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Monkeypox को लेकर भारत में भी बढ़ी चिंता, एयरपोर्ट पर बढ़ी सतर्कता

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Published : May 23, 2022, 6:10 PM IST

कोरोना वायरस के बाद दुनिया के 15 देशों में मंकीपॉक्स ने अपना कहर बरसा रहा है. भारत में मंकीपॉक्स का एक भी मामला सामने नहीं आया हैं. मामलों को देखते हुए एयरपोर्ट पर चेकिंग बढ़ा दिया गया है.
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भारत में मंकीपॉक्स

नई दिल्ली :कोरोना वायरस के बाद दुनिया के 15 देशों में मंकीपॉक्स ने अपना कहर बरसा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अलर्ट जारी करते हुए कहा है कि 15 देशों में करीब 100 लोग मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित हैं. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इस वायरस के वैश्विक स्तर पर पहुंचने की संभावना है. मंकीपॉक्स वायरस ने अब तक दुनिया के 15 देशों में पहुंचा है. इसमें ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, स्पेन, पुर्तगाल, फ्रांस, बेल्जियम, नीदरलैंड, स्वीडन और इटली शामिल है. भारत में अभी तक इस वायरस के केस नहीं मिले हैं. लेकिन एयरपोर्ट पर चेकिंग बढ़ा दिया गया है.

दिल्ली के हवाई अड्डों पर अफ्रीकन देश और इंफेक्टेड देश से आने वाले लोगों की मेडिकल जांच शुरू हो गई है. दिल्ली की लोक नायक जय प्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल की इमरजेंसी हेड डॉ. रितु सेक्ससेना ने कहा कि भारत में फिलहाल किसी तरह का कोई मामला सामने नहीं आया है. बीमारी के लिए वैक्सीन तो है लेकिन काफी कॉस्टली है. उन्होंने कहा कि 1980 से पहले के लोग जो हमारे देश में है वह वैक्सीनटेड है. मंकीपॉक्स से उनको डरने की जरूरत नहीं है. लेकिन बच्चों और प्रेग्नेंट महिलाओं को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.

जानें क्या है मंकीपॉक्स वायरस

रितु सेक्ससेना ने बताया कि मंकीपॉक्स को लेकर ज्यादा पैनिक होने की जरूरत नहीं है. अभी हमें इसके सिम्टम्स जानने होंगे कि स्मॉल पॉक्स के तरह है या कुछ और तरह की है. इसमें फीवर होता है. इसमें रसेस होते हैं. स्मॉल पॉक्स में आपने देखा होगा कि रसेस के बाद उसमें उसके स्टेजस होते हैं. फिर एक सूजन जैसा हो जाता है. वैसे ही इसमें भी होता है. लेकिन इसमें और स्मॉलफॉक्स में एक डिफरेंट होता है कि लिंब एंलार्जमेंट हो जाता है जो इसे स्माल फॉक्स से अलग करता है. मंकीपॉक्स से अभी तक किसी की डेथ होने की रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई है. जो लोग अफ्रीका में ट्रेवल करते थे. उनको यह बीमारी होती थी. लेकिन आज कल यह कई कंट्री में निकल रहा है. इस कारण हम लोगों को अलर्ट रहने की आवश्कता है. इसके सिम्टम्स यही है कि फीवर, बॉडी हीट और रेसेस है. अभी हमें पर्सन का ट्रांसमिशन जानना होगा कि मंकीफॉक्स क्यों बोलते हैं. इसका फहला केस 1970 में अफ्रीका में एक मनुष्य में रिकॉर्ड हुआ था. जो लोग सही तरीके से खाने को पका कर नहीं खाते हैं उनको यह बीमारी हो सकता है. जो पेशेंट के कांटेक्ट में आते हैं उसको भी यह बीमारी होने की संभावना होती है.

क्या है मंकीपॉक्स वायरस ?

मंकीपॉक्स एक दुर्लभ, आमतौर पर हल्के संक्रमण वाला वायरस है. यह आमतौर पर अफ्रीका के कुछ हिस्सों में संक्रमित जंगली जानवरों में पाया गया था. साल 1958 में पहली बार एक बंदर को अनुसंधान के लिए रखा गया था, जहां पहली बार इस वायरस की खोज हुई थी. इंसानों में पहली बार इस वायरस की पुष्टि साल 1970 में हुई थी. यूके की एनएचएस वेबसाइट के अनुसार, यह रोग चेचक के वंश का है, जो अक्सर चेहरे पर शुरू होने वाले दाने का कारण बनता है.

ऐसे होता है मंकीपॉक्स वायरस का संक्रमण
ऐसे होता है मंकीपॉक्स वायरस का संक्रमणमंकीपॉक्स वायरस किसी संक्रमित जानवर के काटने से, या उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ या पैर को छूने से हो सकता है. ऐसा माना जाता है कि यह चूहों, खरगोशों और गिलहरियों जैसे जानवरों के काटने से फैलता है. अगर आप ऐसे किसी जानवर का अधपका मांस खाते हैं जो मंकीपॉक्स से संक्रमित है तो भी इस बीमारी के संक्रमण होने के चांसेस ज्यादा रहते हैं. इंसानों में यह वायरस बहुत ही तेजी से फैलता है. एक तरह से कह सकते हैं कि ये भी छुआछूत की तरह ही है. अगर आप संक्रमित व्यक्ति के कपड़े या बिस्तर का इस्तेमाल करते हैं तो आपको मंकीपॉक्स हो सकता है. छींकने और खांसने से भी यह वायरस फैल सकता है.
मंकीपॉक्स के लक्षण

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मंकीपॉक्स के लक्षण

मंकीपॉक्स से संक्रमितों के लक्षण प्रकट होने में पांच से 21 दिनों के बीच का समय लगता है. इनमें बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, कंपकंपी और थकावट शामिल हैं. इन लक्षणों का अनुभव करने के एक से पांच दिन बाद आमतौर पर चेहरे पर दाने दिखाई देते हैं. दाने कभी-कभी चिकनपॉक्स के साथ भ्रमित होते हैं, क्योंकि यह उभरे हुए धब्बों के रूप में शुरू होता है जो तरल पदार्थ से भरे छोटे पपड़ी में बदल जाते हैं. लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह के भीतर साफ हो जाते हैं और पपड़ी गिर जाती है.

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