ज्यादा रही. सीएम के गृहनगर उज्जैन में 13 बड़े अपराध हुए. लेकिन उनको प्रदेश की कोई चिंता नहीं है.''
Also Read: |
भाजपा में जाने वाले कांग्रेसी नेता गुमनाम
जीतू पटवारी ने दावा किया कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने वाले ज्यादातर नेताओं का सियासी करियर खत्म हो गया है. उन्होंने कहा कि ''सच्चाई सिर्फ यह है कि बीते 10 सालों में 35 कांग्रेसी विधायकों ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा, लेकिन उसमें से 22 नेताओं का सियासी सफर लगभग गुमनामी में चला गया है. ज्यादातर नेता या तो चुनाव हार गए या फिर उन्हें टिकट ही नहीं मिला. इन 35 नेताओं में फिलहाल 9 ही विधायक हैं और उनमें से भी केवल 4 ही मंत्री पद तक पहुंच पाए. भाजपा भय और लालच के दम पर विपक्ष को खत्म करना चाहती है. डरे हुए कुछ मौकापरस्त मन बदल भी रहे हैं, लेकिन, उनकी स्थिति जनता भी देख/समझ रही है. कभी मित्र, साथी, सहयोगी रहे ऐसे चेहरों के प्रति मेरी पूरी सहानुभूति है. यह दिली इच्छा भी है कि यदि वे राजनीति को जनसेवा का जरिया मानते हों, तो ईश्वर उनकी मदद करे.