मध्य प्रदेश

madhya pradesh

बुंदेलखंड के किसान एक ही पौधे में उगा रहे बैंगन और टमाटर, ग्राफ्टिंग की ब्रिमेटो तकनीक का कमाल

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 1, 2024, 9:09 PM IST

Updated : Jan 1, 2024, 10:10 PM IST

Sagar Grafting Brimato Technique: देश में खेती किसानी की नई-नई तकनीकें आ गई हैं. बुंदेलखंड के किसान ने एक ऐसा कमाल कर दिखाया है जिसे देखकर हर कोई हैरान है. दरअसल, किसान ग्राफ्टिंग की ब्रिमेटो तकनीक से एक ही पौधे में बैंगन और टमाटर उगा रहा है. पढ़िए सागर से कपिल तिवारी की यह खास रिपोर्ट...

brinjal tomato same plant
एक ही पौधे में उगा रहे बैंगन और टमाटर

बुंदेलखंड में किसानों का कमाल

सागर। बुंदेलखंड के किसान अनाज उत्पादन के अलावा बडे़ पैमाने पर सब्जियों की खेती करते हैं. पहले बुंदेलखंड के किसान पारम्परिक तरीके से सब्जियों की खेती करते थे. अब आधुनिक तकनीक से सब्जियों की खेती कर रहे हैं. इसी कड़ी में बुंदेलखंड के किसान ग्राफ्टिंग की ब्रिमेटो तकनीक से एक ही पौधे से बैंगन और टमाटर फसल का उत्पादन ले रहे हैं. हालांकि ग्राफ्टिंग पुरानी तकनीक है. इसका प्रयोग फलों के पौधे पर ज्यादा किया जाता है. इसके पहले आलू और टमाटर एक ही पौधे पर उगाए जा चुके हैं.

सब्जियों की ग्राफ्टिंग को लेकर अनुसंधान:पहली बार टमाटर और बैंगन की ग्राफ्टिंग का सफल प्रयोग ICAR (indian agricultural research institute) और भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी ने किया था. प्रायोगिक परीक्षणों में कई फायदे सामने आए हैं. एक तो एक साथ एक ही पौधे से बैंगन और टमाटर की फसल ले सकते हैं. दूसरी तरफ सब्जी वाले पौधों में लगने वाले रोगों से बचा सकते हैं. हालांकि सब्जियों की ग्राफ्टिंग को लेकर अभी अनुसंधान चल रहा है. इसलिए व्यावसायिक तौर पर उपयोग की सिफारिश जानकार नहीं करते हैं.

एक ही पौधे में उगा रहे बैंगन और टमाटर

बुंदेलखंड में सब्जी की खेती में नवाचार:एक ही पौधे में एक साथ बैंगन और टमाटर की फसल ग्राफ्टिंग से तैयार की जाती है और अभी इस तरह की खेती पर अनुसंधान चल रहा है. लेकिन बुंदेलखंड के जागरूक किसान सोशल मीडिया और इंटरनेट के जरिए खेती किसानी के नवाचारू की जानकारी जताकर प्रयोग करते रहते हैं. सागर जिले के चनौआ बुजुर्ग गांव के किसान कमलेश कुशवाहा सब्जी की खेती में नए-नए प्रयोग के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी जुटाकर बैंगन और टमाटर के पौधे की ग्राफ्टिंग का सफल प्रयोग किया है. उनके खेत पर एक ही पौधे में टमाटर और बैंगन एक साथ उग रहे हैं. फिलहाल कमलेश कुशवाहा ने 40 पौधों पर प्रयोग किया है.

पौधे को नुकसान नहीं पहुंचता:पहली बार का प्रयोग सफल होने पर कमलेश अगली बार एक एकड़ में बैगन और टमाटर की ग्राफ्टिंग करके फसल लगाएंगे. कमलेश मानते हैं कि इस तकनीक से टमाटर की फसल जड़ में होने वाले रोग और बारिश के असर से प्रभावित नहीं होगी. क्योंकि ग्राफ्टिंग की तकनीक में बैगन के पौधे की जड़ का उपयोग किया जाता है, जो टमाटर के मुकाबले काफी मजबूत होती है. बैंगन की जड़ खेत में पानी भरने पर जल्दी नहीं सड़ती है और पौधे को नुकसान नहीं पहुंचता है. वहीं, बारिश न होने की स्थिति में भी बैगन की जड़ एकदम नहीं सूखती है.

