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करनाल लघु सचिवालय पर ग्रामीणों का धरना, मांगें पूरी नहीं होने पर आमरण अनशन की चेतावनी

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Published : Jan 7, 2023, 9:14 PM IST

चौटाला गांव के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बदहाल व्यवस्था को लेकर लगातार ग्रामीणों का सरकार के खिलाफ रोष (poor condition of haryana government hospital) जारी है. चौटाला गांव के ग्रामीण सरकार तक अपनी मांगों को पहुंचाने के लिए अब करनाल के जिला सचिवालय के बाहर धरने पर बैठ गए हैं.

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Villagers protest in Karnal : करनाल लघु सचिवालय पर चौटाला के ग्रामीणों का धरना, मांगें पूरी नहीं होने पर आमरण अनशन की दी चेतावनी

सीएचसी में बदहाल व्यवस्था को लेकर चौटाला के ग्रामीण धरने पर बैठे हैं.

करनाल: सिरसा जिले के चौटाला गांव के लोग (Chautala Villagers protest in Karnal) अपनी मांगों को लेकर जिला सचिवालय के बाहर जबरदस्त ठंड के बावजूद खुले आसमान के नीचे धरने पर बैठे हुए हैं. इन्हें धरना देते शनिवार को तीन दिन हो गए हैं. सरकार की बेरुखी से नाराज ग्रामीणों (Villagers protest in Karnal) ने कहा कि अगर सरकार ने हमारी बात नहीं मानी, तो एक बार फिर वे सीएम आवास का घेराव करेंगे. साथ ही उन्होंने धरने को आमरण अनशन में बदलने की चेतावनी भी दी.

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि इस दौरान किसी व्यक्ति के साथ कोई अनहोनी होती है तो इसके लिए सरकार जवाबदेह होगी. धरना स्थल पर बैठी पूनम गोदारा का कहना है कि वह लगातार 21 दिनों से सामुदायिक केंद्र में धरने पर बैठे रहे. ग्रामीणों के साथ ही उसमें व्यापारी वर्ग भी शामिल हुआ. ग्रामीणों ने सड़कों पर प्रदर्शन किया और 3 बार राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम भी किया. इसके बावजूद उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया. इस पर ग्रामीणों ने 21 दिसम्बर को करनाल के लिए कूच किया था. वह 12 दिन से पैदल चल कर करनाल पहुंचे थे.

करनाल लघु सचिवालय पर चौटाला के ग्रामीणों का धरना.

पूनम गोदारा का कहना है कि मुख्यमंत्री आवास के पास प्रदर्शन करने के बाद मुख्यमंत्री के विधानसभा प्रतिनिधि संजय बठला ने भरोसा दिलाया था कि इस संदर्भ में तीन जनवरी की शाम तक मुख्यमंत्री से बात कराएंगे. इसके बाद 4 जनवरी दोपहर तक उनकी ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं आया. जबकि संजय बठला ने बताया था कि इस मामले को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया गया है. चौटाला गांव के ग्रामीणों के धरने में बच्चे और बुजुर्ग भी बैठे हैं.

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8 साल की छोटी बच्ची अवनी ने कहा कि चौटाला गांव सामुदायिक केंद्र में पिछले दो महीने में चार नवराज बच्चों की गर्भ में ही मौत हुई है. अगर यह बच्चे जिंदा रहते तो बड़े होकर जरूर कुछ बनते और गांव का निर्माण होता. लेकिन गांव में डॉक्टर के नहीं होने से उनकी मौत हो गई. अवनी ने कहा कि जब सरकार अस्पताल में डॉक्टर की नियुक्ति नहीं कर सकती, तो अस्पताल बनाने की क्या आवश्यकता है. अवनी ने सरकार से गांव चौटाला के ग्रामीणों की मांग पूरी करने की गुहार लगाई है.

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यह हैं ग्रामीणों की मांगें:चौटाला गांव के उप सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सहित जिलेभर में 400 से अधिक नवजात व शिशुओं की गर्भ में हुई मौत के मामलों की निष्पक्ष जांच कराई जाए. गांव के उप सामुदायिक केंद्र में प्रसूति रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति की जाए. इसके साथ ही एमबीबीएस डॉक्टरों के रिक्त पदों को भी जल्द भरा जाए. ग्रामीणों ने अस्पताल में लैब टेक्नीशियन, रेडियोग्राफर लगाने सहित ऑपरेशन थिएटर व मोर्चरी का पुन:​ निर्माण कराने की मांग की है.

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