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भिंड व्यापार मेला: गुलजार रहने वाला मेला क्यों पड़ा है सूना, जानिए आखिर क्यों घट रही मेले में लोगों की रुचि

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Published : Apr 25, 2022, 11:55 AM IST

कोरोना की वजह से दो साल बाद एक बार फिर भिंड में व्यापार मेला (Bhind trade fair 2022) लगाया गया. दूर-दूर से व्यापारी दुकानें लेकर आये, लेकिन मेले में सैलानियों की रौनक नजर नहीं आई.व्यापार मेला में हर साल करीब 400 दुकानें सजा करती थी. इस बार व्यापार मेला में 50 फीसदी दुकानें खाली. महंगाई की वजह से मेला व्यापारी और सैलानी दोनों ही इससे पीड़ित हैं. नगर पालिका की सुविधाओं की कमी इसके पीछे बड़ी वजह बताई जा रही है. Bhind trade fair 2022people interest decreasing .

Bhind trade fair 2022
भिंड व्यापार मेले में नहीं दिखी भीड़

भिंड।इस बार 15 अप्रैल को भिंड व्यापार मेला का आधिकारिक शुभारंभ किया गया. मेला उद्घाटन के अवसर पर मुख्य रूप से सहकारिता मंत्री डॉ.अरविंद सिंह भदौरिया (Cooperation Minister Dr. Arvind Singh Bhadauria) पहुंचे थे. देश के प्रख्यात कवि (Dr Kumar Vishvas) कुमार विश्वास ने मेला परिसर के निराला रंग विहार में अपने काव्य पाठ से श्रोता, दर्शकों और सैलानियों को मंत्रमुग्ध और आनंदमय किया था. उम्मीद थी कि इस बार का मेला (Bhind trade fair 2022) दो साल बाद लगा है तो देखने वालों की भीड़ जुटेगी, लेकिन व्यापारियों की उम्मीदें कुछ दिनों के माहौल में हवा हो गई. नगर पालिका प्रशासन की व्यवस्थाओं की कमी कहे या लोगों में रुचि की कमी इस बार मेले में भीड़ दिखाई नहीं दे रही है.

भिंड व्यापार मेला

व्यापार मेला में नहीं दिखी भीड़ :एक समय था जब पूरे साल लोगों को व्यापार मेला लगने का इंतजार रहता था. जनवरी के महीने में ग्वालियर व्यापार मेला खत्म होते ही मेला व्यापारी भिंड मेला ग्राउंड में अपनी दुकानें सजाते थे. पूरे जिले के लोग करीब महीने भर लगने वाले मेले में समय निकालकर मेला घूमने जाते थे. दो साल बाद एक बार फिर भिंड में व्यापार मेला (Bhind trade fair 2022) लगाया गया. दूर-दूर से व्यापारी इस बार भी दुकानें लेकर आये, लेकिन मेले में सैलानियों की रौनक नजर नहीं आ रही है.

भिंड व्यापार मेला नहीं दिखी भीड़

खाली पड़ी दुकानें: व्यापार मेला में प्रतिवर्ष करीब 400 दुकानें सजा करती थी, लेकिन इस बार 50 फीसदी दुकानें खाली पड़ी हैं. मेला का पार्क एरिया कश्मीरी दुकानों से सजा करता था, जहां सैलानी कभी हिमाचल और कश्मीर से आये व्यापारियों से कंबल, चादर और अन्य कपड़े खरीदा करते थे. लेकिन इस बार यहां एक भी ऐसे दुकान नहीं सजे हुए दिखाई दे रहे हैं. इस साल कोई भी हैंडलूम व्यापारी इस मेले में नहीं दिखाई दिया. इनमें लगभग सभी दुकानें खाली पड़ी है. कुछ ही दुकानें किराए पर दी गई है.

भिंड व्यापार मेला

बेरंग हुआ झूला सेक्टर:मेले में लोहे की चादर से बने समान की खासी डिमांड रहती थी. ग्रामीण अंचल से आने वाले सैलानी मेले के इस सेक्टर से काफी समान की खरीदारी करते थे, लेकिन इस बार कुछ दुकानें ही नजर आई जो लोकल व्यपारियों की थी. वहीं हर मेले के आकर्षण का केंद्र रहने वाला झूला सेक्टर भी लगाया था, लेकिन उनके संख्या में भी काफी कमी दिखाई दी. जो सेक्टर कभी दर्जनों झूलों से सजा और सैलानियों से भरा होता था, वहां आज न तो नया झूला है और न ही झूलने वाले सैलानी. पूरा झूला सेक्टर बेरंग नजर आ रहा है.