ग्राफ्टिंग की ब्रिमेटो तकनीक का कमाल

ब्रिमेटो (Brimato) है तकनीक का नाम:एक ही पौधे पर बैंगन और टमाटर एक साथ उगाने की ग्राफ्टिंग की तकनीक को ब्रिमेटो नाम दिया गया है. इसका पहला सफल प्रयोग ICAR (indian agricultural research institute) और भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी द्वारा किया गया है. कृषि वैज्ञानिकों ने ग्राफ्टिंग की इस तकनीक को ब्रिमेटो (Brimato) नाम इसलिए दिया है. क्योंकि ब्रिमेटो शब्द बैंगन (Brinjal) और टोमेटो (Tamato) शब्दों से मिलकर बना है. इन दोनों पौधों की ग्राफ्टिंग इसलिए भी आसानी से हो जाती है, क्योंकि यह दोनों एक ही कुल के पौधे हैं. ऐसे में उनके कई गुण एक दूसरे से मेल खाते हैं.

कैसे करें बैंगन और टमाटर की ग्राफ्टिंग:ब्रिमेटो (Brimato) की फसल के लिए टमाटर और बैंगन के पौधे का कलम तैयार की जाती है. इसके लिए बैंगन का 25-30 दिन और टमाटर का 20- 25 दिन का पौधा तैयार होने पर कलम तैयार की जाती है. दोनों पौधों को पेंसिल की तरह बांध दिया जाता है और दोनों को जोड़ने के बाद 10 से 15 दिन ऐसी जगह रखा जाता है. जहां तापमान, नमी और प्रकाश नियंत्रण में रहे और फिर कलम की रोपाई की जाती है. 60 से 70 दिन का पौधा तैयार होने पर पौधे में बैंगन और टमाटर उगने लगते हैं.

ब्रिमैटो तकनीक से उत्पादन होता है कम: प्रयोग के तौर पर देखा गया है कि बैंगन और टमाटर की अलग-अलग खेती करने की अपेक्षा ब्रिमेटो तकनीक से उत्पादन कम होता है. फिलहाल वैज्ञानिक उत्पादन बढ़ाने पर शोध कर रहे हैं. अभी तक के प्रयोग से माना जा सकता है कि फिलहाल ब्रिमेटो तकनीक से किचन और टेरेस गार्डन में बैगन और टमाटर उगा सकते हैं. बड़े पैमाने और व्यावसायिक स्तर पर इसका उत्पादन करने के लिए उत्पादकता बढ़ाना जरूरी है. फिलहाल इस पर रिसर्च चल रही है.

Also Read:

क्या कहते हैं जानकार:बुंदेलखंड के टमाटर उत्पादक किसान के नवाचार को लेकर उद्यानिकी विभाग के उप संचालक पीडी चौबे कहते हैं कि ''ग्राफ्टिंग की तकनीक लंबे समय से प्रचलित है. विशेष तौर पर फलदार पौधे आम,अमरुद, आंवला और महुआ में इसका प्रयोग होता है. इसी तरह एक ही कुल के पौधे होने के कारण बैगन में टमाटर ग्राफ्टिंग करके लगाया जा रहा है. इससे टमाटर की फसल के लिए स्टिकिंग की जरूरत भी नहीं पड़ती है. एक तरफ बैंगन और एक तरफ टमाटर की फसल लगती है. इसी तरह आलू भी लगा सकते है. लेकिन इसमें बड़ी सावधानी और प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है. यह काम कुशल मार्गदर्शक के निर्देशन में करना चाहिए. क्योंकि सब्जी के पौधे काफी मुलायम होते हैं.''

व्यावसायिक उपयोग पर विचार:जहां तक फायदे को देखा जाए तो दिनों दिन किसानों की जोत कम हो रही है. कम जगह में अधिक फसल लगाने की ये अच्छी विधि है. टमाटर में होने वाले रोगों पर भी नियंत्रण होता है. क्योंकि ग्राफ्टिंग में बैगन की जड़ वाला हिस्सा उपयोग किया जाता है, तो टमाटर में जड़ वाले रोग नहीं लग पाते हैं. एक साथ दोनों पौधों को ड्रिप और मल्चिंग के माध्यम से पानी, दवा और खाद दे सकते हैं. मित्र जाति के होने के कारण इनका उत्पादन भी अच्छा होता है. फिलहाल ये नवाचार अनुसंधान की स्थिति में है और व्यावसायिक उपयोग के लिए अभी समय लगेगा. अभी और परीक्षण किए जाएंगे कि पौधों में कितना फलन होता है, कौन सी बीमारी होती है. इन सब परीक्षण के बाद व्यावसायिक उपयोग पर विचार किया जाएगा.

Last Updated :Jan 1, 2024, 10:10 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details