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दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर पर शुरू हुआ Overhead Equipment लगाने का काम

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Published : Jul 17, 2022, 8:55 PM IST

देश की पहली रीजनल रेल के 82 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर के लिए सबसे पहले ओवर हेड इक्विपमेंट के ऊर्जाकरण का कार्य पूरा कर लिया गया. इसे RRTS प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.

Overhead Equipment installation work started on Delhi-Meerut Rapid Rail Corridor
दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर पर शुरू हुआ Overhead Equipment लगाने का काम

देश की पहली रीजनल रेल के 82 किलोमीटर लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर के लिए सबसे पहले ओवर हेड इक्विपमेंट (ओएचई) के ऊर्जाकरण का कार्य आज कर लिया गया है. इसके लिए दुहाई डिपो में बने इंस्पेक्शन बे लाइन (आईबीएल) पर पहले ओवर हेड इक्विपमेंट (ओएचई) सेक्शन को 25000 वोल्ट पर चार्ज किया गया. यह RRTS प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन की दिशा में एक बड़ा कदम है.

दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर पर शुरू हुआ Overhead Equipment लगाने का काम

आरआरटीएस ट्रेनों की डिजाइन गति 180 किमी/घंटा है. इस कॉरिडोर पर स्थापित ओएचई को ऐसी उच्च गति एवं उच्च आवृत्ति वाली ट्रेनों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विशिष्ट रूप से डिज़ाइन किया गया है. एनसीआरटीसी ने डिपो में काम करने वाले और उसके आसपास रहने वाले लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय किए हैं, जिसमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

० चार्ज लाइनों के पास आने पर संभावित जोखिमों के बारे में लोगों को सूचित और जागरूक करने के लिए अलग-अलग जगहों पर सूचना बोर्ड लगाए गए हैं.

० दुहाई डिपो के आस-पास कई गांव हैं. वहां के निवासियों को इसके बारे में सूचित और जागरूक करने के लिए आसपास के क्षेत्रों में नियमित रूप से घोषणाएँ की जा रही हैं.

जून में आरआरटीएस का पहला ट्रेनसेट सावली, गुजरात में स्थित मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट से दुहाई डिपो लाया गया था और वर्तमान में डिपो में इसपर स्टैटिक कमीशनिंग टेस्टिंग की जा रही है।

मेन लाइन पर ट्रेनों के ट्रायल से पहले इन आईबीएल पर आरआरटीएस ट्रेनों का परीक्षण और कमीशन किया जाएगा. इंस्पेक्शन बे लाइनों (आईबीएल) का उपयोग रोलिंग स्टॉक के निरीक्षण और आरआरटीएस ट्रेनों के आवश्यक परीक्षण के लिए किया जाता है.

दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर पर शुरू हुआ Overhead Equipment लगाने का काम
दुहाई डिपो का आईबीएल भी अपने आप में ख़ास है, क्योंकि यहां विशेष प्रकार के रिट्रैक्टेबल ओवर हेड इक्विपमेंट (ओएचई) लगाए गए हैं. डिपो में ट्रेनों की छत के निरीक्षण के लिए यह रिट्रैक्टेबल ओएचई बहुत उपयोगी हैं क्योंकि रखरखाव के विभिन्न कार्यों के लिए ट्रेन की छत तक निर्बाध एवं सुगम पहुंच की सुविधा प्राप्त करने के लिए इस पूरे ओएचई सिस्टम को एक तरफ स्थानांतरित किया जा सकता है. आईबीएल के ऊर्जाकरण से ट्रेन की डायनेमिक टेस्टिंग में तेजी आएगी और मेन लाइन टेस्टिंग के लिए इसकी तैयारी सुनिश्चित होगी.

बता दें, प्रायोरिटी सेक्शन पर ट्रायल रन इस वर्ष के अंत तक शुरू होने की उम्मीद है और 2023 तक इसके जनता के लिए शुरु किया जाना संभावित है.

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