व्यापार मेला ग्राउंड में लगा गंदगी का अंबार, बदबू और गंदगी में रहने को मजबूर मेला व्यापारी

खर्च निकालना तक हो रहा मुश्किल:उत्तर प्रदेश के औरैया से आए मेले में खेल उपकरण और खिलौनों की दुकान लगाने वाले एक व्यापारी का कहना था कि, इस बार मेला पूरी तरह ठप हो गया है.व्यापारी सुबह से शाम तक बैठे रहते हैं, लेकिन ग्राहक दुकानों पर दिखाई नहीं देते हैं और जो आते भी हैं वे चीजों के दामों को बेहद कम करना चाहते हैं. ऐसे में उन्हें समान बेचा भी कैसे जाए. दुकान में 4 कर्मचारी लगाए हैं उनकी तनख्वाह दुकान का खर्चा तक इससे नहीं निकल रहा है. इस गर्मी में सैलानी मेला घूमने नहीं आ रहे हैं. इस साल का मेला सिर्फ शाम के दो घंटे ही चल रहा है. पूरा सीजन खराब हो गया है. वहीं ग्वालियर से कपड़ों की दुकान लेकर आए एक व्यापारी से बात करने पर उसने बताया कि भिंड में मेला शुरू हो गया, लेकिन ग्राहकी पहले जितनी नहीं है. कोरोना की वजह से लोग ज्यादा बाहर नहीं निकल रहे हैं. मेले में अभी ज्यादा रुचि लोगों की नहीं दिख रही है. हालांकि उसने आने वाले दिनों में सैलानियों के बढ़ने की उम्मीद जताई है.

भिंड व्यापार मेले में नहीं दिखी भीड़

आइसक्रीम की तरह पिघल रही व्यापारियों की उम्मीद:हर एक व्यापार मेले में दुकानों के अलावा सॉफ्ट आइसक्रीम मेलों में प्रमुख आकर्षण होती हैं. इसी वजह से मेले में कई दुकानदार सॉफ्टी के काउंटर लगाते हैं, लेकिन इस साल लगे मेले में ज्यादातर सॉफ्टी की दुकानें ग्राहकों से खाली नजर आ रही है. मेले में सालों से सॉफ्टी की दुकान लगा रहे व्यापारी दीपक गुप्ता कहते है इस बार मेला बहुत हल्का है. गर्मी की वजह से लोग मेले में नहीं आ रहे हैं. व्यापारी का कहना है कि बीते चार से 5 सालों में लोगों में मेला घूमने की रुचि कम हुई है. इसकी वजह से व्यापार भी प्रभावित हुआ है. पहले मेले में मुनाफा होता था लेकिन अब मेहनत ज्यादा लगती है और मुनाफा कम होता है.

खत्म हो रहा मेलों में 'नयापन':अब सवाल उठता है कि आखिर जिन व्यापार मेलों में लोग उत्साह के साथ पहुंचते थे, उनमें क्यों रुचि कम हो रही है. इसके पीछे कई वजह बताई जा रही है. इनमें से सबसे पहली वजह है महंगाई. वैसे तो महंगाई ने हर वर्ग और सेक्टर पर असर डाला है लेकिन मेला व्यापारी और सैलानी दोनों को ही इससे पीड़ित हैं. जहां मेला व्यापारी लगातार सामान की ढुलाई एक शहर से दूसरे शहर करते हैं, ऐसे में सामान की कीमत और ट्रांसपोर्टेशन का खर्च बढ़ जाता है. घाटा न हो इसके लिए सामान की कीमत उनके हिसाब से तय की जाती है. जबकि अक्सर बाजार में वह चीज कम दाम में मिल जाती है.

समय की कमी, सामान की उपलब्धता:दूसरी बड़ी वजह है सामान की उपलब्धता. पुराने दौर में लोग मेले में इसलिए भी जाना पसंद करते थे क्योंकि यहां मिलने वाला सामान अलग-अलग जगहों से प्रदेशों से आता था. ऐसे लोगों को हमेशा कुछ नया देखने को मिलता था, लेकिन ऑनलाइन मार्केट के साथ ही बाजार में भी ऐसी चीजें डिमांड में आने लगी है जिसके चलते बाजार व्यापारी उन जगहों से सीधा सामान खरीद कर ग्राहकों को उपलब्ध कराने लगे हैं. इसकी वजह से मेलों में नयापन नहीं रह गया है. नगर पालिका की प्रचार प्रसार और सुविधाओं की कमी भी इसके पीछे बड़ी वजह बताई जा रही है. भिंड में लगने वाला मेला पहले जनवरी माह में लगता था, लेकिन इस बार भीषण गर्मी में लगाया गया है. ऐसे में लोग मेला तक पहुंचने की भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. वहीं समय की कमी भी भीड़ ना होने की बड़ी कमी बताई जा रही है. आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास समय की अत्यधिक कमी हो गयी है, लोग ऑफिस नौकरी के चलते अपने परिवार को ही कई बार समय नहीं दे पाते हैं. ऐसे में मेला जाने के लिए लोगों के पास ज्यादा समय नहीं बचता है.

नगर पालिका पर आरोप:व्यापार मेले की स्थिति को लेकर मेला दुकानदार कल्याण समिति के अध्यक्ष बलवीर खटीक से ईटीवी ने बात की. भीड़ कमी के लिए उन्होंने नगर पालिका को जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि पहले कोरोना की वजह से व्यापारी आर्थिक तौर पर टूट गए थे, ऐसे में बजाए व्यापारियों को बढ़ावा देने के नगर पालिका ने दुकानों का किराया दोगुना कर दिया. आधी अधूरी तैयारी के साथ मेला शुरू कराया गया इसकी वजह से ज्यादातर दुकाने भर नहीं पाई. नपा अधिकारी किसी तरह की सुविधाएं नहीं दे रही है. यही वजह है कि बीते कुछ सालों में मेला घूमने वाले सैलानी भी सुविधाओं का अभाव देखते हुए मेले से बेरुख होने लगे हैं. Bhind trade fair 2022people interest decreasing

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