ग्वालियर। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां और ग्वालियर सिंधिया राजवंश की राजमाता माधवी राजे सिंधिया के निधन से ना सिर्फ ग्वालियर बल्कि पूरी राजनीति की दुनिया में भी शोक की लहर है, क्योंकि भले ही माधवी राजे सिंधिया ने कभी सियासत का रूख ना किया हो. लेकिन सिंधिया राज घराना लंबे समय से राजनीति का हिस्सा है. उनकी सास यानी स्वर्गीय राजमाता विजया राजे सिंधिया जनसंघ और फिर बीजेपी की फाउंडर मेम्बर रहीं तो वहीं उनके दिवंगत पति माधवराव सिंधिया अपने निधन के समय केंद्रीय मंत्री थे और कांग्रेस नेता थे. खास कर तत्कालीन प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी से माधव राव और माधवी राजे सिंधिया के बहुत अच्छे और पारिवारिक संबंध थे. गांधी परिवार से उनकी इस कदर नजदीकियां थी कि उन्हें इंदिरा गांधी का तीसरा बेटा भी कहा जाता था. आज उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया भी बीजेपी से जुड़े हैं और केंद्र में कैबिनेट मंत्री हैं. कहा जा सकता है कि सिंधिया राज घराना हमेशा राजनीति के शीर्ष नेतृत्व का हमेशा खास रहा है.
अक्सर माधवीराजे और बच्चों से होती थी इंदिरा गांधी की मुलाकात
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीति विश्लेषक देव श्रीमाली कहते हैं कि, "माधवराव सिंधिया जब तक जीवित रहे उनके परिवार की कांग्रेस से नजदीकियों हमेशा रहीं. वे खुद कांग्रेस के नेता थे, मूल रूप से वे संजय गांधी के खास मित्र थे. जिसकी वजह से माधवी राजे और बच्चों का भी आना जाना हमेशा लगा रहा. माना जाता था कि ये इंदिरा गांधी के तीसरे बेटे हैं. संजय गांधी के निधन के बाद उनकी राजीव गांधी से नजदीकियां बढ़ी और उन्होंने ही माधवराव को केंद्र में पहली बार मंत्री बनाया था. माधवराव भी कांग्रेस के पक्के सिपहसलार थे जो कई मौकों के बावजूद टस से मस नहीं हुए. वे कांग्रेस छोड़ सकते थे लेकिन वे हर हाल में कांग्रेस के साथ खड़े रहे.''
बिना जाँच राहुल गांधी के बंगले में जाती थी ज्योतिरादित्य की कार
गांधी परिवार से पारिवारिक संबंधों की प्रागणता की कई तस्वीरें इतिहास के झरोखे में देखी भी जा सकती हैं. जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ी तब भी राहुल गांधी ने बताया था कि सिंधिया कहते हैं कि मिलने का समय नहीं दिया. जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया की गाड़ी सीधा उनके बंगले में आती थी वह भी बिना सिक्योरिटी चेकिंग के.
राजनीति के धुरंधरों से रही सिंधिया घराने की नजदीकियां
देव श्रीमाली कहते हैं कि, ''सिंधिया परिवार को लेकर राजनीतिक रूप से आज हालात भले ही सिफर नजर आये लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि सिंधिया राज घराना हमेशा से राजनीति के शीर्ष धुरंधरों के करीब रहा है, फिर चाहे वह इंदिरा गांधी हों, सोनिया गांधी रही हों या आज अमित शाह और नरेन्द्र मोदी हों. इससे बड़ी बात क्या होगी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो ज्योतिरादित्य सिंधिया को ग्वालियर की आम सभा में अपना दामाद तक कह दिया था. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आज भी सिंधिया परिवार का भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से वैसे ही संबंध है, जैसे कभी माधवराव सिंधिया के कांग्रेस और गांधी परिवार से थे.''
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ज्योतिरादित्य के लिये मार्गदर्शक बनी थी राजमाता माधवी राजे
रहा सवाल कांग्रेस से अलगाव का तो आज की परिस्थिति के हिसाब से माधवी राजे सिंधिया वो मार्ग दर्शक थी जिनकी सहमति के बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का हाथ छोड़ कमल यानी बीजेपी के साथ जोड़ा था. देव श्रीमाली कहते हैं कि, ''ज्योतिरादित्य सिंधिया की अपनी मां माधवी राजे सिंधिया से अच्छी बॉण्डिंग थी, वे बिना एक दूसरे के राय मशवरा लिए कोई काम नहीं करते थे. कहा जाता है कि ज्योतिरादित्य हर दिन अपनी मां से कई बार फोन पर बात करते थे. दिल्ली में होने पर सुबह उनके पैर छूकर ही निकलते थे और रात में उनसे चर्चा करने के बाद सोने जाते थे. ऐसे में पार्टी बदलने जैसा बड़ा फैसला इनकी सहमति के बिना नहीं हुआ होगा.''