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बीजेपी नेता सिद्धार्थ मलैया का आत्मविश्वास देखिए, कैसे नकारा लाड़ली बहना योजना का श्रेय

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 7, 2023, 4:16 PM IST

We won in Damoh even if no ladli bahna yojna
लाड़ली बहना योजना नहीं होती तब भी हम दमोह में जीतते

दमोह के भाजपा नेता सिद्धार्थ मलैया ने पिता जयंत मलैया की जीत के बाद आयोजित आभार सभा में कहा कि अगर लाड़ली बहना योजना नहीं आती, तब भी दमोह में बीजेपी ही जीतती. इसके अलावा उन्होंने पिछले साल हुए नगरीय निकाय का चुनाव लड़ने की बातों का भी जिक्र किया.

दमोह।अपनी बेबाकी के लिए मशहूर पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया का एक बयान अब सुर्खियां बटोर रहा है. दरअसल, यह बयान उस समय आया, जब जयंत मलैया की रिकार्ड मतों से जीत के बाद स्थानीय उमा मिस्त्री की तलैया में आभार सभा आयोजित की गई. सिद्धार्थ ने कहा कि जिनको सोशल मीडिया पर फेसबुक पर राजनीति करना है करें. सब की राजनीति धरी की धरी रह गई. 51 हजार मतों से जीते हैं हम. 1 लाख 11 हजार से अधिक मत पाए हैं हमने. क्योंकि जनता से पाए हैं ये वोट.

हम जनता के बीच रहते हैं :उन्होंने कहा कि लाड़ली बहना योजना 6 महीने पहले शुरू हुई. यदि लाड़ली बहना योजना शुरू नहीं भी होती, तब भी हम चुनाव जीतते और डंके की चोट पर चुनाव जीते. क्योंकि 365 दिन हम जनता के बीच में है. सिद्धार्थ ने अपने लंबे भाषण में उस दर्द को भी बयां किया जो 2018 में चुनाव हारने और 2021 में हुए उप चुनाव में पार्टी से हाशिए पर चले जाने दौरान उन्होंने महसूस किया. सिद्धार्थ ने कहा यह विरोधाभास क्यों है ? ऐसा कौन है जो मोदी जी को अपना आदर्श नहीं मानता है. ऐसा कौन है जो भाजपा की विचारधारा से अलग हो.

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पिछली घटनाओं का किया जिक्र :उन्होंने कहा कि जिस पार्टी में हम 52 साल रहे. नगरीय निकाय चुनाव सामने थे. लेकिन जब उस पार्टी में हमें स्थान नहीं मिला, हम राजनीति करना चाहते थे एक अच्छी राजनीति करना चाहते थे. धोखा नहीं किया. पीठ में छुरा नहीं घोंपा हमने. किसी दूसरी पार्टी का हाथ नहीं थामा, हम निर्दलीय खड़े रहे. हारना मंजूर था, अपने विचार से अलग होना मंजूर नहीं था. न तब और न अब. लोग बात करते हैं बाय इलेक्शन में आपने क्या किया? लोगों की आंखों में आंखें डालकर कहता हूं मेरी अभिलाषा थी कि पार्टी मुझे चुनाव का प्रभारी बनाए. उस उपचुनाव को हम जीतें, पर वैसा नहीं हुआ. पहले नहीं कहा पर आज इस मंच से कह रहा हूं. 15 दिन तक हम घर में बैठे रहे. हमें कोई काम नहीं दिया.

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