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ग्वालियर में आक्रामक आवारा कुत्तों का आतंक, रोज आधा सैकड़ा से अधिक बच्चों और लोगो को बना रहे है शिकार

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 26, 2023, 4:04 PM IST

Jabalpur News: शहर के दोनों अस्पतालों में घायल लोगों की एक बड़ी भीड़ देखी जा रही है. करीबन आधा सैकड़ा लोग घायल अवस्था में अस्पताल पहुंच रहे है. इधर प्रशासन भी लापरवाह बना हुआ है. दिन ब दिन बढ़ते इस तरह के मामले ने फिलहाल शहर के लोगों में चिंत बढ़ा दी है.

Street Dog Terror in MP
जबलपुर न्यूज

ग्वालियर।शहर में इन दोनों अस्पताल में घायल लोगों की एक बड़ी भीड़ देखी जा रही है. रोजाना तकरीबन आधा सैकड़ा लोग, बच्चे खून और कटे-फटे घाव लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि यह किसी लड़ाई झगड़ा या चोट के निशान नहीं है. बल्कि, यह शहर में घूम रहे आवारा स्वानो की तरफ से घायल किए गए लोग हैं. इन दोनों शहर में आवारा स्वानो का आतंक बहुत बढ़ गया है. इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि महज 23 दिनों में 494 केस अब तक जिला अस्पताल में इलाज के लिए पहुंच चुके हैं.

घर के बाहर खेल रहे बच्चों पर किया हमला:स्वानो की तरफ से सबसे सॉफ्ट टारगेट घर के बाहर खेल रहे बच्चे या बुजुर्ग होते हैं. जो उनसे लड़ नहीं पाते. ऐसे में बताया जाता है कि इस मौसम में स्वान कुछ ज्यादा चिड़चिड़ा और स्वभाव से आक्रामक हो जाते हैं. बिना वजह भी कई बार घर के बाहर खेल रहे बच्चों और बुजुर्गों पर हमला कर देते हैं. जिला अस्पताल में लैब टेक्नीशियन अशोक आर्य ने बताया कि अब तक लगभग इसी माह नवंबर की बात करें तो महज 23 दिन के अंदर 494 घटनाएं डॉग बाइट की सामने आ चुकी है. इनमें लोगों को गंभीर रूप से कटकर घायल किया गया है.

ताजा मामला सौंसा ग्राम पंचायत में देखने को मिला. जहां घर के बाहर खेल रहे 11 साल के बच्चे पर वहां मौजूद स्वान के एक झुंड ने हमला कर घायल कर दिया. स्वान की तरफ से उनका आधा होंट काट दिया गया और शरीर पर कई जगह दांत लगे के निशान नजर आए. इस दौरान बालक काफी डरा सहमा नजर आ रहा थां. वहीं कुछ दिन पहले ही कंपू निवासी 24 वर्षीय एक युवती पर भी स्वान ने हमला कर उसकी हालत खराब कर दी थी. चेहरे पर कई जगह दांतों के निशान और कनपटी से मांस तक नोच लिया गया था.

नगरनिगम की लापरवाही: रोजाना घायल हो रहे लोगों को लेकर नगर निगम की भी लापरवाही सामने आ रही है. चुनावी दौर शुरू होने से पहले ही बंद हुए एबीसी सेंटर चुनाव की मतगणना शुरू होने तक भी शुरू नहीं हो पाए हैं. लगभग दो माह पहले बंद हो चुके सेंटर को अब तक शुरू करने की कोई भी कवायत नहीं हुई.

वहीं, मेडिकल ट्रीटमेंट की बात की जाए तो इनके बर्थ कंट्रोल पर भी काम नहीं हो पा रहा है. इससे इनकी आबादी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. ऐसे में उनके बच्चों को अगर कोई खिलाने बच्चा या बुजुर्ग भी जाता है, तो यह कई बार आक्रामक होकर उसे पर हमला बोल देते हैं. घायल कर देते हैं.

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