मध्य प्रदेश

madhya pradesh

PM Modi visit MPकुपोषण के लिए बदनाम श्योपुर जाने वाले पहले PM होंगे मोदी, अफ्रीकन चीते दिलाएंगे जिले को नई पहचान

By

Published : Sep 12, 2022, 5:46 PM IST

25 मई 1998 को श्योपुर को मुरैना जिले से अलग करके अलग जिला घोषित किया गया था. तब से अभी तक इस जिले में देश का कोई भी प्रधानमंत्री नहीं पहुंचा है. यही वजह है कि पहली बार जब देश के प्रधानमंत्री के यहां आने को लेकर जिले के लोगों में काफी उत्साह है. इससे भी खास बात यह है कि प्रधानमंत्री अपने साथ ऐसी सौगात ला रहे हैं जिससे पूरे जिले की पहचान विश्व पटल पर एक नई पहचान स्थापित होगी. MP Cheetah Project ,PM Modi visit MP, AFRICAN CHEETAHS IN KUNO, CHEETA PROJECT INAUGURATION PM modi

PM Modi visit MP
कुनो आएंगे पीएम मोदी

ग्वालियर। एमपी मेंचंबल अंचल का आदिवासी बाहुल्य जिला श्योपुर विश्व पटल पर अनपी नई पहचान बनाने जा रहा है. देश में 70 साल बाद मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो अभ्यारण्य में चीते आ रहे हैं. नामीबिया से लाए जा रहे इन चीतों के स्वागत के लिए खुद पीएम नरेंद्र मोदी यहां हैं. ऐसे में देशभर के लोग जहां अफ्रीकन चीतों के आने से खुश हैं वहीं श्योपुर के लोगों को ज्यादा खुशी इस बात की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां आ रहे हैं. जिले के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब देश का कोई प्रधानमंत्री श्योपुर पहुंच रहा है.

मोदी देंगे नई पहचान:25 मई 1998 को श्योपुर को मुरैना जिले से अलग करके अलग जिला घोषित किया गया था. तब से अभी तक इस जिले में देश का कोई भी प्रधानमंत्री नहीं पहुंचा है. यही वजह है कि पहली बार जब देश के प्रधानमंत्री के यहां आने को लेकर जिले के लोगों में काफी उत्साह है. स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह पूरे जिले वासियों के लिए गर्व का क्षण है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार यहां आ रहे हैं. इससे भी खास बात यह है कि प्रधानमंत्री अपने साथ ऐसी सौगात ला रहे हैं जिससे पूरे जिले की पहचान विश्व पटल पर एक नई पहचान स्थापित होगी. 70 साल बाद चीतों के भारत आने से जिला पर्यटन का नया हब बनेगा. जिससे स्थानीय लोगों को आय के साधन मौजूद होंगे.

PM Modi visit MP अपने जन्मदिन पर 17 सितंबर को MP आएंगे पीएम मोदी, चीता प्रोजेक्ट का करेंगे उद्घाटन

सीएम शिवराज रख रहे हैं प्रोजेक्ट पर नजर: मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो अभ्यारण में 70 साल बाद चीतों की आवाज गूंजेगी. 17 सितंबर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कूनो अभ्यारण पहुंचेंगे. यहां वे अफ्रीकन देश नामीबिया से लाए जा रहे 8 अफ्रीकन चीतों को उनके नए घर कूनो पालपुर अभ्यारण्य में बनाए गए विशेष बाड़े में छोड़ेंगे. 70 साल बाद देश में आ रहे चीतों के स्वागत के लिए भव्य तैयारियां चल रही हैं. जिनकी निगरानी खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान कर रहे हैं. वन मंत्री विजय शाह के अलावा सरकार के अन्य मंत्री भी वहां पहुंच रहे हैं.

