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कर्तव्य पथ पर देश-दुनिया को गीता के शाश्वत संदेश से रूबरू करवाएगी हरियाणा की झांकी

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Published : Jan 22, 2023, 10:25 PM IST

International Geeta Mahotsav theme of Haryana Tableau
कर्तव्य पथ पर हरियाणा की झांकी

गणतंत्र दिवस समारोह में इस बार 26 जनवरी को कर्तव्य पथ पर हरियाणा की झांकी के माध्यम से पूरी दुनिया श्रीमद्भगवद्गीता के शाश्वत संदेश (International Geeta Mahotsav theme of Haryana Tableau) को देखेगी. लगातार दूसरी बार हरियाणा की झांका का चयम हुआ है जिसका थीम इस बार अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव रखा गया है. पिछली बार हरियाणा की झांकी खेलों में नंबर वन हरियाणा थीम पर दिखाई दी थी.

26 जनवरी को कर्तव्य पथ पर हरियाणा की झांकी.

चंडीगढ़: गणतंत्र दिवस 2023 समारोह में इस बार 26 जनवरी को कर्तव्य पथ पर हरियाणा की झांकी के माध्यम से पूरी दुनिया श्रीमद्भगवद्गीता के शाश्वत संदेश से रू-ब-रू होगी. इस वर्ष कर्तव्य पथ पर प्रदर्शन के लिए लगातार दूसरी बार हरियाणा की झांकी का चयन रक्षा मंत्रालय की विषेशज्ञ कमेटी द्वारा किया गया है. जिसका थीम है अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव. इस झांकी के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण के विराट स्वरूप के भी दर्शन होंगे.

रक्षा मंत्रालय ने हरियाणा झांकी का किया चयन: मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव तथा सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के महानिदेशक डॉ. अमित अग्रवाल ने बताया कि भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञ कमेटी द्वारा प्रतिवर्ष राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों व मंत्रालयों की झांकियों के चयन की प्रक्रिया नवंबर माह में शुरू की जाती है. जिसमें सभी राज्य, केंद्र शासित प्रदेश व मंत्रालय अपने-अपने थीम की प्रस्तुति देते हैं. विशेषज्ञ कमेटी द्वारा थीम की प्रासंगिकता व उपादेयता के आधार पर चरणबद्ध तरीके से झांकियों का चयन किया जाता है.

जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के महानिदेशक डॉ. अमित अग्रवाल ने दी जानकारी

खेलों में नबंर वन हरियाणा भी रह चुकी है थीम: पिछले वर्ष भी खेलों में नंबर वन हरियाणा की थीम पर आधारित झांकी के माध्यम से हरियाणा की खेल उपलब्धियों को सशक्त तरीके से देश-दुनिया के सामने प्रस्तुत किया गया था. उन्होंने बताया कि कुरुक्षेत्र को दुनिया के सबसे प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक के रूप में जाना जाता है. यहां पवित्र नदी सरस्वती के तट पर वेदों और पुराणों की रचना हुई. लगभग 5159 वर्ष पहले महाभारत युद्ध के पहले दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का शाश्वत संदेश दिया.

विश्वभर में प्रसिद्ध गीता महोत्सव:इसलिए कुरुक्षेत्र की पहचान गीता के जन्म स्थल के रूप में होती है. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब वर्ष 2014 में कुरुक्षेत्र आए थे, तो उन्होंने कहा था कि कुरुक्षेत्र को गीता स्थली के रूप में पहचान दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किये जायेंगे. उनकी इसी सोच को मूर्त रूप देते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अगुआई में गीता स्थली को न केवल अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई जा रही है, अपितु देश के साथ-साथ विदेशों में भी अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन इसी कड़ी के तहत किया गया है.

कर्तव्य पथ पर हरियाणा की झांकी होगी शानदार

विदेशों में भी मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव: उन्होंने बताया कि गीता के अमर संदेश की जयंती की वर्षगांठ को कुरुक्षेत्र में हर साल अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के रूप में मनाया जाता है. 18 दिनों तक चलने वाले अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का उद्देश्य श्रीमद्भगवद्गीता के वैश्विक व प्रेरणादायक संदेश का प्रसार करना और दुनिया को शांति, सद्भाव तथा सार्वभौमिक भाईचारे के संदेश से आलोकित करना है. डॉ. अग्रवाल ने बताया कि वर्ष 2018 में हरियाणा सरकार ने दुनिया के अन्य हिस्सों में गीता के सनातन संदेश को फैलाने के उद्देश्य से अन्य देशों में भी अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव मनाने का निर्णय लिया और वर्ष 2019 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव मॉरीशस व लंदन में आयोजित किया गया. वर्ष 2022 में कनाडा में भी अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव मनाया गया.

पूरी दुनिया को मिला गीता का संदेश: डॉ. अग्रवाल ने बताया कि गणतंत्र दिवस परेड में हरियाणा की झांकी पर प्रस्तुत गीता का संदेश मानवजाति के लिए सबसे बड़ी बौद्धिक देन है. कर्म का यह शाश्वत संदेश पूरी मानवता के लिए अनुकरणीय है. उन्होंने बताया कि झांकी में भगवान श्रीकृष्ण को अर्जुन के सारथी के रूप में सेवा करते हुए और उन्हें गीता का ज्ञान देते हुए दिखाया गया है. झांकी की पहली झलक आध्यात्मिकता, कला और इतिहास के दर्शन कराती है. ट्रैक्टर खंड की शुरुआत में भगवान श्रीकृष्ण के 'विराट स्वरूप' के दर्शन होते हैं. जैसा कि युद्ध भूमि पर उन्होंने अर्जुन के सामने प्रदर्शित किया था.

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विभिन्न रूप में प्रभु को दर्शाया:विराट स्वरूप की प्रदर्शित प्रतिमा में श्री विष्णु के 9 सिर क्रमशः अग्नि, नृसिंह, गणेश, शिव, विष्णु, ब्रह्मा, अश्विनी कुमार, हनुमान और परशुराम दिखाए गए हैं. दिव्य सर्प सिर ढके हुए हैं. श्री विष्णु दाहिने हाथ में तलवार, त्रिशूल, कमल, सुदर्शन चक्र और बाएं हाथ में शंख, बरछा, धनुष, नाग, गदा आदि लिए हुए हैं. नीचे का पूरा भाग शेषनाग व लहरों को गोलाकार आकार दिया गया है.

महाभारत के युद्ध की विभिन्न झांकियां: ट्रेलर अनुभाग में पीछे की ओर कुरुक्षेत्र युद्ध क्षेत्र में चार घोड़ों के साथ एक भव्य रथ बनाया गया है. रथ, घोड़ों और सभी तत्वों को गहन विवरण के साथ दर्शाया गया है. अर्जुन और श्रीकृष्ण के रथ पर सवार मूर्तियों को रंगीन बनाया गया है, जबकि ट्रेलर के बाकी हिस्से को एक ही पार्थिव छाया में बनाया गया है. झांकी में घोड़ों से लेकर रथ तक और यहां तक कि जमीन की धूल भी, हर एक विवरण स्पष्ट रूप से दिखाई देता है. ट्रेलर के किनारों पर बना पैटर्न महाभारत युद्ध के विभिन्न दृश्यों को दर्शाता है.

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