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रैपिड रेल के लिए बन रही 6.5 मीटर चौड़ी टनल, देखिए मशीन से कैसे खुदती है सुरंग

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Published : Jul 7, 2022, 5:25 PM IST

गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर काम बहुत तेजी के साथ चल रहा है. मार्च 2023 में साहिबाबाद से दुहाई डिपो के बीच पांच स्टेशनों का प्रायोरिटी सेक्शन पर रैपिड रेल का संचालन शुरू हो जाएगा. 82 किमी लंबे आरआरटीएस कॉरिडोर के 68 किमी का एक बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश में आता है, जबकि 14 किमी का हिस्सा दिल्ली में है.

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गाजियाबाद रैपिड रेल की खबर

नई दिल्ली/गाजियाबाद : दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर काम तेजी के साथ चल रहा है. एनसीआरटीसी के मुताबिक मार्च 2023 में साहिबाबाद से दुहाई डिपो के बीच पांच स्टेशनों (साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई और दुहाई डिपो) का प्रायोरिटी सेक्शन पर रैपिड रेल का संचालन शुरू हो जाएगा. 82 किमी लंबे आरआरटीएस कॉरिडोर के 68 किमी का एक बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश में आता है, जबकि 14 किमी का हिस्सा दिल्ली में है. 17 किमी लंबे प्रायोरिटी सेक्शन में साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई आरआरटीएस स्टेशन और दुहाई डिपो हैं.

82 किलोमीटर लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर काम तेजी से चल रहा है. 14 हजार से अधिक कर्मचारी और 1100 से अधिक इंजीनियर दिन-रात निर्माण कार्य में लगे हुए हैं. निर्माण कार्य में आधुनिक मशीनों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. आरआरटीएस कॉरिडोर पर आनंद विहार स्टेशन से साहिबाबाद की दिशा में सुदर्शन (टनल बोरिंग मशीन) से टनलिंग का काम चल रहा है. यह तीसरी सुदर्शन (टीबीएम) है, जो आनंद विहार से साहिबाबाद की ओर चल रही है.

गाजियाबाद रैपिड रेल की खबर
दो किलोमीटर लंबी होगी टनल मिली जानकारी के मुताबिक आनंद विहार से साहिबाबाद की ओर करीब दो किमी लंबी टनल बनाई जाएगी, जो वैशाली मेट्रो स्टेशन के सामने समाप्त होगी. कैसे काम करती है टनल बोरिंग मशीनटनल बोरिंग मशीन के तीन हिस्से होते हैं. मशीन के सबसे आगे रोटेटिंग कटर होता है, जिससे खुदाई का काम किया जाता है. मशीन के दूसरे हिस्से को सपोर्ट बोल्ट कहते हैं. खुदाई किए गए हिस्से को सपोर्ट बेल्ट कंक्रीट से भरता है. जैसे ही कटर जमीन का हिस्सा काटता है इसका दूसरा हिस्सा उस जगह कंक्रीट भर देता. मशीन का तीसरा हिस्सा मशीन की बैकबोन होता है. दरअसल ऐसा इसलिए है क्योंकि इस हिस्से की मदद से खुदाई के बाद मिट्टी को बाहर निकाला जाता है.
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आरआरटीएस की टनल को 6.5 मी. व्यास (Daimeter) का बनाया जा रहा है. मेट्रो प्रणालियों की तुलना में देश में पहली बार इतने बड़े आकार की टनल का निर्माण किया जा रहा है. मेक इन इंडिया टीबीएम मशीन से एक मिनट में पांच एमएम मिट्टी खोदी जाती है. औसतन एक दिन में मशीन 50 ट्रक मिट्टी खोदती है. 90 मीटर लंबी है टीबीएम टनल बनाने की प्रक्रिया में लगभग 90 मीटर लंबी सुदर्शन (टीबीएम) का प्रयोग किया जा रहा है. इस टीबीएम में कटर हेड, फ्रंट शील्ड, मिडिल शील्ड, टेल शील्ड, इरेक्टर, स्क्रू कंवेयर और कई अन्य महत्वपूर्ण भाग शामिल हैं.

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वेंटीलेशन डक्ट के साथ बन रहे वॉकवे

आरआरटीएस के भूमिगत हिस्सों में ट्रेनों के आने-जाने के लिए समानान्तर दो टनल का प्रावधान है. इसके साथ ही यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न सुरक्षा उपायों का भी प्रावधान है. किसी भी आपात स्थिति में यात्रियों की सुरक्षा के लिए भूमिगत हिस्सों में आपातकालीन निकास बनाए जाएंगे. इसमें लगभग हर 250 मीटर पर एक क्रॉस-पैसेज भी होगा. आरआरटीएस टनल में हवा का आवागमन सुनिश्चित करने के लिए वेंटिलेशन डक्ट भी बनाए जाएंगे और इसमें 60 सेमी-90 सेमी चौड़ा एक साइड वॉकवे भी होगा, जो रखरखाव गतिविधियों में सहायता प्रदान करेगा और एक अतिरिक्त आपातकालीन निकास के रूप में भी कार्य करेगा.

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मेरठ का सफर होगा आसान

अधिकारियों के मुताबिक साहिबाबाद से दुहाई के बीच 17 किलोमीटर के प्रायोरिटी सेक्शन को 2023 तक और पूरे कॉरिडोर को 2025 तक चालू करने का लक्ष्य रखा गया है. 82 किलोमीटर के दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर में कुल 25 स्टेशन होंगे. आरआरटीएस मेरठ से दिल्ली तक यात्रा के समय को 60 मिनट से कम कर देगा. दिल्ली- गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर से प्रति वर्ष लगभग दो लाख पचास हज़ार टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आने का अनुमान है.

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