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MP Assembly Monsoon Session: विधानसभा की हंगामेदार शुरुआत, सीधी कांड पर चर्चा को अड़ा विपक्ष, पहले दिन डेढ़ घंटे चला सदन

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Published : Jul 11, 2023, 4:21 PM IST

मध्यप्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र का आज पहला दिन काफी हंगामेदार रहा. कांग्रेस ने सदन में सीधी पेशाब कांड पर चर्चा कराने की मांग, लेकिन सरकार ने इस पर इंकार कर दिया. जिसके बाद विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया.

MP Assembly Monsoon Session
एमपी विधानसभा का मॉनसून सत्र 2023

सीधी कांड पर बात करने अड़ा विपक्ष

भोपाल। 15वीं विधानसभा के आखिरी सत्र का पहला दिन हंगामेदार रहा. सीधी के पेशाब कांड को लेकर कांग्रेस ने स्थगन पर चर्चा कराए जाने की सदन से मांग की, लेकिन जब सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई तो कांग्रेस विधायकों ने सदन में हंगामा शुरू कर दिया. कांग्रेस ने सदन में सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. उधर हंगामे के चलते पहले विधानसभा की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित हुई, लेकिन जब उसके बाद भी विपक्ष का हंगामा खत्म नहीं हुआ तो सरकार ने पहले दिन का निर्धारित काम निपटाया और उसके बाद सदन की कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गई.

कांग्रेस ने लगाया आरोप चर्चा से भाग रही सरकार:विधानसभा के पहले दिन शून्य काल में विधानसभा नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने विधानसभा में सीधी की घटना के मामले में स्थगन पर चर्चा कराए जाने की मांग की. इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ खड़े हुए और उन्होंने कहा कि "इस घटना से मध्यपदेश पूरे देश में कलंकित हुआ है. मध्यप्रदेश में दो करोड़ आदिवासी हैं. आदिवासियों के साथ होने वाली अधिकांश घटनाएं सामने ही नहीं आ पाती." हालांकि संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कमलनाथ को बीच में ही रोकते हुए आपत्ति जताते हुए कहा कि जब नेता प्रतिपक्ष स्थगन का अपना प्रस्ताव रख चुके हैं तो फिर उसी मुद्दे पर सदन में भाषण देना का क्या मतलब है. इसके बाद कांग्रेस के कई विधायक खड़े हुए और इस मामले पर चर्चा कराने की मांग करने लगे. पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि "कार्य मंत्रणा समिति में जब आदिवासी के मुद्दे पर स्थगन पर चर्चा की बात हो चुकी है तो फिर सरकार इससे पीछे क्यों हट रही है. आदिवासियों के साथ हो रही घटनाओं पर चर्चा कराए जाने की मांग को लेकर विपक्ष ने सदन में हंगामा शुरू कर दिया. हंगामा बढ़ते देख सदन की कार्यवाही पहले 10 मिनट के लिए और उसके बाद बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गई.

सरकार बोली सदन को राजनीति का मंच बना रही कांग्रेस: सदन के बाहर कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार आदिवासियों के साथ हो रहे अपराधों जैसे गंभीर विषय पर भी चर्चा कराने को तैयार नहीं है. आखिर ऐसे मुद्दों पर सदन में चर्चा नहीं होगी तो फिर इस पर कहां चर्चा होगी. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने "आरोप लगाया कि सरकार इस मुद्दे को लेकर गंभीर ही नहीं है. जबकि आदिवासियों के साथ हर रोज अपराधिक घटनाएं घट रही हैं. प्रदेश की कानून व्यवस्था चौपट हो गई है. इस मुद्दे पर स्थगन पर चर्चा कराए जाने की मांग लगातार जारी रहेगी." पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल ने आरोप लगाया कि "आदिवासियों के साथ सिर्फ बीजेपी नेता ही नहीं बल्कि अधिकारी भी दुराचार कर रहे हैं. ऐसी ही एक घटना झाबुआ में सामने आई है. इस मुद्दे पर सरकार को सदन में चर्चा करनी चाहिए. उधर संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि "विपक्ष सदन का इस्तेमाल अपनी राजनीति चमकाने के लिए कर रहा है. सदन जनता की समस्याएं उठाने के लिए होता है, लेकिन विपक्ष ऐसी राजनीतिक मंच के रूप में उपयोग कर रहा है. जिस मुद्दे को लेकर विपक्ष चर्चा की मांग कर रही है. उस पर सरकार पहले ही सख्त कदम उठा चुकी है."

विपक्ष पर बोले नरोत्तम मिश्रा

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वंदे मातरम गीत के अपमान का आरोप: उधर इससे पहले विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस ने झाबुआ की आदिवासी घटना का मुद्दा उठाया. उधर सत्ता पक्ष ने आरोप लगाया कि कांग्रेस वंदे मातरम गीत का भी अपमान कर रही है. सदन की परंपरा है कि सदन की कार्यवाही की शुरुआत वंदे मातरम से होगी, लेकिन विपक्ष उसके पहले ही हंगामा करने लगा. विधानसभा अध्यक्ष ने भी इसको लेकर दुख जताया. सदन में विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा कि विधानसभा की परंपरा के अनुसार वंदे मातरम की सूचना के बाद सभी को अपने स्थान पर खड़े हो जाना चाहिए था, लेकिन विपक्ष हंगामा करता रहा, यह बेहद दुखद है. कांग्रेस के सीनियर विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि विपक्ष ने परंपराओं का उल्लंघन नहीं किया, क्योंकि जब कांग्रेस ने अपनी बात उठाई उस वक्त वंदे मातरम गीत प्रारंभ नहीं हुआ था.

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