चीते बदलेंगे श्योपुर की पहचान:बता दें कि मध्य प्रदेश के चंबल इलाके का यह सीमावर्ती जिला है. श्योपुर जिले की सीमा राजस्थान से लगती है. आदिवासी बहुल और प्रदेश का पिछड़ा इलाका माना जाना वाला अब तक कुपोषण के मामलों को लेकर चर्चा में रहा. मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा कुपोषण के मामले श्योपुर जिले से सामने आए हैं. इस जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या सबसे अधिक है यही वजह है कि कुपोषण से होने वाली मौतों को लेकर भी श्योपुर जिला देश भर में सुर्खियां में रहता है, हालांकि प्रदेश सरकार और स्थानीय समाजसेवी और सामाजिक संस्थाएं जिले से कुपोषण का दाग मिटाने के प्रयास कर रहे हैं. काफी हद तक इसमें सरकार को सफलता भी मिली है. अब चीतों के आने से श्योपुर के लोग काफी उत्साहित हैं. लोगों का कहना है कि चीतों के आने से जिले को नई पहचान मिलेगी. जिससे आने वाले समय में पर्यटन, रोजगार के मौके और जिले के लोगों को आय के अन्य साधन भी मिलेंगे. इससे जिले को नई पहचान तो मिलेगी ही साथ श्योपुर की तस्वीर भी बदलेगी.

कूनो को क्यों चुना:वन्यजीव विशेषज्ञ बताते हैं कि मध्यप्रदेश पूर्व में भी चीतों का रहवास रह चुका है. यहां के जंगल चीतों के रहने और वंशवृद्धि के अनुकूल हैं. मध्यप्रदेश का मौसम दक्षिण अफ्रीका के मौसम से बेहतर है. कूनो में चीतों के पानी पीने के लिए कूनो नदी है. शिकार के लिए जंगलों में भरपूर संख्या में चीतल हैं. विशेषज्ञों को पूरी उम्मीद है कि अफ्रीका से आने वाले चीते यहां के जंगल में जल्द एडजस्ट हो जाएंगे.

अभ्यारण्य और नेशनल पार्क में यह है अंतर:

वन्यजीव अभयारण्य-ऐसा स्थान जो विशेष रूप से वन्यजीवों के उपयोग के लिए आरक्षित होता है. जिसमें पशु, सरीसृप, कीड़े, पक्षी आदि शामिल हैं. यह निवास स्थान वन्यजीवो को सुरक्षित और स्वस्थ रहने की स्थिति प्रदान करता है. विशेष रूप से ऐसे जंगली जानवरों को जो लुप्तप्राय और दुर्लभ वन्य प्राणियों में शामिल हैं. अभ्यारण्य में वे अपने पूरे जीवन के लिए शांति से रह सकें और अपना व्यवहार और आबादी को बनाए रख सकें. अभ्यारण्य के प्रबंधन के लिए, रेंजर और फोरेस्ट गार्ड को इस क्षेत्र में गश्त के लिए नियुक्त किया जाता है. जो अवैध शिकार, शिकार या उत्पीड़न से जानवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं.

नेशनल पार्क (राष्ट्रीय उद्यान)-राष्ट्रीय उद्यान का अर्थ है एक ऐसा क्षेत्र जो विशेष रूप से वन्यजीव और जैव विविधता के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा प्राकृतिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के कारण नॉमिनेट किया जाता है. यह विभिन्न जीव प्रजातियों के लाखों जानवरों, पक्षियों, कीटों, सूक्ष्मजीवों आदि का घर होता है, जो उन्हें एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण प्रदान करता है.राष्ट्रीय उद्यान, न केवल वन्यजीवों का संरक्षण करते हैं, बल्कि पर्यावरण और प्राकृतिक विरासत को देखने आने वाले पर्यटकों को मनोरंजन भी प्रदान करते हैं. उन तरीकों के जरिए जो जानवरों को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, ताकि भविष्य की पीढ़ियों को आनंद प्रदान किया जा सके. नेशनल पार्क एरिया में वृक्षारोपण, खेती, चराई, शिकार और जानवरों का शिकार, फूलों का विनाश प्रतिबंधित होता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details