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कंगाली में भी पाकिस्तानियों ने दुबई में खरीदी अरबों की संपत्ति: रिपोर्ट - Pakistanis properties

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By PTI

Published : May 16, 2024, 10:22 AM IST

Pakistanis properties in Dubai: पाकिस्तान घोर आर्थिक संकट से जूझ रहा है. इस बीच एक चौंकाने वाली रिपोर्ट आई है. इर रिपोर्ट की मानें तो दुबई में पाकिस्तानियों के पास 125 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य की 2200 संपत्तियां (properties ) हैं.

Dubai properties
दुबई (प्रतिकात्मक फोटो) (ANI)

इस्लामाबाद: नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में कर्ज पाने के लिए दर-दर भटकने के बीच उसके अमीर नागरिकों के पास दुबई में 12.5 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य की 17,000 से 22,000 संपत्तियां हैं. पत्रकारों के एक अंतरराष्ट्रीय संघ द्वारा इस्तेमाल किए गए लीक आंकड़ों के अनुसार दुबई में संपत्तियों का विवरण मंगलवार को सामने आया.

डॉन डॉट कॉम के अनुसार लीक हुआ डेटा दुबई में सैकड़ों हजारों संपत्तियों का विस्तृत अवलोकन और उनके स्वामित्व या उपयोग के बारे में जानकारी प्रदान करता है. मुख्य रूप से 2020 से 2022 के बीच उनके स्वामित्व या उपयोग के बारे में जानकारी प्रदान करता है. यह सेंटर फॉर एडवांस्ड डिफेंस स्टडीज (C4ADS) द्वारा प्राप्त किया गया जो वाशिंगटन डीसी में स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन है. यह अंतरराष्ट्रीय अपराध और संघर्ष पर शोध करता है.

फिर डेटा को नॉर्वेजियन वित्तीय आउटलेट ई24 (E24), संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग परियोजना (OCCRP) के साथ साझा किया गया. इसने दुनिया भर के मीडिया आउटलेट्स के साथ एक खोजी परियोजना का समन्वय किया. 'दुबई अनलॉक्ड' शीर्षक वाले इस पहल में 58 देशों के 74 भागीदार शामिल हैं. वेबसाइट ने बताया कि लीक हुए संपत्ति डेटा में भारी संख्या में पाकिस्तानी नागरिकों से संबंधित संपत्तियां शामिल हैं.

दुनिया भर के कई मीडिया हाउस के पत्रकारों को ज्ञात थी कि 2022 के वसंत ऋतु तक 17,000 से अधिक संपत्तियां सूचीबद्ध थी. डेटा का उपयोग करने वाले शिक्षाविदों ने दुबई में आवासीय संपत्ति के पाकिस्तानी मालिकों की वास्तविक संख्या 22,000 बताई है. उनका अनुमान है कि 2022 की शुरुआत में अपार्टमेंट और विला की कीमत 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो सकती है.

हालांकि उनका यह भी कहना है कि पिछले दो वर्षों में संपत्ति की कीमतों में 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है. इस तरह दुबई में पाकिस्तानियों की आवासीय संपत्तियों की वास्तविक कीमत अब 12.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो सकती है. समाचार पोर्टल ने फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू (FBR) के अध्यक्ष मलिक अमजद जुबैर तिवाना के हवाले से कहा,'यदि हमारे पास वह डेटा है जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं तो हम वसूली सुनिश्चित करेंगे.' उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि जो लोग किराये की आय या पूंजीगत मूल्य पर पाकिस्तान में कर का भुगतान करने के पात्र हैं, वे ऐसा कर रहे हैं.'

जुबैर तिवाना ने कहा, 'यह एक संवेदनशील मामला हो सकता है. शायद कानून बदलना होगा लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ हम कर चोरों के खिलाफ हर संभव प्रयास करेंगे. सरकार इसके लिए तैयार है.' उन्होंने कहा कि कर कानून में नागरिकता का कोई महत्व नहीं है क्योंकि कराधान निवास की स्थिति से जुड़ा हुआ है. हम कर की स्थिति निर्धारित करने के लिए दुबई के आव्रजन विभाग से जानकारी प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन यह संभव नहीं हो पाया है.'

कर मामलो के वकील और कराची टैक्स बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अली रहीम ने कहा कि पाकिस्तानियों की पूरी दुनिया की आय पर पाकिस्तान में कर लगाया जा सकता है, लेकिन वे विदेश में भुगतान किए गए किसी भी कर के लिए अपने कुल कर भुगतान के खिलाफ क्रेडिट प्राप्त कर सकते हैं. विदेश में संपत्ति रखने वाले पाकिस्तानी निवासियों (जो प्रति वर्ष 183 दिनों से अधिक समय तक देश में रहते हैं) को उन्हें वर्तमान विनिमय दर पर मूल्य देना होगा और यदि संपत्ति का मूल्य 100 मिलियन रुपये से अधिक है तो उस पर एक प्रतिशत कर का भुगतान करना होगा. इस कानून को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा रही है.

अनिवासी या विदेशी पाकिस्तानी केवल पाकिस्तान में उत्पन्न आय पर कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं. उन्हें संपत्ति विवरण दाखिल करने या विदेशी संपत्तियों की घोषणा करने की आवश्यकता नहीं है. डॉन ने यह भी स्पष्ट किया कि डेटा में किसी का उल्लेख मात्र वित्तीय अपराध या कर धोखाधड़ी का सबूत नहीं है.

न ही डेटा में निवास की स्थिति, आय के स्रोत, किराये की आय की कर घोषणा या पूंजीगत लाभ जैसी जानकारी शामिल है. वास्तव में जिन लोगों से उनकी संपत्तियों पर टिप्पणी के लिए संपर्क किया गया था, उनमें से कई ने कहा कि उन्होंने कर अधिकारियों के समक्ष ब्यौरा दाखिल कर चुके हैं. यह विरोधाभासों की एक आश्चर्यजनक तस्वीर पेश करता है. वेबसाइट के अनुसार पाकिस्तान एक विकासशील देश है जो आर्थिक पतन के कगार पर है. अंतरराष्ट्रीय ऋणदाताओं और मित्र देशों से भीख मांग रहा है.

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