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सरकार पर खतरे के बीच सीएम नायब सैनी ने बुलाई कैबिनेट मीटिंग, विधानसभा सत्र बुलाने पर भी हो सकता है मंथन - Haryana Cabinet Meeting

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : May 10, 2024, 10:53 PM IST

Haryana Cabinet Meeting: क्या हरियाणा में बीजेपी सरकार फ्लोर टेस्ट होगा. क्या नायब सैनी सरकार गिर जायेगी. हरियाणा के सियासी गलियारे में इस समय यही सवाल घूम रहे हैं. इस बीच सीएम नायब सैनी ने हरियाणा कैबिनेट की बैठक बुलाई है, जो काफी अहम मानी जा रही है.
Haryana Cabinet Meeting
मुख्यमंत्री नायब सैनी (फाइल फोटो)

चंडीगढ़: हरियाणा में सरकार पर मंडरा रहे खतरे के बीच मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कैबिनेट की बैठक बुलाई है. ये बैठक 15 मई को होगी. सरकार के अल्पमत में होने के विपक्ष के दावे और फ्लोर टेस्ट की मांग के बीच ये बैठक काफी अहम मानी जा रही है. अब तक सभी विपक्षी दल और चार निर्दलीय विधायक सरकार के फ्लोर टेस्ट की मांग के लिए राज्यपाल को खत लिख चुके हैं.

माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री नायब सैनी के कैबिनेट की इस बैठक में विधानसभा का सत्र बुलाने को लेकर भी चर्चा कर सकते हैं. क्योंकि प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस समेत, जेजेपी, इनेलो और निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने भी सरकार के फ्लोर टेस्ट की मांग की है. इसी सिलसिले में 10 मई को कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से मिलने गया था लेकिन उनके बाहर होने से ये मुलाकात नहीं हो पाई.

विधानसभा का सत्र बुला सकती है सरकार

एक चर्चा ये भी है कि बीजेपी सरकार नहीं चाहती कि अल्पमत में होने के विपक्ष के दावों को खारिज किए बिना लोकसभा चुनाव का सामना किया जाए. क्योंकि इसकी वजह से लोकसभा चुनाव बीजेपी के खिलाफ माहौल बन सकता है. इसी वजह से माना जा रहा है कि विधानसभा का सत्र बुलाकर सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने पर विचार कर सकती है.

बीजेपी का दावा- सरकार को कोई खतरा नहीं

बीजेपी लगातार दावा कर रही है कि उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है. शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा था कि विपक्ष अपनी गणित सुधार ले, सरकार के पास पूरे आंकड़े हैं. जेजेपी के कुछ विधायक भी बीजेपी के साथ बताये जा रहे हैं. हलांकि 3 निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापसी से सरकार पर खतरा मंडरा रहा है. बहुमत परीक्षण में सरकार तभी सफल हो सकती है जब उसे दूसरी पार्टी से आये विधायकों का समर्थन मिल सके.

हरियाणा में क्या है सियासी संकट?

दरअसल 7 मई को सरकार को समर्थन कर रहे 3 विधायकों ने समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया. बीजेपी के पास इस समय कुल 40 विधायक हैं जबकि 90 सदस्यों की विधानसभा में बहुमत के लिए 46 की संख्या चाहिए. मौजूदा समय में मनोहर लाल और रणजीत चौटाला के इस्तीफे के बाद कुल सदस्य संख्या 88 बचती है. उसके बावजूद सरकार को बहुमत के लिए कम से कम 45 विधायक चाहिए. लेकिन सरकार को केवल 2 निर्दलीय और एक HLP विधायक का समर्थन है. इस हिसाब से बीजेपी के पास कुल विधायकों की संख्या 43 हो रही है.

कैसे बच सकती है सरकार?

अगर 2 निर्दलीय और एक एचएलपी विधायक (गोपाल कांडा) सरकार को समर्थन देते रहें, तब भी नायब सैनी को अपनी सरकार बचाने के लिए कम से कम 2 और विधायकों का समर्थन चाहिए ताकि बहुमत की संख्या 45 पूरी हो सके. रणजीत चौटाला के इस्तीफे के बाद निर्दलीय विधायकों की संख्या अब 6 रह गई है, जिसमें से 4 निर्दलीय विधायक बीजेपी के विरोध में फ्लोर टेस्ट की मांग कर रहे हैं. इस हालत में अब बीजेपी को दूसरी पार्टी से बगावत करके आने वाले विधायकों का ही सहारा है.

बीजेपी सरकार के विरोध में कौन-कौन

सरकार के विरोध में इस समय कांग्रेस के 30 विधायक, जेजेपी के 10 विधायक, 4 निर्दलीय और एक इनेलो विधायक हैं. जिनकी कुल संख्या बहुमत के बराबर 45 होती है. कुल 88 सदस्यों में से 45 निकालकर 43 का आंकड़ा बचता है जो बीजेपी के पास है. फिलहाल जेजेपी के कुछ विधायक पार्टी से नाराज बताये जा रहे हैं. गुरुवार को कुछ विधायक पानीपत में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मिलने भी पहुंचे थे. इसलिए कयास लगाये जा रहे हैं कि जेजेपी के बागी विधायक विधायक नायब सैनी सरकार को समर्थन कर सकते हैं. यानि सरकार को सिर्फ बागियों का सहारा है.

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